.राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव सुधार की खातिर ग्राम पंचायतों के पुनर्सीमांकन का काम उसके माध्यम से कराने, पंच-सरपंच के चुनाव में नामांकन-मतदान के बीच पांच दिन का समय देने, अमानत राशि बढ़ाने और सीटों का आरक्षण आयोग के माध्यम कराने के महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। इन पर फैसला कब होगा, अभी तय नहीं है, लेकिन नामांकन व मतदान के बीच अंतराल जैसे सुझावों को अगले माह होने वाले पंचायती राज के उपचुनावों में परीक्षण के तौर पर शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।
सुझाव मंजूर हुआ तो 3500 से अधिक पंचायतें बढ़ जाएंगी:आयोग ने 2011 की जनसंख्या के आधार पर नई पंचायतें गठित करने को कहा है। अभी 1991 की जनसंख्या के आधार पर 9,177 पंचायतें हैं। अधिकारियों के अनुसार राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के अनुरूप 2011 की जनगणना के अनुसार ग्राम पंचायतों का पुनर्सीमांकन करना जरूरी है। इस आधार पर पंचायती राज विभाग पुनर्सीमांकन करे तो 3500 से अधिक पंचायतें बढ़ जाएंगी।
इनके साथ ही 14,000 से अधिक वार्ड पंच, जिला परिषदों और पंचायत समितियों के सदस्य बढ़ जाएंगे। हमारा विभाग राज्य निर्वाचन आयोग के सुझावों पर विचार कर रहा है।
- सीएस राजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग
- सीएस राजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग
ग्राम पंचायतें बढऩे का आधार राज्य में 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या 5,15,40,206 है और एक ग्राम पंचायत के लिए कम से कम 4,000 की जनसंख्या होना जरूरी है। इसके मुताबिक 12,885 पंचायतें होनी चाहिए, जबकि अभी 9,177 ही हैं। जाहिर है कि 3,708 पंचायतें कम हैं।
इसलिए बनाया प्रस्ताव:राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त एके पांडे का कहना है कि पंच-सरपंचों के चुनाव में एक ही दिन में नामांकन भरना, फार्म वापस लेना और अंतिम सूची जारी करने का काम होता है। इसके बाद चुनाव पार्टी के लोगों को रात-रात भर बैठकर हाथ से मतपत्र तैयार करना होता। पुनर्सीमांकन समय पर नहीं होने से भी प्रतिनिधित्व का असंतुलन हो रहा है। आरक्षण भी आयोग से माध्यम से हो, तो संतुलन बना रह सकता है।
इसलिए बनाया प्रस्ताव:राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त एके पांडे का कहना है कि पंच-सरपंचों के चुनाव में एक ही दिन में नामांकन भरना, फार्म वापस लेना और अंतिम सूची जारी करने का काम होता है। इसके बाद चुनाव पार्टी के लोगों को रात-रात भर बैठकर हाथ से मतपत्र तैयार करना होता। पुनर्सीमांकन समय पर नहीं होने से भी प्रतिनिधित्व का असंतुलन हो रहा है। आरक्षण भी आयोग से माध्यम से हो, तो संतुलन बना रह सकता है।
बदलाव का संभावित असर:पंचायती राज विभाग का मानना है कि चुनाव में मतदान से पहले समय देने से पंच-सरपंच प्रत्याशियों का चुनाव खर्च बढ़ जाएगा। कानून व्यवस्था बिगडऩे का भी अंदेशा रहेगा। पंचायती राज विभाग ने वार्डों के पुनर्सीमांकन, सीटों के आरक्षण, उपसरपंचों के चुनाव आयोग से करवाने, सरपंचों के लिए शैक्षणिक योग्यता १०वीं तक रखने के सुझावों पर असहमति जता चुका है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने अवश्य अन्य राज्यों की स्थिति जानने का सुझाव दिया था, जिसकी पूर्ति कर दी गई है।
चुनाव सुधार के लिएः कुछ और सुझाव
चुनाव सुधार के लिएः कुछ और सुझाव
> विधानसभा और पंचायती राज चुनाव के लिए एक ही मतदाता सूची हो।
> चुनाव में अमानत राशि सामान्य प्रत्याशी के लिए 5000 रु. (अभी 500), आरक्षित वर्ग के लिए 2500 रु. (अभी 250 रु.) हो।
> सीटों पर आरक्षण की व्यवस्था आयोग के माध्यम से समय रहते हो।
> चार से अधिक नामांकन नहीं भरने की व्यवस्था हो।
> निर्वाचित के खिलाफ याचिका का अधिकार आम आदमी को दिया जाए।
> राज्य के बाहर तैनात सैन्यकर्मियों और उनके परिजनों को पंचायत चुनाव में मताधिकार मिले।
> चुनाव में अमानत राशि सामान्य प्रत्याशी के लिए 5000 रु. (अभी 500), आरक्षित वर्ग के लिए 2500 रु. (अभी 250 रु.) हो।
> सीटों पर आरक्षण की व्यवस्था आयोग के माध्यम से समय रहते हो।
> चार से अधिक नामांकन नहीं भरने की व्यवस्था हो।
> निर्वाचित के खिलाफ याचिका का अधिकार आम आदमी को दिया जाए।
> राज्य के बाहर तैनात सैन्यकर्मियों और उनके परिजनों को पंचायत चुनाव में मताधिकार मिले।
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