12.12.12 की विशेष शादी का स्टेज भी होगा विशेष। 12 क्विंटल लकड़ी की चिता पर बनेगा स्टेज, मंडप में भी होंगे 12 खंबे, हर खंबे पर लिखे वचन व संकल्प
इस सदी के अंतिम संयोग 12.12.12 पर 12 के संयोग को मिलाते हुए विशेष शादी कर रहे शहर के राजाराम जैन कर्मयोगी व अलका दुलारी ने स्टेज भी विशेष तैयार किया है। जहां हर शादी में खूबसूरत कलात्मक स्टेज होता है, वहीं इस शादी के लिए उन्होंने 12 क्विंटल लकड़ी से चिता रूपी स्टेज तैयार कराया है।शादी की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। विवाह के कार्यक्रम मंगलवार से शुरू होंगे। 12 दिसंबर, 2012 को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर बारहद्वारी पर वरमाला के लिए जो बारात जाएगी, उसमें भी 12 दर्जन घोड़ों पर 12 दर्जन बाराती होंगे।
गीता भवन से बारहद्वारी तक 12 स्वागतद्वार होंगे। रास्ते में 12 दर्जन 12 रंगों के ध्वज लगाए गए हैं। इससे पहले बासन का कार्यक्रम होगा, जिसमें 12 महिलाएं सिर पर मंगल कलश रखकर चलेंगी और उनके आगे 12 व्यक्तियों का बैंड होगा। वरमाला के बाद फेरे व अन्य कार्यक्रम समता भवन में होंगे। इसके लिए जो मंडप तैयार किया गया है, उसमें 12 खंबे होंगे। उन पर 12 वचन व संकल्प लिखवाए गए हैं।
प्रीतिभोज में 12 व्यंजन होंगे और इस अवसर पर जो स्टेज बनाया गया है, वो 12 क्विंटल लकड़ी का चिता रूपी स्टेज बनाया है। जहां वरमाला होगी, उस स्थान बारहद्वारी पर भी मृत्यु उपरांत होने वाले क्रियाक्र्म होते हैं। इसके पीछे वर-वधू का तर्क है कि इंसान को अंतिम सत्य से दूर नहीं भागना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस शादी में निमंत्रण-पत्र से लेकर शगुन व व्यवस्थाओं में 12-12 का संयोग शामिल किया गया है।
इस सदी के अंतिम संयोग 12.12.12 पर 12 के संयोग को मिलाते हुए विशेष शादी कर रहे शहर के राजाराम जैन कर्मयोगी व अलका दुलारी ने स्टेज भी विशेष तैयार किया है। जहां हर शादी में खूबसूरत कलात्मक स्टेज होता है, वहीं इस शादी के लिए उन्होंने 12 क्विंटल लकड़ी से चिता रूपी स्टेज तैयार कराया है।शादी की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। विवाह के कार्यक्रम मंगलवार से शुरू होंगे। 12 दिसंबर, 2012 को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर बारहद्वारी पर वरमाला के लिए जो बारात जाएगी, उसमें भी 12 दर्जन घोड़ों पर 12 दर्जन बाराती होंगे।
गीता भवन से बारहद्वारी तक 12 स्वागतद्वार होंगे। रास्ते में 12 दर्जन 12 रंगों के ध्वज लगाए गए हैं। इससे पहले बासन का कार्यक्रम होगा, जिसमें 12 महिलाएं सिर पर मंगल कलश रखकर चलेंगी और उनके आगे 12 व्यक्तियों का बैंड होगा। वरमाला के बाद फेरे व अन्य कार्यक्रम समता भवन में होंगे। इसके लिए जो मंडप तैयार किया गया है, उसमें 12 खंबे होंगे। उन पर 12 वचन व संकल्प लिखवाए गए हैं।
प्रीतिभोज में 12 व्यंजन होंगे और इस अवसर पर जो स्टेज बनाया गया है, वो 12 क्विंटल लकड़ी का चिता रूपी स्टेज बनाया है। जहां वरमाला होगी, उस स्थान बारहद्वारी पर भी मृत्यु उपरांत होने वाले क्रियाक्र्म होते हैं। इसके पीछे वर-वधू का तर्क है कि इंसान को अंतिम सत्य से दूर नहीं भागना चाहिए। उल्लेखनीय है कि इस शादी में निमंत्रण-पत्र से लेकर शगुन व व्यवस्थाओं में 12-12 का संयोग शामिल किया गया है।
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