अमृतसर. सरबजीत की रिहाई के लिए आगे आए सिने स्टार सलमान खान ने शनिवार को लाहौर हाईकोर्ट में ऑनलाइन रिट दायर की है। इसके साथ देशभर के लोगों की ओर से किए गए हस्ताक्षर की कॉपी भी पाकिस्तान को भेज दी गई है। उसकी रिहाई को लेकर लोगों में इस कदर उत्साह दिखा कि मात्र दो घंटे में सात हजार लोगों ने हस्ताक्षर कर दिए।
फिरोजपुर में रहने वाले सुरजीत सिंह की रिहाई के दौरान उपजे भ्रम के बाद सुरजीत सिंह तो आ गया, मगर सरबजीत सरहद पार ही रह गया। खैर, इसके बाद देशभर में उसकी रिहाई को लेकर उबाल आ गया। इसी के तहत शुक्रवार को सलमान खान ने पाकिस्तान से खुदा का वास्ता देकर रिहाई की अपील की थी। फिलहाल शनिवार को उन्होंने ऑनलाइन रिट की, जिसमें लोगों के हस्ताक्षर भी भेजे गए हैं। शूटिंग में व्यस्त होने के कारण सलमान से संपर्क नहीं हो सका, मगर उनके पिता सलीम खान ने दैनिक भास्कर को फोन पर बताया कि सरबजीत का मामला सियासी नहीं, बल्कि इंसानी है।
उसकी रिहाई के लिए भारत ही नहीं अपितु सारी दुनिया के लोगों को खड़ा होना होगा। सलीम का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह भी पाकिस्तान जाएंगे और पाक हुक्मरानों से उसकी रिहाई की अपील करेंगे। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने बताया कि पहले महेश भट्ट, फिर रजा मुराद और अब सलमान खान तथा उनके पिता ने इस तरफ कदम बढ़ा कर उनके परिवार को संबल दिया है। वह कहती हैं कि पाकिस्तान से अवाम के फोन आ रहे हैं और लोग सलमान के साथ खड़े होने को तैयार हैं।
पापा घर आएं तो पूरी हो जाए जिंदगी की सबसे बड़ी मुराद
‘आंखों में आंसू, स्याह सफर, रोशनी लेके निकले तुम्हारे लिए, दिल धड़कता रहा, सांसें चलती रहीं, तुम्हारे लिए, तुम्हारे लिए’ आंखों में आंसू का सैलाब लिए, अंधेरे रास्ते पर हाथ में मोमबत्तियों की रोशनी लेकर चल रही सुखप्रीत कौर को देख कर ऐसा ही लग रहा था। जैसे उसका दिल पति सरबजीत के लिए ही धड़क रहा है और सांसें चीख-चीख कर उसे घर लौट आने को सदाएं दे रही हों।
अखिल भारतीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन की तरफ से शनिवार की शाम निकाले गए कैंडल मार्च में उसकी बेटी पूनम जो पिता के जाने के समय मात्र 23 दिन की थी, भी शामिल हुई। मालवीय रोड स्थित अबहरो के आफिस से संस्था के सेक्रेटरी जनरल हवा सिंह तंवर के नेतृत्व में निकाले गए इस मार्च में शहर के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
इनके हाथों में थमीं सरबजीत की रिहाई की तख्तियां यह बताने के लिए काफी थीं कि सरबजीत निदरेष है और पाकिस्तान इंसानियत के नाते उसे रिहा कर दे। सुखप्रीत ने अश्रुपूरित नेत्रों से मार्च में शामिल लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि अब तो जिंदगी की आखिरी उम्मीद यही है कि वह जल्द से जल्द सही-सलामत घर आ जाएं। बेटी पूनम का कहना है कि पापा घर आ जाएं तो जिंदगी के सबसे बड़ी मुराद मिल जाएगी। उक्त दोनों ने कहा कि अब उम्मीद हो गई है कि वह एक दिन जरूर लौट कर आएंगे। इस मौके पर दलजीत सिंह धुप्पड़, राजकुमार खोसला, कुलदीप सिंह, कुलवंत सिंह मठारू, अवन कुमार पराशर, सुदर्शन भनोट, ज्योति ठाकुर, रमिंदर कौर, सरोज शर्मा, संदीप कालिया, मेहताब शर्मा, रुपिंदर कौर, विजय कुमार आदि मौजूद थे।
