बाड़मेर थलसेना के युद्धाभ्यास ‘सुदर्शन शक्ति’ के दौरान बाड़मेर के निंबला गांव में चिंकारा शिकार के मामले में सेना ने जवानों को शिकार करने की बजाय सिर्फ मांस खरीदने का ही दोषी माना है। झांसी में इस मामले की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी पूरी हो गई है। इधर, वन विभाग ने इस मामले में पर्याप्त सबूत होने का दावा करते हुए सैन्य अफसरों को 31 अगस्त को फिर से तलब किया है। गौरतलब है कि मामला उजागर होने के बाद सेना व वन विभाग में जांच को लेकर ठन गई थी।
सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के दौरान वन विभाग के डीएफओ को बुलाया था, लेकिन वे जांच के लिए नहीं गए थे। दूसरी ओर वन विभाग ने भी नोटिस भेजकर सैन्य अफसरों को तलब किया था।
युद्धाभ्यास के दौरान निंबला गांव में सेना की 88 आर्म्ड वर्कशॉप यूनिट कैंप कर रही थी। गत वर्ष नवंबर में बाड़मेर के डीएफओ बीआर भादू ने इस कैंप पर छापा मारा था। इस दौरान तीन चिंकारा के कटे हुए सिर व मांस बरामद हुआ था। सेना की जिप्सी में भी खून के निशान पाए गए थे।
सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के दौरान वन विभाग के डीएफओ को बुलाया था, लेकिन वे जांच के लिए नहीं गए थे। दूसरी ओर वन विभाग ने भी नोटिस भेजकर सैन्य अफसरों को तलब किया था।
युद्धाभ्यास के दौरान निंबला गांव में सेना की 88 आर्म्ड वर्कशॉप यूनिट कैंप कर रही थी। गत वर्ष नवंबर में बाड़मेर के डीएफओ बीआर भादू ने इस कैंप पर छापा मारा था। इस दौरान तीन चिंकारा के कटे हुए सिर व मांस बरामद हुआ था। सेना की जिप्सी में भी खून के निशान पाए गए थे।
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