नई दिल्ली। आईएसी के सदस्य अरविंद केजरीवाल मंगलवार को एक बार फिर डीएलएफ और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा पर हमला बोला। इस बार उनके निशाने पर हरियाणा सरकार भी आ गई।
केजरीवाल ने कहा एक संवाददाता सम्मेलन में कुछ कागजात पेश करते हुए कहा कि वाड्रा को उपकृत करने के लिए हरियाणा सरकार ने सारे कानून कायदे ताक पर रख दिए। सरकार ने अस्पताल की जमीन सस्ते दामों में सेज के लिए दे दी। सेज में वाड्रा की 50 फीसदी हिस्सेदारी है।अस्पताल की जमीन पर सेज मानेसर के किसानों के साथ धोखा है। केजरीवाल ने दावा किया कि इसके उनके पास सबूत हैं जो उन्हें किसानों ने उपलब्ध कराए हैं। जमीन के इस लेनदेने में वाड्रा और हरियाणा सरकार में साठगांठ तो है ही साथ ही सरकार वाड्रा की एजेंट बन गई है।
मालूम हो कि शुर्कवार को भी केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि वाड्रा ने गुड़गांव में और अन्य स्थानों पर बाजार दर से कम कीमत पर सम्पत्तियां खरीदी और भारी मुनाफे पर उन्हें बेची। केजरीवाल ने बताया कि डीएलएफ ने कहा कि उसने वाड्रा को कोई भी जोखिम भरा ऋण नहीं दिया। लेकिन कम्पनीज ऑफ रजिस्ट्रार से मिले कागज कुछ और कहानी कह रहे हैं। डीएलएफ ने 65 करोड़ रूपए नहीं बल्कि 85 करोड़ रूपए जोखिम वाला ऋण दिया।
ये हुआ था खेल
केजरीवाल का कहना था कि किसानों से 20 लाख रूपए एकड़ के हिसाब से जमीन ली और डीएलएफ को बेचा 5 करोड़ रूपए एकड़ के हिसाब से। हुaा ने 75 एकड़ जमीन किसानों से ली कि वे सड़क और नाले बनाएंगे लेकिन ये सारी जमीन डीएलएफ को दे दी गई। हरियाणा सरकार ने डीएलएफ को जमीन मिले इसलिए किसानों को जमीन अधिग्रहण का नोटिस जारी कर दिया जिससे किसानों ने घबराकर अपनी जमीनें कम दामों में डीएलएफ को बेच दी ताकी सरकार उनकी जमीनें कम से कम मुफ्त में अधिग्रहित न कर पाएं।
350 एकड़ जमीन सिरफ 1700 करोड़ में
केजरीवाल ने कहा कि हुडा ने 75 एकड जमीन डीएलएफ को दे दी। इसी तरह 350 एकड़ जमीन 1700 करोड़ में दे दी। जबकि इस जमीन की नीलामी के समय तीन कंपनियों ने आवेदन किया था। इनमें से दो कंपनियों के आवेदन रदद कर दिए। डीएलएफ की 6 कंपनियों ने किसानों से सीधे जमीन खरीद की। केजरीवाल ने सवाल किया कि आखिर वाड्रा ने एडवांस देने के बाद जमीन क्यों नहीं ली।
बन गए 50 फीसदी हिस्से के मालिक
केजरीवाल का कहना था कि 2 फरवरी ए 2007 को डीएलएफ ने कंपनी बनाई। बाद में रॉबर्ड वाड्रा इस कंपनी के 50 पसेंüट शेयर होल्डर बन गए।
बनना था अस्पताल,बना सेज
गुड़गांव में 30 एकड़ जमीन में अस्पताल बनाना था, जिसके लिए अधिसूचना भी जारी हो चुकी थी। लेकिन अस्पताल बनाने के बजाए हरियाणा सरकार ने 9 मार्च 2007 को यह जमीन सेज बनाकर डीएलएफ को सौंप दी। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने इसे फैसले को रद्द करते हुए कहा था कि इस केस के तथ्यों से साफ होता है कि हरियाणा सरकार और डीएलएफ के बीच में साठगांठ है।
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