सालेखां जीवित या मृत?
बाड़मेर। सालेखां 1994 में पाकिस्तान गया या उसे गुजरात में दफन कर दिया? पाकिस्तान आई चिट्ठी उसे जिंदा बता रही है तो इधर बाड़मेर की कोटड़ा और गुजरात की किया ग्राम पंचायत की ओर से जारी प्रमाण पत्र उसे दफन करने के साक्ष्य पेश कर रहे हैं। सारा मामला संदेह के घेरे में है क्योंकि नि:संतान और कुंवारे सालेखां की जमीन को रिश्तेदारों ने इस दौरान अपने नाम करवा लिया।
शिव तहसील के कोटड़ा ग्राम पंचायत का निवासी सालेखां पुत्र अलीखां 1994 में अनाधिकृत रूप से पाकिस्तान चला गया। इसके नाम ग्राम पंचायत में 117 बीघा जमीन में आधा हिस्सा है। कुंवारा एवं नि:संतान होने के कारण तहसीलदार शिव की ओर से इसकी जमीन को खालसा करने की कार्यवाही की गई। इधर सालेखां के बहनोई मोहम्मद अली ने गुजरात की ग्राम पंचायत किया तहसील करजण से एक प्रमाण पत्र पेश किया कि सालेखां का देहांत 15 अप्रेल 1994 को हो गया और दफन कर दिया गया। साथ ही एक आवेदन पेश किया जिसमें माणकदे व सती (दोनों बहनें) को इसका वारिस और जमीन का हकदार बताया। इस पर 12 जून 1997 को पटवारी जूनेजों की बस्ती ने सालेखां को मृत मानते हुए जमीन का नामांतरणकरण दोनों बहिनों के नाम कर दिया।
चिट्ठी और जांच
नामांतरणकरण खुलने की बात सामने आने पर कोटडा के एक शख्स ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीआईडी (बीआई) को शिकायत की कि यह सब षडयंत्रपूर्वक हुआ है। सालेखां गुजरात में नहीं मरा, वह पाकिस्तान गया है। पाकिस्तान से आए मामदखां के पत्र में उसके जीवित होने के समाचार हैं। यह पत्र 9 अक्टूबर 1995 को आया था। सीआईडी ने जांच कर इसे सही माना और रिपोर्ट में सालेखां के पाकिस्तान जाने का भी खुलासा किया।
तहसीलदार ने किया दावा
इधर जिला प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार शिव ने मामले की जांच के बाद तहसीलदार शिव की ओर से सालेखां के पाकिस्तान जाने को आधार मानते हुए जमीन को खालसा घोषित करने की अपील उपखण्ड अधिकारी शिव को कर दी।
कर दी खारिज
उपखण्ड अधिकारी शिव ने इस मामले में गुजरात की ग्राम पंचायत के प्रमाण पत्र को आधार मानते हुए मामले को खारिज कर दिया। यानि जमीन सालेखां की बहनों के नाम ही रहेगी ।
कलक्टर के निर्देश
जिला कलक्टर बाड़मेर ने इस मामले को गंभीर मानते हुए उपखण्ड अधिकारी शिव के निर्णय के खिलाफ तहसीलदार शिव को राजस्व अपील अधिकारी कोर्ट में अपील करने के निर्देश दिए हैं।
सवाल यह भी
एक ओर गुजरात की ग्राम पंचायत किया ने 15 अप्रेल 1994 को सालेखां की मृत्यु प्रमाण पत्र देते हुए वहीं दफनाने का जिक्र किया है, दूसरी ओर ग्राम पंचायत कोटड़ा ने भी 29 जुलाई 1994 को प्रमाणपत्र किया है जिसके अनुसार सालेखां का देहांत 15 अप्रेल 1994 को धोलकिया ग्राम पंचायत कोटड़ा में बताया है।
अपील करेंगे
इस मामले में अपील कर रहे हैं। चिट्ठी की प्रति सीआईडी व हमारे पास है। ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र भी है।
-प्यारेलाल सोंठवाल तहसीलदार शिव
