सीमावर्ती जिले में 441 अवैध मोबाइल टॉवर
बाड़मेर। सीमावर्ती जिले में 441 मोबाइल टॉवर अवैध रूप से लग गए हैं। इसको लगाने के लिए न तो प्रशासन की इजाजत ली और न ही नियमों का ध्यान रखा गया। अब ये टॉवर सबके गले की हड्डी बन गए है। प्रशासन चाह कर भी इन्हें हटाने की कार्यवाही नहीं कर सकता, आमजन के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विष्ाय है। इधर निजी मोबाइल कम्पनियां प्रशासन के ढुलमुल रवैये से बेफ्रिक हो गई है।
सेल्यूलर सेवा के प्रचार-प्रसार के साथ ही जिले में निजी मोबाइल कम्पनियों का आगमन हुआ। इन्होंने अपनी सेवा को गांव-गांव पहुंचाने के चक्कर में पग-पग पर टॉवर लगा दिए। आनन-फानन में एक-दूसरे से पहले सेवा शुरू करने की प्रतिस्पर्द्धा में उन्होंने नियमों को ताक में रख दिया। नियमानुसार उन्हें टॉवर लगाने के लिए प्रशासन की इजाजत लेनी होती है, लेकिन चंद टॉवर को छोड़ किसी भी टॉवर को बनाने की इजाजत इन्होंने नहीं ली है। ऎसे में ये टॉवर अवैध तरीके से बन गए हैं। पूरे जिले में 441 टॉवर ऎसे है जो बिना इजाजत के खड़े हुए है।
आदेश पर नहीं अमल
इन टॉवर को लेकर जिला कलक्टर ने करीब डेढ साल पहले सभी तहसीलदारों से इनकी जांच कर कार्यवाही के आदेश दिए थे। बावजूद इसके तहसीलदारों ने किसी भी कम्पनी को टॉवर हटाने या जुर्माना सहित राशि जमा करवाने के आदेश ही नहीं दिए। ऎसे में कम्पनियां इनकी राशि जमा करवाने को लेकर गंभीर नहीं है।
बढ़ता जा रहा आंकड़ा
निजी कम्पनियों में मोबाइल सेवा की प्रतिस्पर्द्धा इतनी बढ़ गई है कि अब तो हर माह कोई न कोई गांव में मोबाइल टॉवर खड़े हो रहे हैं। जिला मुख्यालय सहित कस्बो व शहरों में जितने मोबाई टॉवर नहीं है, उतने तो गांवों में लग चुके है। ऎसे में हर रोज आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
ये है फेक्ट फाइल
जिले की बाड़मेर तहसील में 53, पचपदरा में 76, सिवाना में 55, शिव में 53, बायतु में 41, चौहटन में 74, गुड़ामालानी में 75 व रामसर में 14 टॉवर है। ये सभी टॉवर प्रशासन के अनुसार बिना इजाजत के चलते अवैध है, जिनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
बाड़मेर। सीमावर्ती जिले में 441 मोबाइल टॉवर अवैध रूप से लग गए हैं। इसको लगाने के लिए न तो प्रशासन की इजाजत ली और न ही नियमों का ध्यान रखा गया। अब ये टॉवर सबके गले की हड्डी बन गए है। प्रशासन चाह कर भी इन्हें हटाने की कार्यवाही नहीं कर सकता, आमजन के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विष्ाय है। इधर निजी मोबाइल कम्पनियां प्रशासन के ढुलमुल रवैये से बेफ्रिक हो गई है।
सेल्यूलर सेवा के प्रचार-प्रसार के साथ ही जिले में निजी मोबाइल कम्पनियों का आगमन हुआ। इन्होंने अपनी सेवा को गांव-गांव पहुंचाने के चक्कर में पग-पग पर टॉवर लगा दिए। आनन-फानन में एक-दूसरे से पहले सेवा शुरू करने की प्रतिस्पर्द्धा में उन्होंने नियमों को ताक में रख दिया। नियमानुसार उन्हें टॉवर लगाने के लिए प्रशासन की इजाजत लेनी होती है, लेकिन चंद टॉवर को छोड़ किसी भी टॉवर को बनाने की इजाजत इन्होंने नहीं ली है। ऎसे में ये टॉवर अवैध तरीके से बन गए हैं। पूरे जिले में 441 टॉवर ऎसे है जो बिना इजाजत के खड़े हुए है।
आदेश पर नहीं अमल
इन टॉवर को लेकर जिला कलक्टर ने करीब डेढ साल पहले सभी तहसीलदारों से इनकी जांच कर कार्यवाही के आदेश दिए थे। बावजूद इसके तहसीलदारों ने किसी भी कम्पनी को टॉवर हटाने या जुर्माना सहित राशि जमा करवाने के आदेश ही नहीं दिए। ऎसे में कम्पनियां इनकी राशि जमा करवाने को लेकर गंभीर नहीं है।
बढ़ता जा रहा आंकड़ा
निजी कम्पनियों में मोबाइल सेवा की प्रतिस्पर्द्धा इतनी बढ़ गई है कि अब तो हर माह कोई न कोई गांव में मोबाइल टॉवर खड़े हो रहे हैं। जिला मुख्यालय सहित कस्बो व शहरों में जितने मोबाई टॉवर नहीं है, उतने तो गांवों में लग चुके है। ऎसे में हर रोज आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
ये है फेक्ट फाइल
जिले की बाड़मेर तहसील में 53, पचपदरा में 76, सिवाना में 55, शिव में 53, बायतु में 41, चौहटन में 74, गुड़ामालानी में 75 व रामसर में 14 टॉवर है। ये सभी टॉवर प्रशासन के अनुसार बिना इजाजत के चलते अवैध है, जिनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।
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