जंगल में अफसरों ने छलकाए जाम
जयपुर। वन क्षेत्र और वन्यजीवों के संरक्षण की शपथ लेने वाले वन अधिकारियों ने शनिवार को जंगल को ही मयखाना बना दिया। झालाना वन क्षेत्र में बने पार्क में हुई इस बीयर पार्टी में राज्य के तीनों प्रधान मुख्य वन संरक्षक शामिल हुए। इन्हीं में शामिल विभाग के मुखिया यू.एम. सहाय ने तो यहां तक कह दिया कि वन क्षेत्र में शराब पीने पर पाबंदी कहां है।
शनिवार को वन क्षेत्र में आम आदमी का प्रवेश बंद होने का फायदा उठाते हुए की गई इस पार्टी से न केवल वन संरक्षण अधिनियम की धज्जियां उड़ीं बल्कि आबकारी अधिनियम का भी उल्लंघन हुआ। सामान्य आचार संहिता में भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी कार्यस्थल पर बीयर-शराब पार्टी नहीं कर सकते। राजस्थान वाइल्डलाइफ के कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार भी वन क्षेत्रों में शराब पर पाबंदी है, लेकिन आला वन अधिकारियों ने किसी कानून की परवाह नहीं की। यह पार्टी दोपहर डेढ़ बजे से चार बजे तक चली।
झालाना वन क्षेत्र सार्वजनिक स्थल तो है ही, यहां नर्सरी में पौधों का भी उत्पादन होता है। सूत्रों के अनुसार पार्टी में अधिकारियों व उनके परिजनों के लिए मांसाहार का भी इंतजाम था। सुरक्षा गार्ड को इस दौरान गेट पर लगाया
गया था। वहीं, अन्य वनरक्षक व वनपाल बीयर परोस रहे थे। इसमें ज्यादातर स्टाफ झालाना नाके का था।
ये रहे मौजूद
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजस्थान यू.एम. सहाय, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ए.सी. चौबे, पीसीसीएफ (ट्री) राहुल कुमार, एपीसीसीएफ (विकास) एस.के. श्रीवास्तव, सीसीएफ (आईटी) अरिंदम तोमर समेत दर्जनभर से अधिक उच्चाधिकारी।
गेट टुगेदर था, आपसे क्या मतलब
प्रधान मुख्य वन संरक्षक यू.एम. सहाय से बातचीत
आज झालाना पार्क में वन अधिकारियों ने शराब पार्टी की, आप भी मौजूद थे?
आपको किसने बताया, यह हमारा पर्सनल गेट टुगेदर था, इससे आपको क्या मतलब।
वन क्षेत्र में शराब पार्टी, क्या यह सही है?
फोरेस्ट ऑफिसर्स का गेट टुगेदर था। वन क्षेत्र में शराब पीने की मनाही नहीं है।
खुद पिएंगे, तो लोगों को कैसे रोकेंगे
पूर्व पीसीसीएफ अभिजीत घोष से बातचीत
वन क्षेत्र में शराब पीना कहां तक जायज है?
यह गलत है, जब मैं पीसीसीएफ था, तो मैंने खुद झालाना में शराब पर रोक लगवाई थी।
यदि वन अधिकारी शराब पीते हैं तो ?
