सोमवार, 3 दिसंबर 2012

देश रे सबसूं बड़ै प्रदेश रै दूजै सबसूं बड़ै जिले रो नांव है बाड़मेर।

बाडमेर जिले रो सामान्य परिचय
सहयोग कर्ता रो नाम अने ठिकाणो
अर्जुन दान जी चारण
उगांव पोस्ट- करमावास
वाया-समदड़ी, जिला बाड़मेर-344021
हाल- सहायक वन संरक्षक
फलौदी, जिला- जोधपुर
मो.- 9414482882
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क्षेत्रफल28234.80 वर्ग कि.मी.साक्षरता59.65 प्रतिशत
समुद्र तल सु ऊँचाई3727 फ़ीटआदमियां री साक्षरता73.64 प्रतिशत
बिरखा रो औसत277 मि.मी.लुगाया री साक्षरता43.91 प्रतिशत
उच्चतम तापक्रम46 ं से.ग्रे.नगरपालिका2
न्युनतम तापक्रम5 ं से.ग्रे.55पंचायत समितियाँ8
कुल जनसंख्या19,63,758गांव पंचायता380
आदमियां री संख्या10,35,813राजस्व गांव1640
लुगाया री संख्या9,27,945,तहसील8
ग्रामीण जनसंख्या
शहरी जनसंख्या
देश रे सबसूं बड़ै प्रदेश रै दूजै सबसूं बड़ै जिले रो नांव है बाड़मेर। राजस्थान राज्य रै आथूणी दिस में आयौड़ौ जिलो बाड़मेर जिणरी 270 कि.मी. सीव पाकिस्तान सूं इ लागोड़ी। जिणरौ क्षेत्रफल 28387 वर्ग किलोमीटर है। जिले मांय 1964835 मिनख रेवै जिण मांय 926855 लुगायां अ'र 1038247 आदमी रेवै। शहरी क्षेत्र रै नांव माथै बाड़मेर अ बालोतरा दोय नगरपालिकावां जिणें कुल 145404 मिनख रेवै।
इतिहास
बाड़मेर जिले रौ घणकरौ भाग वो है जिणनै सुतंतरता सूं पैली मालाणी कया करता हा। मालाणी में न्यारा-न्यारा वगत में न्यारा-न्यारा राज। जागीरदरां आपरी हकुमत करी। पुराणै इतिहास में इण खेतर रो संबंध इतिहास सूं रयो है। खैड़ गुहिलां री राजधांनी ही। गुहिलां पछै परमार चौहाण अ'र राठौड़ा रौ राज इ अठै रयो है। राव मल्लीनाथ रै नांव माथे इज इण आखै क्षेत्र ने मालाणी रै नांव सू औलखीजै। जोधपुर रै राठोड़ां रै राज रौ प्रभाव होतां थकां इ मालाणी रा जागीरदार मांयली दीठ सूं सुतंतर ही हा। वि. सं. 1893 में अठै अंगरेजी हुकूमत आयगी अ'र जोधपुर रा हाकिम अठै अकूमत करता। सुतंतरता आंदोलन अ'र सामाजिक सुधार री लैङर अठे इ आई अ'र पछै बाड़मेर जिलौ बण्यौ। इण क्षेत्र री पिछांण मालांणी, शिव, सिवाणा अ'र पचपदरा परगनां सूं ही। आज इण जिले मांय बाड़मेर अ'र बालोतरा दोय उप खंड है। सात तहसीलां - बाड़मेर, बायतू, शिव, चौहटन, गुड़ामालांणी, पचपदरा अ'र सिवाणा है। अठै आठ पंचायत समितियां - बाड़मेर, बायतू, शिव, चौहटन, धौरीमन्ना, सिणधरी, बालोतरा अ'र सिवाणआ है। 