अच्छे कार्यों के लिए जागना अच्छा : आचार्य
जसोल(बालोतरा)
जो अमुनि होते हैं वे सदा सोये रहते हैं और जो मुनि होते हैं वे सदा जागते रहते हैं। मुनि यानि ज्ञानी व्यक्ति द्रव्य निद्रा में होने पर भी जागता है और अज्ञानी व्यक्ति द्रव्य निद्रा न होने पर भी सोते रहते हैं। यह मंगल वक्तव्य तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने रविवारीय विशेष प्रवचन 'मूल्य जागरण का' विषय पर जसोल में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि चेतना की मूच्र्छा, मोह का प्रावल्य भाव निद्रा है। अच्छे काम करने वाले के लिए द्रव्य जागरण भी वरदान सिद्ध होता है। प्रवचन के माध्यम से श्रोता का सत पथ दर्शन हो सकता है। नैतिक मूल्यों के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। अच्छे कार्यों के लिए जागना अच्छी बात है। शिष्य का भी काम शिष्यों, अनुयायियों को जागरूक बनाए। गुरु का महान उपकार होता है कि वे सोये हुए को जगाते हैं। मूच्र्छा को तोडऩा अध्यात्म की साधना है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने अभातेयुप के 46 वें वार्षिक अधिवेशन में युवा शक्ति और साधर्मिक वत्सलता विषय पर समागत सैकड़ों युवकों को उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि युवावस्था शक्ति की कुछ करने की अवस्था है। धर्म के क्षेत्र में भी युवावस्था ही कार्यकारी अवस्था मानी जाती है। युवावस्था में जब सामथ्र्य होता है तो व्यक्ति हर कार्य को संपादित कर सकता है। युवावस्था वह है जिसमें जो मंजिल निर्धारित है उसके इर्द-गिर्द पहुंच जाते हैं। मंत्री मुनि ने कहा कि एक धर्म का पालन करने वाले दूसरे का सहयोग देने का प्रयास करें। साधर्मिक के सहयोगी बने। कार्यक्रम में विजय नाहर व अनिता नाहर की सुपुत्री दर्शिका नाहर ने आचार्य से दीक्षा की अर्ज की। आचार्य ने दर्शिका पर महती कृपा करते हुए पारमार्थिक शिक्षण संस्था में प्रवेश की अनुमति प्रदान की। तेजपुर से समागत संघ की ओर से उभय चंद बैद ने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।
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