नई दिल्ली. कांग्रेस के शासन वाले दो राज्यों में मुख्यमंत्री बदले जाने के आसार बनते दिख रहे हैं। ये राज्य हैं दिल्ली और महाराष्ट्र। पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रणब मुखर्जी के कैबिनेट छोड़ने के बाद केंद्र सरकार में फेरबदल को लेकर कयासों का दौर जारी है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री बनने की संभावनाएं जाहिर की जा रही हैं। ऐसे में यूपीए को अनुभवी नेता की गृह मंत्रालय में जरुरत महसूस होगी। मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मुलकात के बाद मीडिया में अटकलें लगाई जा रही हैं कि एक दशक से ज़्यादा समय से दिल्ली राज्य की सत्ता पर काबिज दीक्षित अब केंद्रीय मंत्री बन सकती हैं।
वहीं, एनसीपी की नाराजगी के बीच महाराष्ट्र में कांग्रेसी विधायक भी बगावत पर उतारू हैं। खबरों के मुताबिक करीब 62 विधायकों ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनके खिलाफ पार्टी की महाराष्ट्र ईकाई को चिट्ठी लिखी है। बताया जा बताया जा रहा है कि एनसीपी के 24 विधायकों ने भी पृथ्वीराज चव्हाण के खिलाफ पवार को चिट्ठी लिखी है। इस घटना के बाद महाराष्ट्र में भी मुख्यमंत्री बदले जाने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए सोनिया गांधी ने चव्हाण को दिल्ली तलब किया है। वे बुधवार को दिल्ली पहुंच सकते हैं।
दूसरी ओर यूपीए के अहम घटक दल एनसीपी प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और कांग्रेस के बीच खींचतान खत्म नहीं हो रही हैं। 9 लोकसभा सांसदों वाली एनसीपी यूपीए में बने रहने या नहीं पर द्वंद्व में है। यद द्वंद्व सोमवार को पार्टी की बैठक में भी दिखा। एनसीपी ने यूपीए में बने रहने पर फैसला दो दिनों तक के लिए टाल दिया।
देश में संभावित सूखे के हालात के बावजूद शरद पवार कृषि मंत्रालय के अपने दफ्तर में नहीं जा रहे हैं। पवार 23 जुलाई को विदा होतीं राष्ट्रपति के सम्मान में प्रधानमंत्री की तरफ से दिए जाने वाले डिनर में भी नहीं गए। यहां तक कि वे अपनी सरकारी कार का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। रिटेल में एफडीआई पर समावजादी पार्टी, लेफ्ट और जेडी (एस) जैसी पार्टियों के विरोध करने के बाद साफ है कि कांग्रेस आसानी से पवार को रूठने नहीं देगी।
कांग्रेस से अपनी नाराजगी पर एनसीपी ने यह साफ किया है कि पवार सरकार में 'नंबर 2' की होड़ को लेकर नहीं नाराज हैं। एनसीपी सार्वजनिक तौर पर यह कह रही है कि महाराष्ट्र सरकार के कांग्रेसी मंत्री और पार्टी के नेता एनसीपी से बेहतर तालमेल नहीं रखते हैं।
लेकिन मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक एनसीपी और कांग्रेस के बीच 'गुप्त' रूप से सहमति बन गई है। पवार महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री और एनसीपी नेता सुनील तटकरे के खिलाफ 26 हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच नहीं चाहते हैं। इसके अलावा पवार पुणे के नजदीक लवासा में आवासीय प्रोजेक्ट को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी न मिलने पर भी नाराज बताए जा रहे हैं।
शिवसेना ने शरद पवार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर उन्हें यूपीए सरकार से इतनी नाराजगी है तो वे समर्थन क्यों वापस नहीं लेते हैं। पार्टी के मुखपत्र सामना में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 'पिछले 5 दिनों से शरद पवार पावर गेम खेल रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें नज़रअंदाज करके उनका पावर गेम खत्म कर दिया है।'
कई जानकार यह कह रहे हैं कि एनसीपी किसी भी हालत में यूपीए छोड़कर नहीं जाएगी। लेकिन अपनी मांगें मनवाने के लिए दबाव की राजनीति का इस्तेमाल करती रहेगी।
वहीं, एनसीपी की नाराजगी के बीच महाराष्ट्र में कांग्रेसी विधायक भी बगावत पर उतारू हैं। खबरों के मुताबिक करीब 62 विधायकों ने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उनके खिलाफ पार्टी की महाराष्ट्र ईकाई को चिट्ठी लिखी है। बताया जा बताया जा रहा है कि एनसीपी के 24 विधायकों ने भी पृथ्वीराज चव्हाण के खिलाफ पवार को चिट्ठी लिखी है। इस घटना के बाद महाराष्ट्र में भी मुख्यमंत्री बदले जाने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए सोनिया गांधी ने चव्हाण को दिल्ली तलब किया है। वे बुधवार को दिल्ली पहुंच सकते हैं।
दूसरी ओर यूपीए के अहम घटक दल एनसीपी प्रमुख और केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार और कांग्रेस के बीच खींचतान खत्म नहीं हो रही हैं। 9 लोकसभा सांसदों वाली एनसीपी यूपीए में बने रहने या नहीं पर द्वंद्व में है। यद द्वंद्व सोमवार को पार्टी की बैठक में भी दिखा। एनसीपी ने यूपीए में बने रहने पर फैसला दो दिनों तक के लिए टाल दिया।
देश में संभावित सूखे के हालात के बावजूद शरद पवार कृषि मंत्रालय के अपने दफ्तर में नहीं जा रहे हैं। पवार 23 जुलाई को विदा होतीं राष्ट्रपति के सम्मान में प्रधानमंत्री की तरफ से दिए जाने वाले डिनर में भी नहीं गए। यहां तक कि वे अपनी सरकारी कार का भी इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। रिटेल में एफडीआई पर समावजादी पार्टी, लेफ्ट और जेडी (एस) जैसी पार्टियों के विरोध करने के बाद साफ है कि कांग्रेस आसानी से पवार को रूठने नहीं देगी।
कांग्रेस से अपनी नाराजगी पर एनसीपी ने यह साफ किया है कि पवार सरकार में 'नंबर 2' की होड़ को लेकर नहीं नाराज हैं। एनसीपी सार्वजनिक तौर पर यह कह रही है कि महाराष्ट्र सरकार के कांग्रेसी मंत्री और पार्टी के नेता एनसीपी से बेहतर तालमेल नहीं रखते हैं।
लेकिन मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक एनसीपी और कांग्रेस के बीच 'गुप्त' रूप से सहमति बन गई है। पवार महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री और एनसीपी नेता सुनील तटकरे के खिलाफ 26 हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले की जांच नहीं चाहते हैं। इसके अलावा पवार पुणे के नजदीक लवासा में आवासीय प्रोजेक्ट को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी न मिलने पर भी नाराज बताए जा रहे हैं।
शिवसेना ने शरद पवार को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर उन्हें यूपीए सरकार से इतनी नाराजगी है तो वे समर्थन क्यों वापस नहीं लेते हैं। पार्टी के मुखपत्र सामना में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 'पिछले 5 दिनों से शरद पवार पावर गेम खेल रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें नज़रअंदाज करके उनका पावर गेम खत्म कर दिया है।'
कई जानकार यह कह रहे हैं कि एनसीपी किसी भी हालत में यूपीए छोड़कर नहीं जाएगी। लेकिन अपनी मांगें मनवाने के लिए दबाव की राजनीति का इस्तेमाल करती रहेगी।
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