380 ग्राम पंचायतां वालो औ जिलौ जैसलमेर पछै दूजे स्थान माथ है क्षेत्रफल रै हिसाब सूं। अई रै रैवासी आपरी मायडभासा राजस्थानी में बंतल करै। पण हिन्दी, अंग्रेजी, सिन्धी, गुजराती भासावां इ समझ लेवे है। साहित्य अ'र संस्कृति रौ अखूट भंडार है। रांणी रूपादे अ'र उणांरै गुरू धारू मेघवाल री भगती री बेलड़ी अठै बज पांगरी अ'र फूली-फली। एक मुसलमांन कवि आपरौ ग्रंथ घ्वीरवांणङ लिखियौ जिणमें उणां माता शारदा अ'र गणपति नै सैसूं पेली नमन करिया है। डाढ़ी बादर रो ग्रंथ डिंगल रो एक लूंठौ ग्रंथ है। डाढी बादर लिखै-सुमप समापौ शारदा, आपौ उकती आप।
कमधां जस वरणन करूं, तुझ महर परताप।।
समरू गणपत सरसती, पांण जोड़्द्व लग पाय।
गाऊं हूं सलपावियां, विध विध सुजस बखांण।।
डिंगल रा इज दूजा डकरेल कवि हा आसाणंदजी बारठ, जिणरा बाघा भरमलजी रा दूहा डिंगल री धरोहर है। आसाणंद रा भतीज अ'र स्वनाम धन्य ईसरदासजी भादरेस रा जाया जलमिया। ईसरदासजी भक्तिरस री धारा अठै चलाई। आप हरिरस, देवियांण जैड़ी भक्तिरस रै ग्रंथां री रचना करी अ'र साथै-साथै वीररस में हालां-झालां री कुडलियां री रचना करी जिकौ डिंगल साहित्य में आपरी ठावी ठौड़ राखै। बांकीदासजी आशिया जिका इण इज जिले रै पचपदरै परगणै रै गांव भांडियावास रा हा, जोधपुर रा राज कवि हा। अंगरेज रै देस माथे चढ़ आवण सूं दुखी होयङर आप राजा अ'र देसवासियों नै ओलभा देतां थकां कयो है।
आयौ अंगरेज मुलक रै ऊपर, आहंस लीधा खेंच उरा।
धणियां मूवां न दीधी धरती, धणियां ऊभां गई धरा।।
महि जातां चीचातां महिलां, ऐ दुय मरण तणा अवसांण।
राखौ रै किंहिक रजपूती, मरद हिंदू की मूसलमांण।।
बात आईज कै रजपूती कोई जात री हिमांणी नी है, जिकौ राखै उणरी है, चावै हिंदू वो कै मुसलमाण। साहित्य री सेवा अठारा स्व. भंवरदांनजी झिणकली, नृसिंहजी राजपुरोहित करी। अबरा इ कई कवि अ'र लिखारा साहित्य री सेवा कर रया है। जिणांमें खीमदांनजी बालेवा, डूंगरदांनजी बलाऊ डिंगल साहित्य में टणका नांव है। डॉ. आइदांनसिंह भाटी, महंत खुशालनाथ धीर, स्वामी जैठानाथ, छगन व्यास अ'र दूजा इ कई नांव है जिका साहित्य री लगोलग सेवा कर रया है।
लोक कला अ'र संस्कृति रा अठै भंडार भरियौड़ा है। अठारा लंगा, मांगलियार, मिरासी, ढोली जिणांरौ पीडियां रौ धंधौ रौ हो अ'र आपरी भेट भराई इण कला सूं इज करता हा। आजादी सू लेङयर 1965 तांई इणारी सगाई सगपण कै व्याव शादी रै मौके होवती ही। पण 1965 रै पछै कोमलजी कौठारी इण सगला गायकी जातियां नै आगे लावण सारू पूरी कोसिस करी अ'र रूपायन संस्थान रै सैयोग सूं इण सगला कलाकारो नै खास पैछांण नी फगत भारत में कराई बल्कि आखी दुनिया में इण कला रौ डंकौ बजाय दीनौ। दुनिया रौ एड़ौ कोई मुलक बाकी नी जठे लंगा, मांगलियार, मिरासी नी पहुंचिया व्है। इण कलाकारां मांय सूं कई जगचावा नांव है- अलादीन लंगा, दीन मोहम्मद लंगा, भूंगरखां, सद्दीक खां, समदर खां।
