बुधवार, 4 जुलाई 2012

'गॉड पार्टिकल' के करीब पहुंचे साइंटिस्‍ट

 

जिनेवा.वैज्ञानिकों ने आज दावा किया कि उन्‍हें महाप्रयोग के दौरान नए कण मिले हैं जिनकी कई खूबियां 'हिग्‍स बोसॉन' या 'गॉड पार्टिकल' से मिलती हैं। उन्‍होंने बताया कि वैज्ञानिक नए कणों के विश्‍लेषण में जुटे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि इन नए कणों के कई गुण हिग्‍स बोसॉन थ्‍योरी से मेल नहीं खाते हैं। फिर भी इसे ब्रह्मांड के रहस्‍य खोलने की दिशा में एक अहम कामयाबी माना जा रहा है।

वहीं एटलस एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे ब्रिटिश भौतिकशास्त्री ब्रॉयन कॉक्स के मुताबिक सीएमएस ने एक नया बोसोन खोजा है जो कि स्टेंडर्ड हिग्स बोसोन की तरह ही है। हालांकि कॉक्स ने यह भी कहा कि अधिक जानकारी के लिए हिग्स सिग्नल को प्रत्येक इवेंट में 30- प्रोटान-प्रोटान कॉलिजन कराना पड़ेगा जो कि काफी मुश्किल होगा क्योंकि यह एटलस प्रोजेक्ट की डिजाइन क्षमता के बाहर की बात है।

कुछ दिन पहले यहां स्थित पार्टिकल फिजिक्स की दुनिया में सबसे बड़ी प्रयोगशाला यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) के वैज्ञानिकों की कामयाबी का वीडियो लीक हो गया था। इसके आधार पर कहा जा रहा था कि वैज्ञानिकों को वह कण (जिसे उन्‍होंने 'गॉड पार्टिकल' नाम दिया है) मिल गया है, जिसके बूते यह पता चलेगा कि दुनिया में किसी चीज में भार (वजन) क्‍यों है और किसी चीज में वजन क्‍यों नहीं है।


सर्न में वैज्ञानिकों ने सेमिनार (देखें लाइव वेबकास्‍ट) के बीच प्रेस कांफ्रेंस कर वैज्ञानिकों ने बताया कि लीक हुए वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे उनके प्रयोग को कोई नुकसान पहुंचे।


क्‍या होगा फायदा



गॉड पार्टिकल की खोज का फौरी तौर पर फायदा यह होगा कि वैज्ञानिकों का 60 साल पुराना यह असमंजस खत्‍म हो जाएगा कि किसी चीज को आकार और द्रव्‍यमान कैसे मिलता है? इसके अलावा और भी कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब मिलने की उम्‍मीद है। यह भी पता चल सकेगा कि धरती के भीतर धधकते ज्‍वालामुखी को इतनी ऊर्जा कहां से मिलती है?

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