नई दिल्ली.भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता जसवंत सिंह ने कहा है अगला विधानसभा चुनाव प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।
वे ही प्रदेश में पार्टी की प्रमुख नेता हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद भी अपना अगला लोकसभा चुनाव राजस्थान से ही लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वे किस क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरेंगे। उनसे बेबाक बातचीत के अंश :
आज के राजस्थान पर आप क्या कहेंगे?
>राजनीति का स्वरूप बहुत बदल गया है। इस प्रदेश की राजनीति की एक बड़ी कमी है। सुखाड़िया पूरे राजस्थान के नेता गिने गए। उनकी पहचान प्रदेश से बाहर भी रही। शेखावत की साख भी पूरे देश और प्रदेश में रही। मैं तो शुरू से ही राजस्थान के बाहर देश की राजनीति में रहा, लेकिन आज प्रदेश की राजनीति सूबाई ही नहीं, जिलों में सिमटकर रह गई। ..इसे आत्म स्तुति नहीं गिनना ..कि भारत में ऐसे कितने नाम हैं, जिनके पास वित्त, विदेश और रक्षा जैसे मंत्रालय रहे। मुझे इसका सौभाग्य मिला। मैं पहला और केवल एक राजस्थानी हूं, जिसे ईश्वर ने यह सौभाग्य दिया।
इस कसौटी पर आप अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे को कहां रखेंगे?
>अशोक तो बहुत ही ..टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। वे मेरे सामने भी कभी प्रत्याशी थे। संसदीय सीट पर। मुझे ज्यादा वोट मिले थे तो..। वे कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में सफल नहीं हो पाए थे। जहां तक वसुंधरा राजे की बात है, वे आज भाजपा की नेता हैं। आने वाले चुनाव में पार्टी इन्हीं के नेतृत्व में लड़ेगी। दुनिया आज के कांग्रेसी राज से थक गई है!
वसुंधरा राजे को राजस्थान में लाने वाले नेताओं में आपका नाम आता है, लेकिन बाद में आपका उनसे विवाद हो गया..
>मैं किसी को नहीं लाया था। ईश्वर लाता है।
जसोल में आपने रियाण किया था तो अफीम को लेकर तत्कालीन सरकार ने आपके और आपकी पार्टी के प्रमुख नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया था?
>छोड़ो उस बात को। मैं कुछ न भी कहूं तो घटनाएं और तत्कालीन परिस्थितियां तो उस बारे में स्वयं टिप्पणियां करती ही हैं।
राजस्थान भाजपा आज भी दो खेमों में बंटी है?
>एक धागे से बंधी हुई हमकदम होकर वह अभी चलने में असमर्थ-सी है। नेतृत्व इस पर विचार करे। सही समय पर सही समाधान निकाले।
आप किस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे?
>यह राजस्थान की जनता बताएगी कि वह मुझे कहां से चुनाव लड़ाना चाहती है।
क्या आप प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं?
>मैं कुछ नहीं चाहता। यह मेरा आखिरी चुनाव होगा। मैं 15 साल की उम्र में कैडेट हो गया था। तब से देश की सेवा में ही लगा रहा हूं। कुछ हासिल किया, कुछ नहीं। मैं चाहूंगा कि मुझे देश सेवा का एक मौका दें, किसी भी रूप में।
आपने किस पार्टी से पहला चुनाव लड़ा था?
>मुझे भैरोंसिंह शेखावत ने कहा था कि जनसंघ से लड़ लो। मैंने कहा-मैं नहीं आ सकूंगा। मुझे गायत्री देवी ने कहा : स्वतंत्र पार्टी के लिए। मैंने क्षमा मांग ली। मैं निर्दलीय ही लड़ा। मैंने जीवन में कई बेवकूफियां की हैं। जनता पार्टी बनी और टूटी और फिर जब भाजपा बनी तो मुझे अटल बिहारी वाजपेयी और भैरोंसिंह शेखावत ने कहा। फिर भाजपा में आया।
क्या आप बताएंगे कि और कौन-सी बेवकूफियां आपने कीं?
>वे गलतियां नहीं थीं। अनुभव थे। एक रास्ते से चले, गिरे-पड़े, उठे और फिर चल दिए। ..संसद में मेरा यह नौवां टर्म है। नौ टर्म वाला संसद में राजस्थान से आज तक कोई और नहीं रहा। राज्यसभा और लोकसभा में बराबर। मैंने 1967 में पहला चुनाव ओसियां से लड़ा। फौज से इस्तीफा देकर आया था। मैंने फौज से पेंशन नहीं पाई। मैंने आर्मी से कोई टर्मिनल बेनीफिट भी नहीं पाया। फौज ने जो मुझे सिखाया, वह मेरे लिए अमूल्य पेंशन है।
क्या आपको भैरोंसिंह शेखावत राजनीति में नहीं लाए?
>वे नहीं लाए। मैं स्वयं को स्वयं लाया था। मुझे कोई राजनीति में नहीं लाया। राजनीति में मेरा कोई माई-बाप नहीं है, लेकिन राजनीति में किसी ने मेरा हाथ पकड़ा तो वे दो ये थे।
क्या आप अगला चुनाव राजस्थान से लड़ेंगे?
वहीं लौट आना चाहता हूं। मैं जिस लक्ष्य को लेकर दार्जिलिंग आमंत्रित किया गया था, वह पूर्ण नहीं तो बहुत कुछ हासिल हो गया है। गोरखालैंड बन-सा गया है। मैं अब अगला चुनाव राजस्थान से ही लड़ना चाहता हूं।
प्रदेश की राजनीति में जातिवाद बहुत बढ़ गया है।
गांव-गांव में विषाक्तता आ गई है। प्रदेश की सांस्कृतिक-सामाजिक एकरूपता और एकरसता थी। उसे हमने टुच्ची राजनीति के तराजू में वोट की तोल के आगे बेच दिया है। यह प्रदेश की सबसे बड़ी राजनीतिक अवनति हुई है। प्रार्थना करूंगा कि राजस्थान की सियासत को उबारें, वरना हम कहीं के नहीं रहेंगे।
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