खनिज ' तेल 
फगत बाड़मेर जिल री आस इज नी खनिज अ'र तेल पण आ आखै राजस्थान री आस है। अठै मिलियौ लिग्नाइट आपरी किसम रौ अ'र इण सूं बिजली बणावण रौ कामं भादरेस गांव में चालू वैगो है। तिण रौ काम राजवेस्ट कम्पनी कर रही है। इणमें एक हजार मेगावाट बिजली बणाई जावेली। इण सारू सगणौ लिग्नाइट जालीपा अ'र कपूरड़ी गांव सूं लायौ जावेला। पाणी खातर 184 किमी लांबी पाइप लाइन इंदिरागांधी नहर सूं बिछाइजगी है। एड़ो अंदाज है कै पूरी खिमता सूं बिजली बणणी सरू होयां पछै प्रदेश में बिजली री कमी कोनी रेवेला। प्राकृतिक तेल रा भंडार इण जिले रै न्यारी न्यारी अगावां मिलिया है। जिणसुं अठै रिफाइनरी लागण री आस जागी है। रिफाइनरी लाग्यां सूं बाड़मेर जिले रै बाशिंदां नै रोजगार तो मिलेगा इस साथै-साथे प्रदेश ने अणूती आमदनी वैला। जिणसूं इण जिले अ'र प्रदेश रो कायापलट रौ काम व्हैला।
उद्योग धंधा अठै घणाइ चालै है। न्यारा न्यारा क्षेत्र में न्यारा न्यारा उद्योग है। बाड़मेर शहर में कपड़ा री रंगाई छपाई रौ आछौ धन्धो चालै है। अठारी चादरां, लुगायां रा कपड़ा अ'र अजख री छपाई जग चावी है। चौहटन अ'र उणरे आसै-पासै रे गांवां से लुगायां कांचरी कसीदाकारी रौ कां करै, जिकौ देखण अ'र सरावण जोग है। लुगायां रा कपड़ा माथै कांचरी कसीदाकारी री कारीगरी देखां तो बाकौ फाट जावै। लुगायां जद इण कसीदाकारी रा कपड़ा पहैरङर निकलै तो सूरज री रोशनी सूं कांच रै टुकडां सूं चिलकौ पड़ै जिकौ च्यारूं मैर चमक पैदा कर दे। बाड़मेर शहर में फर्नीचर रौ कां घणौ आछौ व्हे रयौ है। सरूपांत में अठै लकड़ी रा पागा अ'र घरटी री पुड़ी माथे खुदाई री कां करियो जावतौ पण अबै तो बड़ौ उद्योग बण गयौ है। बाड़मेर मांय 50 रै लगै-टगै कारखांना है, जठै फर्नीचर बणे है। रोहीड़ा री लकड़ी माथै नक्कासी रो कां घणौ सांतरौ व्है है। डबलबैड, ड्रेसिंग टेबल, सौफासेट, बार्डरोब सेन्ट्रल टेबल इत्याद सगला भांत-भांत रा आइटम अठै त्यार व्है रहा है, जिणरी आखै देश अ'र विदेशां में भारी मांग है। फर्नीचर उद्योग तो फल-फूल रयो है, पण इणरै साथे इ रोहिड़ा रौ नां निशान मिटण री तांई पहुंच गियो है। बाड़मेर जिले रै दूजै बड़े नगर बालोतरा री पिछांण रंग-छपाई रै कारण आखै देश में बणी थकी है। बालोतरा अ'र जसोल में 500 सूं वधती फैक्टरियां चाल रही है। जठै परतख अपरतख रूप सूं दस हजार लोगों ने रोजगार मिल रयो है। अठै पोपलीन छीट अ'र वायल री मनमोवणी छपाई रंगोई रौ कां व्है है। आज कालै स्क्रीन प्रिंट (Print) री साड़ियां इ त्यार करीजे है, जिणांरी मांग देश रै खुणै-खुणै में है।
