तालिबान के खिलाफ़ दृड़ता दिखाने और एक बेहद ही संकुचित समाज में लड़कियों के हक़ के लिए आवाज़ बुलंद करने वाली पाकिस्तान की बहादुर लड़की मलाला युसुफ़ज़ई को सम्मानित करने का सिलसिला जारी है.
ताज़ा ख़बर के अनुसार पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेंबली ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर मलाला युसुफ़ज़ई को पाकिस्तान की बेटी के सम्मान से नवाज़े जाने की मांग की है.ये प्रस्ताव पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सदस्य रोबिना सादत क़ैमख़ानी द्वारा असेंबली में प्रस्तुत किया गया है.
सादत के अनुसरा मलाला ना सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरी दुनिया के बच्चों की शिक्षा की पैरोकार के रुप में एक मिसाल बन गई हैं.
असेंबली में पेश प्रस्ताव में कहा गया, ''ये सदन शिक्षा के हक़ में मलाला द्वारा किए गए बलिदानों के महत्व को काफी अच्छी तरह से समझता है. इसलिए सदन ये प्रस्ताव रखता है कि मलाला युसुफ़ज़ई को पाकिस्तान की बेटी के ख़िताब से नवाज़ा जाए.''
हमला
9 अक्तूबर 2012 को मलाला युसुफ़ज़ई को उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के स्वात घाटी के मिंगोरा गांव में उस वक्त तालिबानी चरमपंथियों ने गोली मार दी थी जब वो अपने स्कूल बस से घर लौट रही थी.
पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने मलाला युसुफजई से ब्रिटेन के अस्पताल जाकर मुलाकात की थी जहां उसका इलाज चल रहा है.मुलाकात के दौरान आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा था कि मलाला एक असाधारण लड़की हैं जो देश का गौरव हैं.
मलाला को अस्पताल में अक्टूबर महीने से विशेष मेडिकल सेवाएँ दी जा रही थी.
इलाज
तालिबान चरमपंथियों द्वारा किए गए हमले में मलाला के सिर और गले में गोलियां लगी थी.
इस हमले में मलाला की दो सलेहियाँ भी घायल हो गईं थीं.
15 अक्टूबर को मलाला को इलाज के लिए ब्रिटेन पहुंचाया गया. जहां उसका इलाज चल रहा है.
मलाला 2009 में 11 साल की उम्र में उस वक्त पहली बार सुर्खियों में आई थी जब उसने बीबीसी उर्दू सेवा के लिए डायरी लिखना शुरू किया था.
इसमें उन्होंने स्वात घाटी में तालिबान के दबदबे के बीच जिंदगी की मुश्किलों को बयान किया था.
इसी बीच हजारों लोगों ने एक ऑनलाइन हस्ताक्षर मुहिम छेड़ी है जिसमें मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की मांग की गई है.
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