बाड़मेर। सालेखां 1994 में पाकिस्तान गया या उसे गुजरात में दफन कर दिया? पाकिस्तान आई चिट्ठी उसे जिंदा बता रही है तो इधर बाड़मेर की कोटड़ा और गुजरात की किया ग्राम पंचायत की ओर से जारी प्रमाण पत्र उसे दफन करने के साक्ष्य पेश कर रहे हैं। सारा मामला संदेह के घेरे में है क्योंकि नि:संतान और कुंवारे सालेखां की जमीन को रिश्तेदारों ने इस दौरान अपने नाम करवा लिया।
शिव तहसील के कोटड़ा ग्राम पंचायत का निवासी सालेखां पुत्र अलीखां 1994 में अनाधिकृत रूप से पाकिस्तान चला गया। इसके नाम ग्राम पंचायत में 117 बीघा जमीन में आधा हिस्सा है। कुंवारा एवं नि:संतान होने के कारण तहसीलदार शिव की ओर से इसकी जमीन को खालसा करने की कार्यवाही की गई। इधर सालेखां के बहनोई मोहम्मद अली ने गुजरात की ग्राम पंचायत किया तहसील करजण से एक प्रमाण पत्र पेश किया कि सालेखां का देहांत 15 अप्रेल 1994 को हो गया और दफन कर दिया गया। साथ ही एक आवेदन पेश किया जिसमें माणकदे व सती (दोनों बहनें) को इसका वारिस और जमीन का हकदार बताया। इस पर 12 जून 1997 को पटवारी जूनेजों की बस्ती ने सालेखां को मृत मानते हुए जमीन का नामांतरणकरण दोनों बहिनों के नाम कर दिया।
चिट्ठी और जांच
नामांतरणकरण खुलने की बात सामने आने पर कोटडा के एक शख्स ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीआईडी (बीआई) को शिकायत की कि यह सब षडयंत्रपूर्वक हुआ है। सालेखां गुजरात में नहीं मरा, वह पाकिस्तान गया है। पाकिस्तान से आए मामदखां के पत्र में उसके जीवित होने के समाचार हैं। यह पत्र 9 अक्टूबर 1995 को आया था। सीआईडी ने जांच कर इसे सही माना और रिपोर्ट में सालेखां के पाकिस्तान जाने का भी खुलासा किया।
तहसीलदार ने किया दावा
इधर जिला प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार शिव ने मामले की जांच के बाद तहसीलदार शिव की ओर से सालेखां के पाकिस्तान जाने को आधार मानते हुए जमीन को खालसा घोषित करने की अपील उपखण्ड अधिकारी शिव को कर दी।
कर दी खारिज
उपखण्ड अधिकारी शिव ने इस मामले में गुजरात की ग्राम पंचायत के प्रमाण पत्र को आधार मानते हुए मामले को खारिज कर दिया। यानि जमीन सालेखां की बहनों के नाम ही रहेगी ।
कलक्टर के निर्देश
जिला कलक्टर बाड़मेर ने इस मामले को गंभीर मानते हुए उपखण्ड अधिकारी शिव के निर्णय के खिलाफ तहसीलदार शिव को राजस्व अपील अधिकारी कोर्ट में अपील करने के निर्देश दिए हैं।
सवाल यह भी
एक ओर गुजरात की ग्राम पंचायत किया ने 15 अप्रेल 1994 को सालेखां की मृत्यु प्रमाण पत्र देते हुए वहीं दफनाने का जिक्र किया है, दूसरी ओर ग्राम पंचायत कोटड़ा ने भी 29 जुलाई 1994 को प्रमाणपत्र किया है जिसके अनुसार सालेखां का देहांत 15 अप्रेल 1994 को धोलकिया ग्राम पंचायत कोटड़ा में बताया है।
अपील करेंगे
इस मामले में अपील कर रहे हैं। चिट्ठी की प्रति सीआईडी व हमारे पास है। ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र भी है।
-प्यारेलाल सोंठवाल तहसीलदार शिव
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