बाड़मेर जिल में स्थापत्य कला रो घणौइ भण्डार है। किराड़ रा जैन मंदिर आपरी कहाणी खुद कैवे है। आज री तारीख में ऐ टूटा भाग मंदिर खुड मूंडै बोले जैड़ा है। उणानै देखङर अन्दाजौ लगायो जाय सके है जद व्है बणिया व्हैला कितरा फूटरा अ'र नांमी रया व्हैला। सिवांणा रौ किलौ, खेड़ रौ रणछोड़ मंदिर, नाकोड़ा रौ जैन मंदिर, जसोल में रांणी भटियांणी रो मंदिर, अटलधांम सिवाणा, आसोतरा रौ ब्रह्मधांम, भीमगोडा, हलदेसर, हिंगलाज माता रो मंदिर, चौहटन मे वीरातरा माता रो मंदिर, राठौड़ां री कुलदेवी नागणैच्या रौ मंदिर सगला आपरी स्थापत्य कला रा न्यारा-न्यारा नमूना पेश कर रया है।बाड़मेर जिले मांय मेळा घणाई भरीजे अ'र लोग इणा में घणै कोड सूं भाग लेवै। बाड़मेर में भरीजण वाला मेळा नीचे मुजब है :-
लाखेटा गैर मेळा :-होली रै पछै तीज रै दिन लाखेटा गांव मांय संतोषभारतीजी री समाधी माथै भरीजण वालो औ मेळो सांस्कृतिक एकता रौ लांठौ नमूनो है। आसै-पासे रा 20 गांवां रा लोग लुगाई टाबर इण मेळा में आवै। गैर नाच री होड़ व्है। पैले दूजै अ'र तीजै ठायै माथै आवण वाली गैर ने ईनांम दईजै।
कांनांणै (कानाना) रो डांडिया गैर मेळो-सीतला माता री याद में कांनांणा गांव में गैर मेळो व्है। अठै डांडिया गैर रो घणौ आछो आयोजन व्है। 30-40 गांवां री गैरां अठै धमचक मांडवै। लुगायां रा टोला ई लूर री तगड़ी बानगी पेश करै।
वीरातरा माता रौ मेळौ : चौहटन तहसील सूं 12 किमी दूर माथै आथूंणी दिस कांनी भाखरां रै बिचै वीरातरा माता रै मंदिर माथै साल मे तीन बार मेळौ भरीजै। मेळा चेत वदी तेरस, भादरवा सुदी तेरस अ'र माध सुदी तेरस रै दिन व्है है।
जसोल रौ रांणी भटियांणी मेळौ :- बालोतरा सूं पांच कि.मी. आंतरे लूणी नही रै दिखणादै कांठै बस्यौड़ीं है जसोल। अठै रांणी भटियांणी रो जग चावौ मंदिर है। अठै वैसाख, असाढ, भादरवा अ'र माघ रै महीनै मेळौ भरीजै। लुगायां रा थट्ट लाग जावे। हियौ हियौ दबीजै। तिल राखण में इ जगा नी रै।
बायत् रो खेमा बाब रौ मेळो :- बालोतरा अ'र बाड़मेर रै बिच्चै आयोड़ै गांव में भादरवा अ'र माध महीनै चांदणी नम रै खेमा बाब रौ मेळौ भरीजै। ऐड़ी मान्यता है कै बाब री किरपा सूं पांन हुयोड़ा ने अठै एकर फेरी दिरावण सूं ठीक होय जावै।
नागांणै रौ नागणेची मेळौ :- राठौड़ राजपूतां री कुलदेवी नागणेची माता रौ मंदिर नागांणै मे है जिसोक कल्याणपुरा सूं बालेसर जावण वाली सड़क माथै है। अठै नवरात्री में साल में दोय बार टणकौ मेळौ भरीजै। आखै देस सूं जातरू अठै आवे अ'र माता इणांरी मनरी इंछा पुरी करै। अठै लकड़ी री मूरत देखण जोग है।
