रविवार, 7 अक्तूबर 2012

आरटेट में 55 प्रतिशत से कम तो शिक्षक नहीं



जयपुर। हाई कोर्ट ने आरटैट में 55 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को तृतीय श्रेणी शिक्षक नियुक्ति का पात्र नहीं माना है। साथ ही, चयन से पहले पात्रता में छूट का लाभ लेने वाले आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को मेरिट में आने पर सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति देने की छूट दी है। न्यायाधीश मनीष भण्डारी ने विकास कुमार अग्रवाल व अन्य की याचिकाओं पर शनिवार को यह फैसला सुनाया। याचिकाओं में कहा गया था कि एनसीटीई ने इस भर्ती के लिए आरटेट योग्यता तय की, अगस्त 2010 में एनसीटीई ने राज्य सरकार को योग्यता में छूट देने की स्वतंत्रता दे दी। इस पर राज्य सरकार ने न्यूनतम अंकों में 10 से 20 प्रतिशत की छूट दे दी।
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प्रार्थीपक्ष ने कहा, सरकार को छूट देने का अघिकार नहीं था, क्योंकि एनसीटीई ने जुलाई 11 में अगस्त 2010 की अघिसूचना में संशोधन कर आरक्षित वर्ग के लिए छूट को 5 प्रतिशत तक सीमित कर दिया था। सभी राज्यों को समान छूट देने के मकसद से यह प्रावधान किया गया, ऎसे में राज्य सरकार अघिक छूट नहीं दे सकती। कुछ याचिकाओं में आरक्षण के तहत छूट पाकर अघिक अंक लाने वालों को सामान्य वर्ग के पदों पर नियुक्ति को भी चुनौती दी थी।

कोर्ट ने कहा कि पात्रता में छूट एनसीटीई ही दे सकता है। चयन से पहले छूट का लाभ लेने पर आरक्षित अभ्यर्थी अघिक अंक लाने पर सामान्य के पदों पर नियुक्ति पा सकता है, लेकिन चयन के दौरान छूट लेने वाला आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य पदों पर नियुक्ति नहीं दी जा सकती।

महिला वर्ग का मामला लम्बित
कोर्ट आरक्षित वर्ग की महिलाओं को सामान्य महिला पदों पर नियुक्ति के खिलाफ याचिकाओं पर आगे सुनवाई करेगा।

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