खास रपट थार में चुनावी रणभेरी ...बिछने लगी राजनितिक बिसाते
मीणा छाये ,चतुर्वेदी हुए असफल
बाड़मेर हालांकि राजस्थान में विधानसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल का समय बाकी हें मगर राजनितिक दलों को यह समय चुनावी तयारियो के लिए कम लगाने लगा हें ,सभी राजनितिक दल आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अपनी अपनी बिसाते बिछाने में जुट गए हें ,थार नगरी में इन दिनों राजनीतिक हलचल बड़ी तेज़ी से आरम्भ हुई ,एक सप्ताह में भाजपा ,कांग्रेस तथा कथित तीसरे मोर्चे ने मालानी की इस पवित्र धरा से राजनितिक बिसात बिछा दी हें ,
इस सप्ताह राजनीति का सबसे बड़ा घटनाक्रम राजस्थान से निर्दलीय सांसद किरोडीलाल मीणा द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति के प्रदेश स्तरीय सम्मलेन में तीसरे मोर्चे की घोषणा रही .किरोडीलाल मीणा ने मरुधरा की इस पवित्र धरा से तीसरे मोर्चे के सपने को फलीभूत करने का संकल्प दोहराया तथा राजस्थान में शीघ्र तीसरे मोर्चे को मूर्त रूप देने का एलान कर भाजपा तथा सत्ताधारी कांग्रेस के दिन और रातो की नींद उड़ा ली .किरोडीलाल के तेवरों से स्पष्ट था की इस बार उनका इरादा भाजपा तथा कांग्रेस की बैशाखी बनाने की बजे उन्हें सीढ़ी टक्कर देने का मानस हें ,मीणा के तीसरे मोर्चे की घोषणा ने राजस्थान की राजनीति में नै हलचल पैदा कर राजनीती की नै इबादत लिखने की तयारी शुरू की हें वंही व्कांग्रेस पार्टी ने अपनी गिरती साख को सदस्यता अभियान के जरिये संभालने की कवायद आरम्भ कर आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कार्यकर्ताओ तथा पदाधिकारियों के मन में पुनः सत्ता में लौटने की उम्मीदों को परवान चढाने की पहस्ल शुरू की हें ,कांग्रेस पार्टी ने ब्लोक स्तर पर सदस्यता अभियान का आग़ाज़ कर कांग्रेस में युवाओं को जोड़ने की नै पहल शुरू कर साफ़ संकेत देने का प्रयास किया हें की उनकी सत्ता वापसी के दावो को हलके से ना लेने की भूल विरोधी दल ना करे .राहुल गांधी के युवाओं को जोड़ने के फोर्मुके के तहत राजस्थान में कांग्रेस ने सदस्यता अभियान के जरिये युवा वर्ग को रिझाने का काम शुरू किया हें ,कांग्रेस को इसमे कितनी सफलता मिलेगी यह समय के गर्भ में हें मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई कसार छोड़ना नहीं चाहते सत्ता वापसी के लिए ,इधर भाजपा ने भी कार्यकर्ताओ के मन तो टटोलने और उनमे जोश भरने के लिए प्रदेश स्तरीय नेताओ को थार के दौरे पर भेजना शुरू कर दिया ,गत सोप्ताह भाजपा के प्रदेश मुखिया अरुण चतुर्वेदी ने बालोतरा का दौरा किया ,अरुण चतुर्वेदी ने कार्यकर्ताओ को तगादा निराश किया ,गूत्बाज़ी की आग में जल रही बाड़मेर भाजपा में उन्होंने आग में घी डालने का काम किया ,जिले के स्तारुय नेता अमराम चौधरी की मंच पर अनदेखी को भाजपा कार्यकर्ता बर्दास्त नहीं कर पाए उन्होंने हंगामा खडा कर दिया ,प्रदेश मुखिया घर के मुखिया का दायित्व यंहा निभाने में विफल रहे ,उन्होंने कार्यकर्ताओ को समझनी की बजे कार्यकर्ताओ का तिरस्कार कर चलते बने ,इस प्रकार कार्यकर्ताओ के गुस्से को समझदारी से शांत करने की बजे अरुण चतुर्वेदी बैठक शुरू होने से पहले ही चलते बने ,अरुण चतुर्वेदी को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सबक लेना चाहिए की कार्यकर्ताओ से कैसे व्यवहार करना चाहिए ,अरुण चतुर्वेदी ने अपने आप को थार में कमज़ोर साबित कर कांग्रेस का काम आस्दन कर गए ,थार वासियों को अरुण चतुर्वेदी के नेतृत्व पर बार बार उठ रहे संदेह का कारण समज्घ में आ गया ,इस सप्ताह भाजपा के वरिष्ठ नेता ओंकार सिब्न्घ लखावत भी आये उन्होंने भाजपा की बैठक भी ली ,मगर लखावत जैसे कद्दावर और जन प्रिय नेता की उपस्थिति के बावजूद भाजपा के कार्यकर्ता सम्मलेन से गायब थे ,भाजपा गुटबाजी से ऊपर उठ नहीं पा रही ऐसे हालत भाजपा के लिए कई मुश्किले खादी कर सकते हें ,राष्ट्रीय नेत्य्रात्व तत्य्हा प्रदेश के नेताओ को संगठन को मजबूत बनाने के परायण करने होंगे नहीं तो आगामी विधान सभा चुनावो में नतीजे धाक के तीन पात सामान ही रहेंगे ,कांग्रेस और भाजपा आगामी विधान सभा चुनावो के मद्देनज़र अभी से तयारियो में जूट गई हें कांग्रेस जन्हा एक सूत्र में लग रही हें वही भाजपा में बिखराव साफ़ नज़र आ रहा हें ,जो उसकी मालानी में चुनावी जाजम खिसकने का संकेत दे रही हें ,बहरहाल थार की धरा पर आगामी विधान सभा चुनावों को रणभेरी बज गई हें ,योद्धा मैदान में हें ,अभी कई दौर उतार चदाव के दोनों दलो के आयेंगे ,जो दल कार्यकर्ताओ पर विजय पायेगा वही जीत में रहेगा
मीणा छाये ,चतुर्वेदी हुए असफल
बाड़मेर हालांकि राजस्थान में विधानसभा चुनावों में अभी डेढ़ साल का समय बाकी हें मगर राजनितिक दलों को यह समय चुनावी तयारियो के लिए कम लगाने लगा हें ,सभी राजनितिक दल आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अपनी अपनी बिसाते बिछाने में जुट गए हें ,थार नगरी में इन दिनों राजनीतिक हलचल बड़ी तेज़ी से आरम्भ हुई ,एक सप्ताह में भाजपा ,कांग्रेस तथा कथित तीसरे मोर्चे ने मालानी की इस पवित्र धरा से राजनितिक बिसात बिछा दी हें ,
इस सप्ताह राजनीति का सबसे बड़ा घटनाक्रम राजस्थान से निर्दलीय सांसद किरोडीलाल मीणा द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति के प्रदेश स्तरीय सम्मलेन में तीसरे मोर्चे की घोषणा रही .किरोडीलाल मीणा ने मरुधरा की इस पवित्र धरा से तीसरे मोर्चे के सपने को फलीभूत करने का संकल्प दोहराया तथा राजस्थान में शीघ्र तीसरे मोर्चे को मूर्त रूप देने का एलान कर भाजपा तथा सत्ताधारी कांग्रेस के दिन और रातो की नींद उड़ा ली .किरोडीलाल के तेवरों से स्पष्ट था की इस बार उनका इरादा भाजपा तथा कांग्रेस की बैशाखी बनाने की बजे उन्हें सीढ़ी टक्कर देने का मानस हें ,मीणा के तीसरे मोर्चे की घोषणा ने राजस्थान की राजनीति में नै हलचल पैदा कर राजनीती की नै इबादत लिखने की तयारी शुरू की हें वंही व्कांग्रेस पार्टी ने अपनी गिरती साख को सदस्यता अभियान के जरिये संभालने की कवायद आरम्भ कर आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कार्यकर्ताओ तथा पदाधिकारियों के मन में पुनः सत्ता में लौटने की उम्मीदों को परवान चढाने की पहस्ल शुरू की हें ,कांग्रेस पार्टी ने ब्लोक स्तर पर सदस्यता अभियान का आग़ाज़ कर कांग्रेस में युवाओं को जोड़ने की नै पहल शुरू कर साफ़ संकेत देने का प्रयास किया हें की उनकी सत्ता वापसी के दावो को हलके से ना लेने की भूल विरोधी दल ना करे .