पीएम के भाषण में हंगामा,कपड़े उतारे
नई दिल्ली। आर्थिक विकास के लिए डीजल की दरों में बढ़ोतरी को सही करार देने और महंगाई पर दो टूक बयान देने वाले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को शनिवार को राजधानी में खुले विरोध का सामना करना पड़ा। विज्ञान भवन में पीएम जैसे ही भाषण देने के लिए खड़े हुए,एक शख्स मैज पर चढ़ गया और शर्ट उतार कर डीजल के बढ़े दामों को वापस लेने के नारे लगाने लगा। हालांकि,इस हंगामे के बाद भी पीएम ने अपना भाषण पूरा किया और फिर एक बार आर्थिक विषयों पर लिए गए फैसलों को सही ठहराया।
जानकारी के अनुसार विज्ञान भवन में आर्थिक विकास विषय पर अयोजित अकादमिक सम्मेलन में डॉ. सिंह के भाषण के ठीक पहले यह शख्स मैज पर चढ़ गया और नारे लगाने लगा। पीएम के भाषण स्थल से महज चंद मीटर दूरी पर इस हंगामे को शांत करते हुए एसपीजी के जवानों ने संतोष सुमन नाम के इस व्यक्ति को हिरासत में ले लिया।
प्रधानमंत्री डॉ. सिंह ने इस विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज करते हुए अपने भाषण में फिर से आर्थिक विषयों में लिए फैसलों को सही ठहराया और दूसरे देशों से सीख लेने की बात कही।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को पीएम ने केंद्र सरकार द्वारा हाल में आर्थिक सुधारों पर लिए गए निर्णय का बचाव करते हुए कहा था कि देश-विदेश में निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए कड़े निर्णय लेने जरूरी थे। डॉ. सिंह ने सख्त अंदाज में कहा कि पैसा पेड़ों पर नहीं लगता। समय पर डीजल के दाम नहीं बढ़ाते तो सब्सिडी का बोझ बढ़कर दो लाख करोड़ रूपए हो जाता। इतना पैसा कहां से लाते।
लालू की पार्टी का निकला,दिल्ली ईकाई भंग
जानकारी के अनुसार एसपीजी की टीम की शुरूआती पूछताछ में सामने आया है कि प्रदर्शनकारी शख्स सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से जुड़ा है और उसके पास से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी का पहचान पत्र भी मिला है। कहा जा रहा है कि यह शख्स पीएम के खिलाफ नोट के बदले वोट मामले में केस भी कर चुका है। आरजेडी के कार्यकर्ता का नाम सामने आने पर लालू प्रसाद यादव ने पार्टी की दिल्ली प्रदेश ईकाई को भंग करते हुए हिदायत दी है कि बिना पुख्ता जांच-पड़ताल के ऎसे गैरजिम्मेदार लोगों को पार्टी से नहीं जोड़ा जाए।
17 रूपए बढ़ाने थे 5 ही बढ़ाए
वित्तीय घटा कम करने के लिए डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी जरूरी थी। यह बढ़ोतरी 17 रूपए प्रति लीटर तक बढ़ना चाहिए थी। लेकिन सरकार ने सिर्फ पांच रूपए ही बढ़ाए। भारी मात्रा में डीजल का उपयोग बड़ी कारों और स्पोट्üस यूटिलिटी वाहनों द्वारा किया जाता है, जो अमीर लोग या कम्पनियों के पास होता है। क्या सरकार को उन्हें रियायत देकर भारी वित्तीय घाटा वहन करना चाहिए।
नई दिल्ली। आर्थिक विकास के लिए डीजल की दरों में बढ़ोतरी को सही करार देने और महंगाई पर दो टूक बयान देने वाले प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को शनिवार को राजधानी में खुले विरोध का सामना करना पड़ा। विज्ञान भवन में पीएम जैसे ही भाषण देने के लिए खड़े हुए,एक शख्स मैज पर चढ़ गया और शर्ट उतार कर डीजल के बढ़े दामों को वापस लेने के नारे लगाने लगा। हालांकि,इस हंगामे के बाद भी पीएम ने अपना भाषण पूरा किया और फिर एक बार आर्थिक विषयों पर लिए गए फैसलों को सही ठहराया।
जानकारी के अनुसार विज्ञान भवन में आर्थिक विकास विषय पर अयोजित अकादमिक सम्मेलन में डॉ. सिंह के भाषण के ठीक पहले यह शख्स मैज पर चढ़ गया और नारे लगाने लगा। पीएम के भाषण स्थल से महज चंद मीटर दूरी पर इस हंगामे को शांत करते हुए एसपीजी के जवानों ने संतोष सुमन नाम के इस व्यक्ति को हिरासत में ले लिया।
प्रधानमंत्री डॉ. सिंह ने इस विरोध प्रदर्शन को नजरअंदाज करते हुए अपने भाषण में फिर से आर्थिक विषयों में लिए फैसलों को सही ठहराया और दूसरे देशों से सीख लेने की बात कही।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को पीएम ने केंद्र सरकार द्वारा हाल में आर्थिक सुधारों पर लिए गए निर्णय का बचाव करते हुए कहा था कि देश-विदेश में निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए कड़े निर्णय लेने जरूरी थे। डॉ. सिंह ने सख्त अंदाज में कहा कि पैसा पेड़ों पर नहीं लगता। समय पर डीजल के दाम नहीं बढ़ाते तो सब्सिडी का बोझ बढ़कर दो लाख करोड़ रूपए हो जाता। इतना पैसा कहां से लाते।
लालू की पार्टी का निकला,दिल्ली ईकाई भंग
जानकारी के अनुसार एसपीजी की टीम की शुरूआती पूछताछ में सामने आया है कि प्रदर्शनकारी शख्स सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन से जुड़ा है और उसके पास से लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी का पहचान पत्र भी मिला है। कहा जा रहा है कि यह शख्स पीएम के खिलाफ नोट के बदले वोट मामले में केस भी कर चुका है। आरजेडी के कार्यकर्ता का नाम सामने आने पर लालू प्रसाद यादव ने पार्टी की दिल्ली प्रदेश ईकाई को भंग करते हुए हिदायत दी है कि बिना पुख्ता जांच-पड़ताल के ऎसे गैरजिम्मेदार लोगों को पार्टी से नहीं जोड़ा जाए।
17 रूपए बढ़ाने थे 5 ही बढ़ाए
वित्तीय घटा कम करने के लिए डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी जरूरी थी। यह बढ़ोतरी 17 रूपए प्रति लीटर तक बढ़ना चाहिए थी। लेकिन सरकार ने सिर्फ पांच रूपए ही बढ़ाए। भारी मात्रा में डीजल का उपयोग बड़ी कारों और स्पोट्üस यूटिलिटी वाहनों द्वारा किया जाता है, जो अमीर लोग या कम्पनियों के पास होता है। क्या सरकार को उन्हें रियायत देकर भारी वित्तीय घाटा वहन करना चाहिए।
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