बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

बूढ़ी मां को आठ साल बाद मिला न्याय



बूढ़ी मां को आठ साल बाद मिला न्याय


जोधपुर। बाइस साल पहले पति के क्रूरतापूर्ण व्यवहार के कारण अपना घर छोड़ने को मजबूर हुई एक मां ने जैसे-तैसे तीन बेटों को पाल-पोस कर बड़ा तो कर दिया, लेकिन उसकी परेशानियां और दु:ख बुढापे में भी कम नहीं हुए। बीमारियों से जूझती मां को आठ साल तक अदालत में न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ा। आखिर अदालत ने उसका प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए तीनों पुत्रों को सात-सात सौ रूपए भरण पोषण के रूप में मां को अदा करने के आदेश दिए हैं।

कीर्तिनगर मगरा पूंजला निवासी सरोज ने अदालत में दायर प्रार्थना पत्र में कहा कि 22 वर्ष पहले उसके पति ने मारपीट कर घर से निकाल दिया था। तीन बेटों को पाल पोस कर बड़ा किया। अब बेटे अपने पिता के पास रहते हैं और तीनों कमाते हैं। उसका भरण पोषण करने वाला कोई नहीं हैं।

सुनवाई के बाद पारिवारिक न्यायालय संख्या-2 के न्यायाधीश जगदीश प्रसाद शर्मा ने तीनों पुत्र कैलाश, धीरेन्द्र व विनोद को सात-सात सौ रूपए कुल 21 सौ रूपए प्रतिमाह भरण पोषण के रूप में अदा करने के आदेश दिए। साथ ही मुकदमा दायर करने के वर्ष 2004 से फैसला होने तक यानी 2012 तक तीन-तीन सौ रूपए प्रतिमाह से हिसाब से अलग से राशि देने को कहा।

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