कुंड।गांव धवाना के सहगोत्र विवाद को लेकर रविवार को हुई 21 गांवों की महापंचायत ने तुगलकी फरमान में प्रेमी जोड़े व उसके परिजनों का गांव में हुक्का-पानी बंद करने के साथ ही उन्हें समाज के किसी भी समारोह में बुलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
गांव धवाना में सहगोत्र विवाह विवाद को लेकर रविवार को हुई महापंचायत की पहले से ही सूचना मिलने पर पुलिस खासी सक्रिय नजर आई। रविवार को महापंचायत से पहले ही गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था।
पंचायत में लड़का पक्ष की ओर से उसके दादा सेवानिवृत्त कप्तान बनवारी लाल व लड़की के पिता करण सिंह पेश हुए। दोनों पक्षों ने कहा कि वे अपने बच्चों के एक ही गोत्र में विवाह को लेकर खिलाफ थे। उन्होंने इसका विरोध भी किया था। उनके बच्चों ने जब से विवाह रचाया है तभी से वे लोग उनसे अपना संबंध समाप्त कर चुके हैं। दोनों पक्षों ने कहा कि पंचायत जो भी निर्णय लेगी, उन्हें वह स्वीकार्य होगा। दोनों पक्षों की बातचीत सुनने के बाद पंचायत में सर्वसम्मति से 18 सदस्यीय एक कमेटी का गठन किया गया। एक घंटे तक चर्चा करने के बाद कमेटी ने निर्णय सुनाया। जिसमें सहगोत्र विवाह रचाने वाले युवक-युवती के अतिरिक्त उनके परिजनों का गांव व समाज से बहिष्कार करने तथा इनका हुक्का-पानी भी बंद करने का निर्णय लिया। जो भी ग्रामीण इस परिवार के साथ अपना संबंध रखेगा, उसका भी सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाएगा। पंचायत में निर्णय लिया गया कि प्रेमी युगल व उनके परिवार के लोगों पर गांव में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने पर भी पूर्णतया प्रतिबंध रहेगा।
सहगोत्र विवाह रचाने वाले एडवोकेट भागीरथ व उनकी पत्नी सुनीता ने फोन पर भास्कर से बातचीत में कहा कि पंचायती फरमान उन्हें किसी भी सूरत में बर्दाशत नहीं है। कोई भी पंचायत उन्हें गांव में प्रवेश करने से अथवा कार्यक्रम में शामिल होने से रोक नहीं सकती। अगर उन पर व परिवार के अन्य किसी सदस्य पर पंचायत द्वारा ज्याददती की गई तो कानून का सहारा लिया जाएगा।
गांव धवाना निवासी बनवारी लाल व करण सिंह का परिवार लगभग दो दशक से रेवाड़ी में ही रह रहा है। दोनों परिवार एक गांव के होने के साथ ही सुनारिया गोत्र के ही हैं। बनवारी लाल के पोते एडवोकेट भागीरथ व करण सिंह की बेटी सुनीता ने लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व आपस में सहगोत्र प्रेम विवाह रचा लिया था। हाल ही में प्रेमी युगल के घर एक कन्या का जन्म हुआ है। कन्या जन्म से पूर्व ग्रामीणों को इस सहगोत्र विवाह की जानकारी नहीं थी, लेकिन अब जब यह मामला ग्रामीणों के संज्ञान में आया तो गांव में इस सहगोत्र विवाह को लेकर रोष पैदा होता चला गया। २२ सितंबर को इस बाबत गांव धवाना में एक पंचायत आयोजित की गई थी। उस पंचायत के बाद ही इस महापंचायत का निर्णय लिया गया था। इस मामले में विवाह रचाने वाले युगल की ओर से उच्च न्यायालय में सुरक्षा को लेकर एक याचिका भी दायर की गई है।
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