सोमवार, 15 अक्तूबर 2012

लालटेन की रोशनी में जीत लिया आसमान


लालटेन की रोशनी में जीत लिया आसमान


 बाड़मेर  आजादी के बाद से घर में बिजली नहीं आई। लालटेन की रोशनी घर का अंधेरा मिटाती है, लेकिन इस अंधेरे के बीच सुनहरे भविष्य का सपना संजोकर दिन रात मेहनत करने वाले एक ही गांव के छह युवक शिक्षक बन गए हैं। इनके अलावा गांव के पांच और युवक भी शिक्षक बने हैं। इस तरह एक ही गांव के एक साथ 11 युवक शिक्षक बने हैं जो अपने आप में मिसाल है। ये सभी अभावों से उठकर जिंदगी जीने वाले युवक हैं। गांव में पहली बार किसी को शिक्षक की नौकरी मिली है। 9 युवक किसान परिवार है तथा दो युवक ऐसे भी हैं जिन पर पूरे परिवार को पालने की जिम्मेदारी थी। ये खुशकिस्मत गांव है रावतसर। पहली बार एक साथ एक दर्जन युवकों के अध्यापक बनने से गांव में भी खुशी का माहौल है। रावतसर गांव में कई घरों तक आज भी बिजली नहीं पहुंच पाई है। लालटेन की इनकी रोशनी का सहारा है। बड़े बुजुर्ग पढ़े नहीं। अब जो पढ़ रहे हैं उनमें से कई लालटेन की रोशनी में ही पढ़ाई पूरी करते हैं। शिक्षक भर्ती की परीक्षा देने वाले युवकों ने भी ऐसी ही विकट परिस्थितियों में पढ़ाई कर परीक्षा दी। गांव के इन युवकों ने कॉलेज की पढ़ाई बाड़मेर से की, लेकिन घर की जरूरतों के कारण उन्हें गांव में ज्यादा रहना पड़ा। इन्होंने लालटेन की रोशनी में प्रतिदिन सात से आठ घंटे पढा़ई कर अपना लोहा मनवाया।

अच्छी खबर : आजादी के बाद पहली बार एक ही गांव के 11 युवक एक साथ बने अध्यापक, सात के घरों में बिजली तक नहीं, लालटेन की रोशनी के सहारे की पढ़ाई





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