संयुक्त राष्ट्र।। महिला गुप्तांगों के खतने की कुप्रथा के खिलाफ सयुंक्त राष्ट्र ने आवाज बुलंद की है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की ह्यूमन राइट्स कमिटी ने महिला खतने के खिलाफ अपना पहला निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया है।
2010 में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि करीब 7 करोड़ लड़कियां और महिलाओं के गुप्तांगों का खतना किया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि हर रोज़ 6 हजार लड़कियों को इस कुप्रथा का शिकार होना पड़ता है। महिला खतने का विरोध कर रहे लोगों के मुताबिक वास्तविक में यह आंकड़ा और भी अधिक है। उनके मुताबिक, दुनिया भर में 14 करोड़ महिलाएं इस प्रताड़ना से गुजर चुकी हैं।
महिलाओं के ख़तने में धार्मिक प्रक्रिया के नाम पर लड़कियों के सेक्स ऑर्गन यानी जननांगों के क्लिटोरिस का हिस्सा काट दिया जाता है। मोटे तौर पर बताया जाए तो महिला जननांग का बाहर रहनेवाला सारा हिस्सा काट दिया जाता है और मात्र मूत्रत्याग और रजोस्राव के लिए छोटा द्वार छोड़ दिया जाता है। अंधविश्वास है कि ऐसा करने से लड़की की कामुकता घटेगी और विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा में कमी आएगी । बहुत से देशों में गैरकानूनी घोषित हो चुकी इस प्रथा की शुरुआत अफ्रीकी और मध्यपूर्व देशों में हुई थी। इस प्रथा की संयुक्त राष्ट्र में सोमवार को व्यापक स्तर पर निंदा की गई।
50 अफ्रीकी देशों समेत 110 से भी ज्यादा देशों ने महासभा की अधिकार समिति में इस प्रस्ताव का समर्थन किया। कमिटी ने इस प्रथा को खत्म करने के लिए 'जागरूकता लाने वाली शिक्षा के साथ-साथ दंडात्मक प्रावधानों' की मांग की।
इस प्रचलन को खत्म करने के लिए अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे संयुक्त राष्ट्र में इटली के राजदूत सीजेर रागाग्लिनी ने कहा कि अंतिम लक्ष्य (एक पीढ़ी की स्त्रियों में सेक्स ऑर्गन डिसॉर्डर की प्रथा खत्म करना) हासिल करने तक हम अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आज यह लक्ष्य पहले के मुकाबले काफी नजदीक दिखाई दे रहा है।
व्यापक विरोध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को 'शक्तिशाली हथियार' बताते हुए उन्होंने कहा कि यह निंदा और नए उपायों को अगले स्तर तक ले जाने का आह्वान करेगा। रागाग्लिनी ने कहा कि अब यह हम लोगों पर निर्भर है कि हम किस तरह इसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करें।
2010 में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि करीब 7 करोड़ लड़कियां और महिलाओं के गुप्तांगों का खतना किया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि हर रोज़ 6 हजार लड़कियों को इस कुप्रथा का शिकार होना पड़ता है। महिला खतने का विरोध कर रहे लोगों के मुताबिक वास्तविक में यह आंकड़ा और भी अधिक है। उनके मुताबिक, दुनिया भर में 14 करोड़ महिलाएं इस प्रताड़ना से गुजर चुकी हैं।
महिलाओं के ख़तने में धार्मिक प्रक्रिया के नाम पर लड़कियों के सेक्स ऑर्गन यानी जननांगों के क्लिटोरिस का हिस्सा काट दिया जाता है। मोटे तौर पर बताया जाए तो महिला जननांग का बाहर रहनेवाला सारा हिस्सा काट दिया जाता है और मात्र मूत्रत्याग और रजोस्राव के लिए छोटा द्वार छोड़ दिया जाता है। अंधविश्वास है कि ऐसा करने से लड़की की कामुकता घटेगी और विवाह से पहले शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा में कमी आएगी । बहुत से देशों में गैरकानूनी घोषित हो चुकी इस प्रथा की शुरुआत अफ्रीकी और मध्यपूर्व देशों में हुई थी। इस प्रथा की संयुक्त राष्ट्र में सोमवार को व्यापक स्तर पर निंदा की गई।
50 अफ्रीकी देशों समेत 110 से भी ज्यादा देशों ने महासभा की अधिकार समिति में इस प्रस्ताव का समर्थन किया। कमिटी ने इस प्रथा को खत्म करने के लिए 'जागरूकता लाने वाली शिक्षा के साथ-साथ दंडात्मक प्रावधानों' की मांग की।
इस प्रचलन को खत्म करने के लिए अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे संयुक्त राष्ट्र में इटली के राजदूत सीजेर रागाग्लिनी ने कहा कि अंतिम लक्ष्य (एक पीढ़ी की स्त्रियों में सेक्स ऑर्गन डिसॉर्डर की प्रथा खत्म करना) हासिल करने तक हम अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। आज यह लक्ष्य पहले के मुकाबले काफी नजदीक दिखाई दे रहा है।
व्यापक विरोध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के इस प्रस्ताव को 'शक्तिशाली हथियार' बताते हुए उन्होंने कहा कि यह निंदा और नए उपायों को अगले स्तर तक ले जाने का आह्वान करेगा। रागाग्लिनी ने कहा कि अब यह हम लोगों पर निर्भर है कि हम किस तरह इसका प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करें।
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