शनिवार, 28 जुलाई 2012

हाईकोर्ट ने मांगी गुमशुदा लोगों की रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने मांगी गुमशुदा लोगों की रिपोर्ट
जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की ढिलाई पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य में पिछले तीन वर्ष के दौरान गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी और अब तक की गई कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है। खण्डपीठ ने राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महानिरीक्षक (सिविल राइटस) के नेतृत्व में गठित विशेष सेल अब तक की कार्रवाई का भी पूरा ब्योरा पेश करने के आदेश दिए हैं।

न्यायालय ने आश्चर्य प्रकट किया कि राज्य में पिछले तीन वर्षो के दौरान चार हजार से अधिक गुमशुदा लोगों में आधे से अधिक महिलाएं है। वरिष्ठ न्यायाधीश गोविन्द माथुर व न्यायाधीश आर.एस. चौहान की खंडपीठ ने कहा कि राज्य और जिला स्तर पर मल्टी लेवल टास्क फोर्स के गठन के बावजूद अभी तक चार हजार 247 गुमशुदा व्यक्तियों का पता नहीं चला है, जिनमें दो हजार 290 महिलाएं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि गुमशुदा लोगों में 487 लड़के व 656 लड़कियां है, जिनकी उम्र 18 वर्ष से कम है।

खण्डपीठ ने राज्य में टास्क फोर्स गठित होने के बाद भी पिछले छह माह में एक हजार 56 गुमशुदा व्यक्तियों को खोजने में प्रशासन के विफल रहने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि अगली सुनवाई तिथि एक अगस्त को न केवल याचिकाकर्ता हंजा देवी की नाबालिग पौती पिंकी को खोज कर पेश करें, बल्कि विशेष टास्क फोर्स के पुलिस अधीक्षक राज्य के सभी जिलों में गुमशुदा हुए व्यक्तियों का सम्पूर्ण ब्यौरा तथा पुलिस व टास्क फोर्स द्वारा की गई कार्रवाई पेश करे। गौरलतब है कि जालोर की हंजा देवी ने अपनी 17 वर्षीय पोती पिंकी के 28 मार्च को गायब होने को ले कर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।

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