बॉलीवुड के मशहूर गीतकार जावेद अख्तर 26-27 साल तक घनघोर शराबी रहे। उन्होंने बताया कि 19 साल की उम्र में ग्रेजुएशन के दौरान उन्होंने शराब पीनी शुरू कर दी थी। धीरे-धीरे लत लगती चली गई। आखिरी 11-12 सालों में तो वह रोज एक बोतल शराब पीते रहे।
उन्होंने कहा कि शराब पीने के बाद आदमी के तीन रूप हो जाते हैं। या तो वह घिनौने होते हैं या गधे या दोयम। गधा इसलिए होता है क्योंकि एक ही बात को बार-बार रिपीट करता है। शराब की टेंडेंसी यह होती है कि पीने वाला धीरे-धीरे अपने डोज बढाता चला जाता है।
जावेद ने कहा कि उनको लोग इंटेलीजेंट कहते हैं लेकिन उन्होंने स्वीकार किया 'अगर मैं वाकई इंटेलीजेंट हूं तो 27 साल लगे क्यूं समझने में कि शराब इतनी बुरी चीज है। मैंने जिंदगी की सारी गलतियां शराब पीने के बाद ही की। 21 साल पहले मैं शराब छोड़ चुका हूं। लोगों को सलाह दूंगा कि शराब न पीएं।'
आमिर खान आज शो में शराब पीने की लत और उससे होने वाली बर्बादी पर चर्चा कर रहे है। इसमें सबसे पहले उन्होंने तहलका से जुड़े फेमस पत्रकार विजय सिम्हा से बात की। वह एक जमाने में बहुत बड़े शराबी रहे।
कॉलेज में दाखिल होने के बाद विजय शराबी हो चुके थे। पत्रकारिता की पढ़ाई करने के दौरान लगी शराब की लत बढती गई। दिल्ली में नौकरी लगने के बाद वह और ज्यादा पीने लगे। उन्होंने बताया कि वह जितनी बड़ी स्टोरी लिखते थे, उतनी ज्यादा पीते थे। एक बार मां-बाप उनके पास आए तो उनको उन्होंने घर से निकाल दिया। पत्रकारिता की नौकरी भी छूट गई।
उसके बाद वह दोस्तों, रिश्तेदारों और यहां तक कि घर में काम करने वाली बाई तक से पैसे उधार मांगने लगे। मां-बाप के पास गए तो उन्होंने उनको नहीं अपनाया।
विजय घर से बेघर हो गए। नौ महीने तक वह नई दिल्ली की सड़कों पर, रेलवे स्टेशन पर जीते रहे और भटकते रहे। इसके बाद नशा मुक्ति केंद्र में उनको ले जाया गया। वहां से वह भागने की सोच रहे थे।
जब वह वहां से भाग रहे थे तो एक बूढे सज्जन ने उनको भागने से रोका।
विजय ने कहा, 'वहां पांचवें दिन वही बूढे सज्जन हम सबको शराब से होने वाली बर्बादी के बारे में हम सबको बता रहे थे। मेरे अंदर जो दर्द था वह वही कह रहे थे। मेरा दर्द कोई समझ रहा था। मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने कहा, 'मैं तो नशे की बीमारी के बारे में बता रहा था।''
विजय ने बताया कि उस पल से उन्होंने कभी मुड़के नहीं देखा। शराबी अगर फिर से जिंदगी में आना चाहे तो सबसे पहले उनको जिंदगी में किए भूलों को सुधारना चाहिए । 'हर इंसान से मैंने माफी मांगी जिनके दिल को मैंने ठेस पहुंचाया था। जब मैंने पहली बार अपने मां-बाप को घर से निकाला था उसके दो हफ्ते बाद मेरे पापा ने मुझे पत्र में लिखा- तुम्हारे जैसा बेटा होना श्राप है। एक महीने बाद उनका देहांत हुआ। मां अभी भी मुझसे अलग रहती हैं। उन्होंने मुझे आज तक माफ नहीं किया है।'
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