भोपाल। देश में कुल गर्भवती महिलाओं में से 18 फीसदी को शुगर (डायबिटीज) होती है। डायबिटीज पीड़ित महिलाओं के बच्चे विकलांग पैदा होते हैं। वहीं, जिन महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान शुगर का स्तर बढ़ जाता है, उनके एबॉरशन की आशंका स्वस्थ गर्भवती महिला की अपेक्षा ज्यादा होती है। महिलाओं को इससे बचने के लिए जरूरी है कि वे गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के दौरान नियमित शुगर की जांच कराएं।
यह जानकारी रविवार को एमपी नगर स्थित एक होटल में एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर्स की गर्भावस्था और डायबिटीज पर हुई कार्यशाला में नागपुर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. सुनील गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं को डायबिटीज है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान स्वयं का वजन और खून में शुगर का स्तर नियंत्रित करना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर बीमार बच्चा पैदा होने की आशंका ज्यादा रहती है। कार्यशाला में गांधी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के रिटायर्ड एचओडी डॉ. एसएस येशिकर, डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. सुशील जिंदल व डॉ. सचिन कुमार गुप्ता, डॉ. राजन खेत्रपाल आदि शामिल हुए।
यह जानकारी रविवार को एमपी नगर स्थित एक होटल में एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर्स की गर्भावस्था और डायबिटीज पर हुई कार्यशाला में नागपुर के डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. सुनील गुप्ता ने दी। उन्होंने बताया कि जिन महिलाओं को डायबिटीज है, उन्हें गर्भावस्था के दौरान स्वयं का वजन और खून में शुगर का स्तर नियंत्रित करना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर बीमार बच्चा पैदा होने की आशंका ज्यादा रहती है। कार्यशाला में गांधी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के रिटायर्ड एचओडी डॉ. एसएस येशिकर, डायबिटोलॉजिस्ट डॉ. सुशील जिंदल व डॉ. सचिन कुमार गुप्ता, डॉ. राजन खेत्रपाल आदि शामिल हुए।
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