सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

'हिन्दुस्तान के मोमिनों से मोहब्बत की खुश्बू आती है'



बाड़मेर मुसलमानों के जितने भी मुल्क है उन सब में पैगम्बर ए इस्लाम मोहम्मद्दूर रसूलुल्लाह सल्लललाहो वा आलैही वसल्लम को हिन्दी मुसलमानों से ज्यादा मोहब्बत थी। उन्होंने वतन के लिए मोमिनों को मर मिटने का जज्बा पैदा किया था। यह बात दारूल उलूम फैजे सिद्दिकिया सुजा शरीफ के हजरत अल्लामा पीर सैयद गुलाम हुसैन शाह जीलानी की सरपरस्ती में स्थानीय गेहूं रोड स्थित ईदगाह में आयोजित इफ्तिताहे ईदगाह का दुआइयां समारोह में कही। इस अवसर पर हजारों की तादाद में मोमीन भाईयों ने आपसी भाईचारा, अमनों-अमान, देश की खुशहाली व तरक्की की दुआएं की। इस अवसर पर पीर साहब की मौजूदगी में 101 मोमीन भाईयों ने ईदगाह के विकास व विस्तार में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हुए तहे दिल से सहयोग दिया। इस मौके हजरत अल्लामा पीर सैयद गुलाम हुसैन शाह जीलानी ने मुस्लिम भाईयों को एकजुट होने की अपील करते हुए कहा कि मुसलमान को किसी गीबत करना हराम के बराबर है। फतवे से दूर रहना चाहिए। दीन का नुकसान करने वाला व्यक्ति मुसलमान नहीं हो सकता। नेक काम करने वालों को खुदा अजर अता फरमाता है। बासनी नागौर के हजरत मौलाना अब्बुबकर अशरफी ने कहा कि हर इंसान को जिंदा दिल व रहम दिल बनना चाहिए। जिस तरह धरती दुनिया के लोगों के लिये सोना उगलती है। उसी तरह से उस पर रहने वाले लोगों को रहम दिल व जिंदा दिल बनना चाहिए। जो दुनिया में रहकर दीन ए इस्लाम को फैलाएगा खुदा दुनिया व आखिरत में उसे कामयाब करेगा। मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी के सदर नजीर मोहम्मद ने मुस्लिम भाईयों का आभार व्यक्त करते हुए मोमीन भाईयों को एकजुट होने तथा ईदगाह, जामा मस्जिद, फातिया चौक, मुस्लिम मुसाफिर खाना, मदरसों सहित समाज के अन्य भवनों के विकास व विस्तार के लिये अधिकाधिक सहयोग करने की अपील की।

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