बिल्कुल गलत है। यदि वन अधिकारी ही वन क्षेत्र जैसे सार्वजनिक स्थान पर शराब पिएंगे तो जनता को कैसे रोक सकते हैं।
वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 के तहत वन क्षेत्र में अवांछनीय गतिविधि नहीं की जा सकती। आबकारी एक्ट के तहत भी खुले में बीयर या शराब पार्टी नहीं कर सकते। सरकारी कर्मी सामान्य आचार संहिता के तहत भी ऎसी पार्टी नहीं कर सकते।
डॉ. महेन्द्र सिंह कछावा, हाईकोर्ट में सरकार के वकील
वन क्षेत्र सार्वजनिक स्थल हैं। पुलिस एक्ट में सार्वजनिक जगह मदिरापान पब्लिक न्यूसेंस की श्रेणी में है। इसमें मामला दर्ज होता है। आबकारी एक्ट धारा 54 में सार्वजनिक जगह मदिरापान गैरकानूनी है।
अजय कुमार जैन, एडवोकेट, राजस्थान हाईकोर्ट
जयपुर। वन क्षेत्र और वन्यजीवों के संरक्षण की शपथ लेने वाले वन अधिकारियों ने शनिवार को जंगल को ही मयखाना बना दिया। झालाना वन क्षेत्र में बने पार्क में हुई इस बीयर पार्टी में राज्य के तीनों प्रधान मुख्य वन संरक्षक शामिल हुए। इन्हीं में शामिल विभाग के मुखिया यू.एम. सहाय ने तो यहां तक कह दिया कि वन क्षेत्र में शराब पीने पर पाबंदी कहां है।
शनिवार को वन क्षेत्र में आम आदमी का प्रवेश बंद होने का फायदा उठाते हुए की गई इस पार्टी से न केवल वन संरक्षण अधिनियम की धज्जियां उड़ीं बल्कि आबकारी अधिनियम का भी उल्लंघन हुआ। सामान्य आचार संहिता में भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी कार्यस्थल पर बीयर-शराब पार्टी नहीं कर सकते। राजस्थान वाइल्डलाइफ के कोड ऑफ कंडक्ट के अनुसार भी वन क्षेत्रों में शराब पर पाबंदी है, लेकिन आला वन अधिकारियों ने किसी कानून की परवाह नहीं की। यह पार्टी दोपहर डेढ़ बजे से चार बजे तक चली।
झालाना वन क्षेत्र सार्वजनिक स्थल तो है ही, यहां नर्सरी में पौधों का भी उत्पादन होता है। सूत्रों के अनुसार पार्टी में अधिकारियों व उनके परिजनों के लिए मांसाहार का भी इंतजाम था। सुरक्षा गार्ड को इस दौरान गेट पर लगाया
गया था। वहीं, अन्य वनरक्षक व वनपाल बीयर परोस रहे थे। इसमें ज्यादातर स्टाफ झालाना नाके का था।
ये रहे मौजूद
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राजस्थान यू.एम. सहाय, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ए.सी. चौबे, पीसीसीएफ (ट्री) राहुल कुमार, एपीसीसीएफ (विकास) एस.के. श्रीवास्तव, सीसीएफ (आईटी) अरिंदम तोमर समेत दर्जनभर से अधिक उच्चाधिकारी।
गेट टुगेदर था, आपसे क्या मतलब
प्रधान मुख्य वन संरक्षक यू.एम. सहाय से बातचीत
आज झालाना पार्क में वन अधिकारियों ने शराब पार्टी की, आप भी मौजूद थे?
आपको किसने बताया, यह हमारा पर्सनल गेट टुगेदर था, इससे आपको क्या मतलब।
वन क्षेत्र में शराब पार्टी, क्या यह सही है?
फोरेस्ट ऑफिसर्स का गेट टुगेदर था। वन क्षेत्र में शराब पीने की मनाही नहीं है।
खुद पिएंगे, तो लोगों को कैसे रोकेंगे
पूर्व पीसीसीएफ अभिजीत घोष से बातचीत
वन क्षेत्र में शराब पीना कहां तक जायज है?
यह गलत है, जब मैं पीसीसीएफ था, तो मैंने खुद झालाना में शराब पर रोक लगवाई थी।
यदि वन अधिकारी शराब पीते हैं तो ?
बिल्कुल गलत है। यदि वन अधिकारी ही वन क्षेत्र जैसे सार्वजनिक स्थान पर शराब पिएंगे तो जनता को कैसे रोक सकते हैं।
वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 के तहत वन क्षेत्र में अवांछनीय गतिविधि नहीं की जा सकती। आबकारी एक्ट के तहत भी खुले में बीयर या शराब पार्टी नहीं कर सकते। सरकारी कर्मी सामान्य आचार संहिता के तहत भी ऎसी पार्टी नहीं कर सकते।
डॉ. महेन्द्र सिंह कछावा, हाईकोर्ट में सरकार के वकील
वन क्षेत्र सार्वजनिक स्थल हैं। पुलिस एक्ट में सार्वजनिक जगह मदिरापान पब्लिक न्यूसेंस की श्रेणी में है। इसमें मामला दर्ज होता है। आबकारी एक्ट धारा 54 में सार्वजनिक जगह मदिरापान गैरकानूनी है।
अजय कुमार जैन, एडवोकेट, राजस्थान हाईकोर्ट
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