कोलायत मे नौंका विहार री सुविधा भी हैं। अटे रे पवित्र सरोवर रे किनारे कई मंदिर व स्नान घाट बणयोडा हैं।
नागांणै रौ नागणेची मेळौ :- राठौड़ राजपूतां री कुलदेवी नागणेची माता रौ मंदिर नागांणै मे है जिसोक कल्याणपुरा सूं बालेसर जावण वाली सड़क माथै है। अठै नवरात्री में साल में दोय बार टणकौ मेळौ भरीजै। आखै देस सूं जातरू अठै आवे अ'र माता इणांरी मनरी इंछा पुरी करै। अठै लकड़ी री मूरत देखण जोग है।
ब्रह्मधांम आयोतर :- बालोतरा सूं सिवांणै जावतां मारग में आसोतरा ब्रह्मधांम आवै। अठै जैसलमेर रै भाठै रौ मनमोवणो मंदिर बलियोड़ी है। ब्रह्माजी अ'र सवित्रीजी री मूरतां मंदिर में बिराजै। मंदिर बणावणिया महान संत खेतारांमजी रौ मंदिर इ अठै बणियोड़ौ। यूं तो अठै बरस भर जातरू आवता रेवै। पण बैसाख री चांनणी पांचम अ'र छठ ने मेळो भरीजे।
नाकोड़ा तीर्थ :- बालोतरा सूं नव कि.मी. आंतरै भाखरां रै बिचै आयोड़ौ औ तीरथ पूरै देस मे चावौ है। अठै भगवांन री मूरत निज मंदिर मे थरपियोड़ी है। बाकी तीर्थकरां री मूरतां ई अठै बिराजै। नाकोड़ा भैरूजी री मूरत घणी मनमोवणी है। पोष में अंधारी दसमी रौ मेळौ भरीजै। जैन जातरूंवां रै अलावा अठै दूजा जातरू इ घणई आवै। अठै रैवण अ'र भोजन री आछी व्यवस्था है।
तिलवाड़ै री मेळौ :- भारत रा जूना पशु मेळां में सामिल मल्लीनाथ पशु मेळौ तिलवाड़ै जिकौ च्चेतरी रौ मेळौछ ई कैवीजे है। चेत वदी इग्यारस रै दिन झंडो रूपै अ'र पूरा 15 दिन तांई मेळो चालै। अठै राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब प्रदेशां सूं बौपारी डांगर खरीदण सारू आवै। लूणी नदी रै पाट में भरीजण वाले इण मेलै में मालाणी रा घोड़ा, थारपारकर बलद, बाड़मेरी उंट ज्यादा बेचीजै अ'र खरीदीजै। मेलै रै छैलै दिन पशुवां री होडाहोड व्है अ'र जीतववालां ने ईनांम दिरीजै।
बीजा पशुं मेळा :-इणीज भांत जसोल रांणी भटियांणी पशु मेळौ कात्ती सुद पांचम सूं इग्यारस तांई, गुड़ा मालाणी रौ जैतमाल पशुमेळौ काती वद आठम सूं चवदस तांई भरीजै। सिणधरी में बजरंग पशुमेळौ मिगसर सुद पांचम सूं इग्यारस तांई भरीजै।
थार महोत्सव :- होली रै दूजै दिन सूं सरू होयङर सीतला सातम तांई चालण वालौ औ महोत्सव देस विदेश रै पर्यटकां सारू घणौ महतारऊ है। इण मौकै पयर्ण्टकां सारू न्यारी-न्यारी मनमोवणी होड़ां राखीजै। थार महोत्सव बाड़मेर सूं सरू होयङर सीतला सातम रै दिन वीर दुर्गादास रै गांव कांनांणै (कानाना) मांय सीतला माता री पूजा रै साथै पूरो व्है। इण दिन न्यारा-न्यारा गांव री गैरा आवै अ'र पूरा जोस सूं आपरौ हुनर बतावै। इण री खास बात है आंगी गैर। आंगी गैर में गैरिया आपरी कमर माथै 15 मीटर घेर रौ कपड़े रौ वागौ पैरे अ'र पगां में दोय-दोय कीलो रा भारी घूघरा बांधै। पछै नाचै जद आंगी रा घेर अ'र घूघरां री घणकार देखण सुणण जोग व्है। लुगायां रौ नाच करङर सीतलामाता नै मनावै।
