नई दिल्ली।। तिहाड़ की जेल नंबर-3 में आतंकवादी अफजल गुरु फांसी के तख्ते से तकरीबन 20 मीटर दूरी पर कैद है। उसे जिस सेल में रखा गया है वह फांसी के तख्ते वाले वॉर्ड यानी फांसी कोठी कैंपस में ही है। तिहाड़ जेल के कुछ चुनिंदा अफसरों को ही उसके सेल में जाने की इजाजत है। राउंड द क्लॉक कुल 50 जवान उसके सेल और वॉर्ड के बाहर तैनात रहते हैं। उस पर रात दिन निगरानी रखी जाती है।
तिहाड़ जेल के सूत्रों ने बताया कि आतंकवादी कसाब को फांसी दिए जाने के बाद से अफजल थोड़ा अशांत दिखाई दे रहा है। हालांकि इस मामले में वह किसी से बात नहीं कर रहा है। अफजल को 16 फुट लंबे और 12 फुट चौड़े सेल में रखा गया है। उसे जो खाना दिया जाता है पहले उसकी जांच ड्योढ़ी पर तैनात डिप्टी सुपरिंटेंडेंट खुद खाकर करते हैं। उसकी सुरक्षा के लिए तमिलनाडु स्पेशल पुलिस (टीएसपी), आईटीबीपी, सीआरपीएफ और तिहाड़ जेल के जवानों को लगाया गया है। इनमें से 8 जवान उसी सेल के बाहर तैनात रहते हैं जहां उसे बंद किया गया है। कुछ जेल नंबर-3 के बाहर गाड़ी में तैनात रहते हैं। इनमें से कुछ आधुनिक हथियारों से लैस रहते हैं। अफजल को कोई नुकसान न होने पाए या फिर उसके फरार होने वाले किसी भी तरह के मंसूबों पर पानी फेरने के लिए इन जवानों को तैनात कर रखा है।
सूत्रों ने बताया कि कुछ समय पहले भारतीय खुफिया एजेंसियों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से पता लगा था कि तिहाड़ जेल में अफजल की मौत हो गई है। सचाई का पता लगाने के लिए भारतीय खुफिया तंत्र ने तुरंत तिहाड़ जेल के उस वक्त के डीजी से संपर्क किया। डीजी ने फौरन रात करीब 2 बजे जेल नंबर-3 के सुपरिंटेंडेंट को सोते से उठाया और उन्हें अफजल के ताजा हालात पता करने के आदेश दिए।सुपरिंटेंडेंट ने अफजल पर यह जाहिर नहीं होने दिया कि वह रात के वक्त उसके पास क्यों आए हैं, मगर अफजल से वह कुछ बातें करके वापस चले गए थे। यह रिपोर्ट उन्होंने डीजी को, डीजी ने भारतीय खुफिया एजेंसी को और फिर पाकिस्तान को यह सूचना फारवर्ड कर बताया गया था कि अफजल के मरने की खबर महज एक अफवाह है।
सूत्रों ने बताया कि अधिकतर वक्त वह शांत रहता है। जेल के कायदे-कानूनों का पालन करता है। उसे दूध पीना पसंद है। उसके सेल के बाहर ही एक बड़ा सा पार्क है जिसमें वह रोजाना सुबह-शाम चहलकदमी करता है। पार्क के एक कोने में फांसी का तख्ता है। अफजल हिंदी पढ़ लेता है, मगर बोलने में उसे परेशानी होती है।
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