सोमवार, 2 जुलाई 2012

प्राण निकाल रहा है, "जिंदा होने का सबूत"

प्राण निकाल रहा है, "जिंदा होने का सबूत"

बाड़मेर। जिले के चालीस हजार बुजुर्ग जिनकी जिंदगी केवल पांच सौ रूपए मासिक पर गुजर रही है, उनको गुजारे के लाले पड़ रहे है। बूढ़े,गरीब और असहाय इन उम्रदराजों को यह राशि मार्च माह के बाद इसलिए नहीं मिली है क्योंकि पटवारी स्तर पर होने वाला सत्यापन बकाया है जिसमें केवल इतना पता करना है कि वाकई पेंशन के हकदार ये लोग जिंदा है या नहीं? अप्रेल माह में यह कार्य पूर्ण हो जाना था, लेकिन जून बीतने तक भी हुआ नहीं है। राज्य सरकार द्वारा वृद्ध, विकलांग और विधवाओं को पांच सौ रूपए मासिक पेंशन दी जाती है।

इसमें भी शर्त यह है कि उनके घर में अन्य कोई कमाऊ न हों, व्यस्क संतान नहीं हों और उनके नाम जमीन जायदाद भी नहीं हों। यानि इनकी अवस्था के साथ स्थिति भी कमजोर होने का पुख्ता प्रमाण। ऎसी लाचारगी की जिंदगी जिले के 48000 लोग जी रहे है।

इनको राज्य सरकार यह पेंशन दे रही है। इन लोगों को हर माह पेंशन का भुगतान हों यह व्यवस्था की हुई है लेकिन मार्च माह में पेंशन रोक दी जाती है। इस महीने सभी पेंशनरों के जीवित होने का प्रमाण पत्र पटवारी की ओर से देना होता है। कोषाधिकारी द्वारा तहसीलदार को यह प्रक्रिया पूर्ण करने की जिम्मेवारी दी जाती है। अपे्रल माह तक यह प्रक्रिया पूर्ण होने पर शेष सभी को पेंशन जारी कर दी जाती है।

नहीं हुआ सत्यापन
कोषाधिकारी ने मार्च माह में यह जिम्मेवारी तहसीलदारों को दे दी थी लेकिन बाड़मेर तहसीलदार के अलावा किसी ने भी यह कार्य पूर्ण नहीं किया है। ऎसे में इन बुजुर्गो की पेंशन जारी नहीं हुई है। पटवारी से लेकर तहसील स्तर तक गैर जिम्मेवारी बरती जा रही है। जिले के सिवाना, बायतु, चौहटन, शिव, गुड़ामालानी, पचपदरा में सत्यापन नहीं हुआ है।

बूढ़ी आंखों मे आंसू
केवल पांच सौ रूपए के लिए महीनाभर इंतजार करने वाले इन बूढ़े लोगों की आंखे अब इंतजार में थकी जा रही है। चार माह की पेंशन बकाया होने से उनके लिए गुजारे का संकट खड़ा हो गया है। वे बार बार पोस्ट आफिस और डाकियों से पूछ रहे है ले किन कोई जवाब नहीं मिल रहा है।

पता करवाता हूं : अभी जानकारी में नहीं है। कल पता करवाकर कार्यवाही करवाएंगे।
- अरूण पुरोहित, अतिरिक्त जिला कलक्टर

हालत खराब है : बॉर्डर क्षेत्र के सैकड़ों बुजुर्गो को
पेंशन का इंतजार है। ये लोग पेंशन की शिकायत लेकर जिला मुख्यालय तक जाएं तो दो सौ रूपए खर्च हो जाते है। ऎसे में इंतजार के सिवाय इनके पास कोई सहारा नहीं है।
- खुदाबख्श खलीफा

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