फिरोजपुर में रहने वाले सुरजीत सिंह की रिहाई के दौरान उपजे भ्रम के बाद सुरजीत सिंह तो आ गया, मगर सरबजीत सरहद पार ही रह गया। खैर, इसके बाद देशभर में उसकी रिहाई को लेकर उबाल आ गया। इसी के तहत शुक्रवार को सलमान खान ने पाकिस्तान से खुदा का वास्ता देकर रिहाई की अपील की थी। फिलहाल शनिवार को उन्होंने ऑनलाइन रिट की, जिसमें लोगों के हस्ताक्षर भी भेजे गए हैं। शूटिंग में व्यस्त होने के कारण सलमान से संपर्क नहीं हो सका, मगर उनके पिता सलीम खान ने दैनिक भास्कर को फोन पर बताया कि सरबजीत का मामला सियासी नहीं, बल्कि इंसानी है।
उसकी रिहाई के लिए भारत ही नहीं अपितु सारी दुनिया के लोगों को खड़ा होना होगा। सलीम का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह भी पाकिस्तान जाएंगे और पाक हुक्मरानों से उसकी रिहाई की अपील करेंगे। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने बताया कि पहले महेश भट्ट, फिर रजा मुराद और अब सलमान खान तथा उनके पिता ने इस तरफ कदम बढ़ा कर उनके परिवार को संबल दिया है। वह कहती हैं कि पाकिस्तान से अवाम के फोन आ रहे हैं और लोग सलमान के साथ खड़े होने को तैयार हैं।
पापा घर आएं तो पूरी हो जाए जिंदगी की सबसे बड़ी मुराद
‘आंखों में आंसू, स्याह सफर, रोशनी लेके निकले तुम्हारे लिए, दिल धड़कता रहा, सांसें चलती रहीं, तुम्हारे लिए, तुम्हारे लिए’ आंखों में आंसू का सैलाब लिए, अंधेरे रास्ते पर हाथ में मोमबत्तियों की रोशनी लेकर चल रही सुखप्रीत कौर को देख कर ऐसा ही लग रहा था। जैसे उसका दिल पति सरबजीत के लिए ही धड़क रहा है और सांसें चीख-चीख कर उसे घर लौट आने को सदाएं दे रही हों।
अखिल भारतीय ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन की तरफ से शनिवार की शाम निकाले गए कैंडल मार्च में उसकी बेटी पूनम जो पिता के जाने के समय मात्र 23 दिन की थी, भी शामिल हुई। मालवीय रोड स्थित अबहरो के आफिस से संस्था के सेक्रेटरी जनरल हवा सिंह तंवर के नेतृत्व में निकाले गए इस मार्च में शहर के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।
इनके हाथों में थमीं सरबजीत की रिहाई की तख्तियां यह बताने के लिए काफी थीं कि सरबजीत निदरेष है और पाकिस्तान इंसानियत के नाते उसे रिहा कर दे। सुखप्रीत ने अश्रुपूरित नेत्रों से मार्च में शामिल लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि अब तो जिंदगी की आखिरी उम्मीद यही है कि वह जल्द से जल्द सही-सलामत घर आ जाएं। बेटी पूनम का कहना है कि पापा घर आ जाएं तो जिंदगी के सबसे बड़ी मुराद मिल जाएगी। उक्त दोनों ने कहा कि अब उम्मीद हो गई है कि वह एक दिन जरूर लौट कर आएंगे। इस मौके पर दलजीत सिंह धुप्पड़, राजकुमार खोसला, कुलदीप सिंह, कुलवंत सिंह मठारू, अवन कुमार पराशर, सुदर्शन भनोट, ज्योति ठाकुर, रमिंदर कौर, सरोज शर्मा, संदीप कालिया, मेहताब शर्मा, रुपिंदर कौर, विजय कुमार आदि मौजूद थे।
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