राहुल गांधी के युवाओं को जोड़ने के फोर्मुके के तहत राजस्थान में कांग्रेस ने सदस्यता अभियान के जरिये युवा वर्ग को रिझाने का काम शुरू किया हें ,कांग्रेस को इसमे कितनी सफलता मिलेगी यह समय के गर्भ में हें मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोई कसार छोड़ना नहीं चाहते सत्ता वापसी के लिए ,इधर भाजपा ने भी कार्यकर्ताओ के मन तो टटोलने और उनमे जोश भरने के लिए प्रदेश स्तरीय नेताओ को थार के दौरे पर भेजना शुरू कर दिया ,गत सोप्ताह भाजपा के प्रदेश मुखिया अरुण चतुर्वेदी ने बालोतरा का दौरा किया ,अरुण चतुर्वेदी ने कार्यकर्ताओ को तगादा निराश किया ,गूत्बाज़ी की आग में जल रही बाड़मेर भाजपा में उन्होंने आग में घी डालने का काम किया ,जिले के स्तारुय नेता अमराम चौधरी की मंच पर अनदेखी को भाजपा कार्यकर्ता बर्दास्त नहीं कर पाए उन्होंने हंगामा खडा कर दिया ,प्रदेश मुखिया घर के मुखिया का दायित्व यंहा निभाने में विफल रहे ,उन्होंने कार्यकर्ताओ को समझनी की बजे कार्यकर्ताओ का तिरस्कार कर चलते बने ,इस प्रकार कार्यकर्ताओ के गुस्से को समझदारी से शांत करने की बजे अरुण चतुर्वेदी बैठक शुरू होने से पहले ही चलते बने ,अरुण चतुर्वेदी को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सबक लेना चाहिए की कार्यकर्ताओ से कैसे व्यवहार करना चाहिए ,अरुण चतुर्वेदी ने अपने आप को थार में कमज़ोर साबित कर कांग्रेस का काम आस्दन कर गए ,थार वासियों को अरुण चतुर्वेदी के नेतृत्व पर बार बार उठ रहे संदेह का कारण समज्घ में आ गया ,इस सप्ताह भाजपा के वरिष्ठ नेता ओंकार सिब्न्घ लखावत भी आये उन्होंने भाजपा की बैठक भी ली ,मगर लखावत जैसे कद्दावर और जन प्रिय नेता की उपस्थिति के बावजूद भाजपा के कार्यकर्ता सम्मलेन से गायब थे ,भाजपा गुटबाजी से ऊपर उठ नहीं पा रही ऐसे हालत भाजपा के लिए कई मुश्किले खादी कर सकते हें ,राष्ट्रीय नेत्य्रात्व तत्य्हा प्रदेश के नेताओ को संगठन को मजबूत बनाने के परायण करने होंगे नहीं तो आगामी विधान सभा चुनावो में नतीजे धाक के तीन पात सामान ही रहेंगे ,कांग्रेस और भाजपा आगामी विधान सभा चुनावो के मद्देनज़र अभी से तयारियो में जूट गई हें कांग्रेस जन्हा एक सूत्र में लग रही हें वही भाजपा में बिखराव साफ़ नज़र आ रहा हें ,जो उसकी मालानी में चुनावी जाजम खिसकने का संकेत दे रही हें ,बहरहाल थार की धरा पर आगामी विधान सभा चुनावों को रणभेरी बज गई हें ,योद्धा मैदान में हें ,अभी कई दौर उतार चदाव के दोनों दलो के आयेंगे ,जो दल कार्यकर्ताओ पर विजय पायेगा वही जीत में रहेगा
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