सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

मरांडी की पार्टी ने छोड़ा यूपीए का साथ



यूपीए को तीन झटके

नई दिल्ली/रांची/चेन्नई। रिटेल में एफडीआई का फैसला यूपीए के गले की फांस बनता जा रहा है। एक ओर जहां उसे विपक्ष के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं एक एक कर सहयोगी भी उससे छिटकते जा रहे हैं। सोमवार को झारखण्ड विकास मोर्चा (पी) ने भी यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

उधर तृणमूल कांग्रेस ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही है। वहीं डीएमके ने एफडीआई के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करने की बात कहकर सरकार को और मुश्किल में डाल दिया है। उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस पहले ही यूपीए से समर्थन वापस ले चुकी है।

मरांडी की पार्टी ने छोड़ा यूपीए का साथ

तृणमूल कांग्रेस के बाद झारखण्ड विकास मोर्चा(पी) ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। पार्टी ने यूपीए सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में समर्थन वापस लिया है। पार्टी के महासचिव प्रदीप यादव और लोकसभा सांसद अजय कुमार ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यूपीए से समर्थन वापस लेने की घोषणा की। कुमार के अलावा पार्टी अध्यक्ष और झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी पार्टी से सांसद हैं।

कुमार और यादव ने कहा कि हम यूपीए सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं। हम जल्द ही राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करेंगे और उन्हें समर्थन वापसी का पत्र सौंप देंगे। हमारी पार्टी रिटेल में एफडीआई,डीजल के दाम में बढ़ोतरी और रसोई गैस के सिलेण्डरों पर दी जा रही सब्सिडी में कटौती के खिलाफ है।


डीएमके करेगी प्रस्ताव का समर्थन





रिटेल में एफडीआई को लेकर डीएमके ने भी सरकार को आंख दिखानी शुरू कर दी है। डीएमके ने कहा है कि अगर रिटेल में एफडीआई के खिलाफ संसद में कोई प्रस्ताव आता है तो पार्टी उसका समर्थन करेगी। चेन्नई में पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया।


तृणमूल कांग्रेस ने सरकार को मुश्किल में डालने के लिए नया दाव चला है। अगर यह दाव चल गया तो यूपीए का जहाज डूब भी सकता है। तृणमूल कांग्रेस ने संसद में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कही है। तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा है कि अगर समाजवादी पार्टी समर्थन करें तो वह संसद में अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। समाजवादी पार्टी पहले ही कह चुकी है कि वह संसद में अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। ऎसे में ममता का दाव सरकार पर भारी पड़ता दिख रहा है।

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