जसोल राणी भटियाणी पशु मेले के आगाज
मेले में पहले दिन पहुंचे तीन हजार पशु
ध्वजारोहण के साथ खरीद फरोख्त शुरू
बालोतरा पंचायत समिति बालोतरा की ओर से माता राणी भटियाणी पशु मेला जसोल का आगाज रविवार को ध्वजारोहण के साथ हुआ। मेले में पहले दिन करीब 3 हजार पशु मेले स्थल पहुंचे। मेले में समूचे जोधपुर संभाग सहित राजस्थान व गुजरात से भी पशुपालक पशुओं की बिक्री के लिए मेले में पहुंचे।
रविवार सवेरे 11 बजे जिला परिषद बाड़मेर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लालाराम गुगरवाल ने ध्वजारोहण कर मेले का विधिवत रूप से शुभारंभ किया। इसके साथ ही सात दिवसीय मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त शुरू हो गई। मुख्य अतिथि मुख्य कार्यकारी अधिकारी लालाराम गुगरवाल ने कहा कि पशुपालन ही पशुपालकों के आजीविका का आधार है। हमारी संस्कृति के संवाहक बने मेलों को जीवंत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण लोग खेती पर ही निर्भर है, पशुधन के माध्यम से उन्नत खेती की जा सकती है। उन्नत किस्म की खेती होने के साथ पशुओं के चारे की भी समुचित व्यवस्था हो जाती है। उन्होंने पशुपालकों से आग्रह किया कि समय की नजाकत को देखते हुए खेती पर निर्भरता कम कर बच्चों की शिक्षा की तरफ विशेष ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से आपका विकास होगा।
बालोतरा पंचायत समिति बालोतरा की ओर से माता राणी भटियाणी पशु मेला जसोल का आगाज रविवार को ध्वजारोहण के साथ हुआ। मेले में पहले दिन करीब 3 हजार पशु मेले स्थल पहुंचे। मेले में समूचे जोधपुर संभाग सहित राजस्थान व गुजरात से भी पशुपालक पशुओं की बिक्री के लिए मेले में पहुंचे।
रविवार सवेरे 11 बजे जिला परिषद बाड़मेर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी लालाराम गुगरवाल ने ध्वजारोहण कर मेले का विधिवत रूप से शुभारंभ किया। इसके साथ ही सात दिवसीय मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त शुरू हो गई। मुख्य अतिथि मुख्य कार्यकारी अधिकारी लालाराम गुगरवाल ने कहा कि पशुपालन ही पशुपालकों के आजीविका का आधार है। हमारी संस्कृति के संवाहक बने मेलों को जीवंत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण लोग खेती पर ही निर्भर है, पशुधन के माध्यम से उन्नत खेती की जा सकती है। उन्नत किस्म की खेती होने के साथ पशुओं के चारे की भी समुचित व्यवस्था हो जाती है। उन्होंने पशुपालकों से आग्रह किया कि समय की नजाकत को देखते हुए खेती पर निर्भरता कम कर बच्चों की शिक्षा की तरफ विशेष ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से आपका विकास होगा।
उन्होंने कुरीतियों से भी बचने का आह्वान किया तथा मेले से पशुपालकों को पशु खरीद कर ले जाते समय आने वाली दिक्कतों के लिए अपनी ओर से हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया। पचपदरा तहसीलदार विवेक व्यास ने कहा कि पशुपालक आपसी भाईचारे की भावना को कायम रखते हुए मेले में पशुओं का क्रय-विक्रय कर अपनी आजीविका का साधन बनाते हैं। उन्होंने कहा कि पशुपालन ही पशुपालकों की धरोहर है, जिसका उनके द्वारा विशेष ध्यान रखा जाता है। मेला अधिकारी विकास अधिकारी सविता टी चौधरी ने मेले का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। पूर्व सरपंच भगवतसिंह जसोल ने पशुपालकों द्वारा मेले से खरीदकर पशु को ले जाते समय आने वाली असुविधा के बारे में बताते हुए पशुपालकों की मदद कराने का आग्रह किया। प्रधान जमना देवी गोदारा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया। मंच का संचालन कृषि अधिकारी विजयकुमार जैन ने किया। इस अवसर पर पूंजा राम बारासा, केवलचंद माली, हनुमान सिंह, भंवरलाल, हुकमाराम माली, रूपसिंह, केशाराम सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण व पशुपालक उपस्थित थे। मेले में विभिन्न विभागों की ओर से प्रदर्शनी भी लगाई गई है। जिससे काश्तकारों को कृषि, पशुपालन व अन्य कार्यों की जानकारी व नवीन तकनीकी का ज्ञान करवाया जा रहा है। मेले में गाय, बैल, ऊंट, घोड़े व अन्य पशुओं के साथ पशुपालकों ने डेरा जमाए हुए है। मेला आयोजन समिति की ओर से पशुपालकों की सुविधा के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मेलार्थियों की सुविधा के लिए विभिन्न प्रकार की दुकानें लगाने के साथ पशुओं के चारे पानी की समुचित व्यवस्था भी की गई है। इस बार पशुओं के भावों में तेजी के चलते पशुपालकों को अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है। मेला स्थल पर पिछले एक सप्ताह में पशुओं की आवक निरंतर जारी है।
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