मीरा पर आपत्तिजनक टिप्पणी से रोष
मेड़ता सिटी 'राणा जी मेवाड़ी म्हारो कांई करसी, म्हैं तो गोबिंद रा गुण गास्यां...' जैसे कई पद गाकर विश्व में अमर प्रेम की मिसाल कायम करने वाली भक्त शिरोमणि मीराबाई का नाम प्रेम और भक्ति का पर्याय बना हुआ है। लेकिन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की इतिहास की किताब में मीरा के जीवन के बारे में कथित अशोभनीय टिप्पणी से मीरा के भक्त लज्जित महसूस कर रहे हैं। इसमें मीराबाई को 'घुमक्कड़, 'पति की आज्ञा की अवहेलना करने वाली' बताया गया है। इतिहास की पुस्तक 'भारतीय इतिहास के कुछ विषय' में पृष्ठ संख्या 163 पर लिखा है 'मीरा बाई का विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध सिसोदिया कुल में कर दिया।
उन्होंने अपने पति की आज्ञा की अवहेलना करते हुए पत्नी और मां के परंपरागत दायित्व को निभाने से इनकार कर दिया और विष्णु के अवतार कृष्ण को अपना एकमात्र पति स्वीकार किया।' इसी पुस्तक के पृष्ठ संख्या 164 पर लिखा है 'मीरा बाई के पद आज भी स्त्रियों और पुरुषों द्वारा गाए जाते हैं। खासतौर से गुजरात व राजस्थान के गरीब लोगों द्वारा 'जिन्हें नीच जाति' का समझा जाता है। मीरा बाई के बारे में अशोभनीय टिप्पणी को लेकर मीरा नगरी के लोगों में रोष है। पालिकाध्यक्ष अनिल थानवी, डॉ. अशोक चौधरी, वरिष्ठ साहित्यकार दीपचंद सुथार, मीरा स्मारक के प्रबंधक नरेंद्र सिंह शेखावत आदि ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने आपत्तिजनक बातों को पाठ्यक्रम से हटवाने की मांग की है।
उन्होंने अपने पति की आज्ञा की अवहेलना करते हुए पत्नी और मां के परंपरागत दायित्व को निभाने से इनकार कर दिया और विष्णु के अवतार कृष्ण को अपना एकमात्र पति स्वीकार किया।' इसी पुस्तक के पृष्ठ संख्या 164 पर लिखा है 'मीरा बाई के पद आज भी स्त्रियों और पुरुषों द्वारा गाए जाते हैं। खासतौर से गुजरात व राजस्थान के गरीब लोगों द्वारा 'जिन्हें नीच जाति' का समझा जाता है। मीरा बाई के बारे में अशोभनीय टिप्पणी को लेकर मीरा नगरी के लोगों में रोष है। पालिकाध्यक्ष अनिल थानवी, डॉ. अशोक चौधरी, वरिष्ठ साहित्यकार दीपचंद सुथार, मीरा स्मारक के प्रबंधक नरेंद्र सिंह शेखावत आदि ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने आपत्तिजनक बातों को पाठ्यक्रम से हटवाने की मांग की है।
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