दिल्ली की एक अदालत ने 'ऑनर किलिंग' के मामले में एक ही परिवार के पांच लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है.
ऑनर किलिंग का ये मामला दिल्ली के स्वरूप नगर का है, जहां वर्ष 2010 में योगेश और आशा की निर्दयता से हत्या कर दी गई थी.हत्या की वजह ये थी कि योगेश और आशा एक दूसरे से प्रेम करते थे, लेकिन दोनों की जाति अलग-अलग थी जिस पर आशा के परिवार वालों को ऐतराज़ था.
गोकुलपुरी में रहने वाले आशा और योगेश को, आशा के परिवार वालों ने स्वरूप नगर स्थित उसके चाचा के घर पर बुलाया था.
यहां उनकी बर्बरता से पिटाई की गई थी और उन्हें बिजली के झटके लगाए गए थे, जिसकी वजह से उन्होंने दम तोड़ दिया था.
अदालत ने इस मामले में पांच लोगों को हत्या का दोषी पाया है. इनमें आशा के माता-पिता, चाचा-चाची और एक चचेरा संबंधी शामिल है.
इन सभी को आशा-योगेश की हत्या के अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया गया था.
प्रेम, जाति और ऑनर किलिंग
"इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि अभियोजन ने बिना किसी संदेह के ये साबित कर दिया है कि इन आरोपियों ने युगल को रस्सी से बांधकर, उनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों में करेंट लगाकर बेहरमी से मारा"
रमेश कुमार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही ये व्यवस्था दी थी कि 'ऑनर किलिंग' के मामलों में दोषियों को मौत की सज़ा दी जानी चाहिए.
भारत में 'ऑनर किलिंग' के मामलों के सही आंकड़े उपलब्ध नहीं है, लेकिन एक हालिया सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश में हर साल उन सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाता है जो अपने परिवार की मर्जी के विपरीत अपना जीवनसाथी चुनते हैं.
आशा-योगेश के मामले में आशा के परिवार वालों की नजर में योगेश निचली जाति का था, इसलिए वे आशा की पसंद के खिलाफ थे.
भारत में ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों की शादी अपनी ही जाति में करना पसंद करते हैं और आमतौर पर दूसरी जाति में विवाह सही नहीं माना जाता.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार ने दोषियों को सज़ा सुनाते हुए कहा, ''इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि अभियोजन ने बिना किसी संदेह के ये साबित कर दिया है कि इन आरोपियों ने युगल को रस्सी से बांधकर, उनके शरीर के अलग-अलग हिस्सों में करंट लगाकर बेहरमी से मारा.''
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