अपर जिला न्यायाधीश (एडीजे) सुजाता कोहली ने कहा, "मैं इस निष्कर्ष पर पहुंची कि याची नंबर दो (पति) केवल टीटू जसाल है, जिसने अपनी पहचान सुरिंदर के रूप में पेश कर तलाक का फैसला लेने की कोशिश की ताकि महिला और किसी सुरिंदर नाम के व्यक्ति के बीच तलाक हो जाए। अदालत इन पक्षों से बिल्कुल संतुष्ट नहीं है, खासकर याची संख्या दो से जो खुद को सुरिंदर होने का दावा करता है। इसलिए याचिका दायर करने वाले हिंदू विवाह कानून के प्रावधानों के तहत तलाक आदेश पाने के हकदार नहीं हैं।"
दिल्ली के रहने वाले इस जोड़े ने तलाक याचिका में दावा किया था कि वे वर्ष 2004 से शादीशुदा हैं लेकिन दोनों के स्वभाव में मेलजोल नहीं है, इस वजह से तलाक चाहते हैं। उनका कहना था कि वे 26 जनवरी 2008 से ही अलग-अलग रह रहे हैं।
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार तलाक मांगने वाला टीटू है लेकिन वह सुरिंदर नहीं है जैसा कि वह दावा कर रहा था। अदालत टीटू नाम से तलाक आदेश देने को तैयार थी लेकिन दोनों इसके लिए राजी नहीं हुए।
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