इण जिले रै रैवासियां देस आजाद हुवां पछै दोय युद्धां ने परतख झेलिया है। आंन-बांन सारू मरणिया मिनखां भूखा-तिरसा रय ई आपरै जवांनां रै हौसलौ बढ़यौ अ'र दुसमण रा दांत खाटा कर दिखाया है। 1965 रै जुद्ध में रेल्वे रा कर्मचारियां आपरी जांन जोखिम में घालङर काम करियौ। उण सगलां नै घणा-घणा नमन। अठा रा सपूत देस री सेवा में आगीवांण है। सेना में अठा रा सपूत सिपाही सूं लेयङर मेजरजनरल तांई रै औहदे पहुंच्या है तो सिविल सेवा में आई.ए.एस., आई.पी.एस, आई.एफ.एस. रै ऊंचै औहदे माथै इण धरा रा सपूत बिराजै अ'र आकै देस में आपरी सेवावां देवे है। हाईकोर्ट रा जज, पुलिस में डी.जी. माथै अठारा सपूत बिराजा रया है। एक बात, जिका अजै तांई खटकै है, वा आ है कै इण धरती सूं कोई ऐड़ो राजनेता नी हुवो जिणरो पिछांण भारत पूरै में व्है। अ'र जिकै इण क्षेत्र रो भलो पण कर सकै। विधांनसभा में इ कोई ऐड़ो नेता नी हुवो, जिकै जोर सूं अठारी अबखायां ने बताय नै उणाने मिटायी। आसा कर सकां कै आवण वालो समय में अठै ऐड़ौ नेता आवैला।
आज रे समय में इ अठै अजै तांई कई कुरीतियां जड़ां जमायोड़ी है। इणांने मिटावणी घणी जरूरी है। ऐ कुरीतियां फगत सरकारी कानून अ'र उणरै डंडा रै जोर नी मिटैला। समजा ने खुदनै आगै आवणौ पड़ैला। कई सामाजिक कार्यकर्ता कै गैर सरकारी संगठन आगै आवैला तो इज पार पड़ैला। आखातीज रै दिन अठै सैकड़ू बाल विवाह व्है जावै, जिणमें सगला सामिल व्है। नेता, अफसर, सगला। बाल विवाह रोकण सारू शारदा एक्ट बणियोड़ौ है, पण लागू करणो अबखौ कांम है। दूजी कुरीती है अमल खावणौ। सगाई, सगपण, ब्यांव, मुकलावौ अ'र मरतंग, सगला अवसरां माथै अमल खावण री परंपरा। सगाई, ब्यांव में तो एक दिन इज खावे पण मरतंग में तो बारै दिन तांई माखा भिणभिणावता। इणनै मिटावणो घणी जरूरी। एक औरूं कुरीती है टीका-दहेज। इण कुरीती कितरा घर बरबाद कर दीना है अ'र अबै तो इण कुरीती कितनी कन्यावां री भ्रूणहत्यावां कराय दीनी है। इणनै मिटावण री सगलां सूं पैली आवश्यकता है। सरकार कांनी सूं करड़ा कानून बणिया थका है, पण इण सारू आगीवांण तो समाज ने इज होवणो पड़ैला। जिण समाज में औ रोग घणौ बधियोड़ो है, उणांमे आज नी बल्कि अबै इज चेतणो पड़ेला नी तो लाडी री मन में इज रै जावैला।
मेह थोड़ौ नेह घणौ, आछी घणी आ ठौड़।
बढ़िया बाहड़मेर है, मरूधरा रौ मौड़।।

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