निरूपमा के प्रेमी पत्रकार का सरेंडर, जेल भेजा
कोडरमा। दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार की महिला पत्रकार निरूपमा पाठक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले के आरोपी तथा उसके प्रेमी पत्रकार प्रियभांशु रंजन ने मंगलवार को झारखंड के कोडरमा की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया।
दिल्ली में एक समाचार एजेंसी में पत्रकार बिहार के दरभंगा निवासी प्रियभांशु ने अंतरिम जमानत और अन्य राहतों के लिए सुप्रीमकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था पर न्यायालय ने उसकी अर्जी खारिज करते हुए उसे निचली अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। उसने सुबह साढ़े नौ बजे अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) आर के सिंह की अदालत में आत्मसमर्पण किया। सिंह ने उसकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उसे जेल भेज दिया।
अदालत ने इस मामले में पहले भी पत्रकार के खिलाफ वारंट जारी किया था। ज्ञातव्य है कि अर्थ जगत से जुडे एक मशहूर अंग्रेजी दैनिक के दिल्ली कार्यालय में कार्यरत निरूपमा (22) का शव यहां झुमरी तिलैया के चित्रगुप्त नगर स्थित उसके पैतृक आवास में 29 अप्रेल 2010 को मिला था। परिजनों ने इसे आत्महत्या करार दिया था जबकि प्रियभांशु ने इसको सम्मान के लिए हत्या करार देते हुए मृतका के परिजनों को दोषी ठहराया था। पुलिस ने स्थानीय डाक्टरों की टीम की रिपोर्ट पर हत्या का मामला दर्ज करके मृतका की मां सुधा को गिरफ्तार कर लिया था।
मार्च 2011 में कोलकाता की एक फोरेंसिक प्रयोगशाला में सुसाइड नोट पर निरूपमा के हस्ताक्षर की पुष्टि होने के बाद इस मामले को हत्या की बजाय भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) में तब्दील करके इसमें मृतका के पिता-माता और उसके इकलौते भाई तथा प्रेमी प्रियभांशु को आरोपी बनाया गया था।
मृतका के पिता धर्मेद्र पाठक, बैंक मैनेजर भाई समरेंद्र पाठक मुम्बई में आयकर विभाग में कार्यरत को इस मामले में गिरफ्तारी से सुप्रीमकोर्ट ने फिलहाल राहत दी हुई है। सुधा पाठक कई महीने जेल में रहने के बाद अब जमानत पर हैं। पोस्टमार्टम के दौरान निरूपमा के गभर्वती होने की भी पुष्टि हुई थी। दिल्ली प्रवास के दौरान निरूपमा और प्रियभांशु की दोस्ती हुई थी जो बाद में प्रेम में बदल गई।
प्रियभांशु ने आरोप लगाया था कि निरूपमा के परिजनों ने दूसरी जाति के व्यक्ति का होने के कारण विवाह के विरोध में निरूपमा की हत्या कर दी है। बाद में पुलिस ने दोनों पक्षों को निरूपमा पर मानसिक दबाव बना कर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था। उधर, मई 2010 में सुधा पाठक ने प्रियभांशु के खिलाफ उसकी बेटी से बलात्कार करने, उसे आत्महत्या के लिए उकसाने और धमकाने तथा धोखाधड़ी का एक अलग मामला दर्ज किया था। उसकी सुनवाई अलग से चल रही है।
कोडरमा। दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार की महिला पत्रकार निरूपमा पाठक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले के आरोपी तथा उसके प्रेमी पत्रकार प्रियभांशु रंजन ने मंगलवार को झारखंड के कोडरमा की एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया।
दिल्ली में एक समाचार एजेंसी में पत्रकार बिहार के दरभंगा निवासी प्रियभांशु ने अंतरिम जमानत और अन्य राहतों के लिए सुप्रीमकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था पर न्यायालय ने उसकी अर्जी खारिज करते हुए उसे निचली अदालत में पेश होने का आदेश दिया था। उसने सुबह साढ़े नौ बजे अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) आर के सिंह की अदालत में आत्मसमर्पण किया। सिंह ने उसकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उसे जेल भेज दिया।
अदालत ने इस मामले में पहले भी पत्रकार के खिलाफ वारंट जारी किया था। ज्ञातव्य है कि अर्थ जगत से जुडे एक मशहूर अंग्रेजी दैनिक के दिल्ली कार्यालय में कार्यरत निरूपमा (22) का शव यहां झुमरी तिलैया के चित्रगुप्त नगर स्थित उसके पैतृक आवास में 29 अप्रेल 2010 को मिला था। परिजनों ने इसे आत्महत्या करार दिया था जबकि प्रियभांशु ने इसको सम्मान के लिए हत्या करार देते हुए मृतका के परिजनों को दोषी ठहराया था। पुलिस ने स्थानीय डाक्टरों की टीम की रिपोर्ट पर हत्या का मामला दर्ज करके मृतका की मां सुधा को गिरफ्तार कर लिया था।
मार्च 2011 में कोलकाता की एक फोरेंसिक प्रयोगशाला में सुसाइड नोट पर निरूपमा के हस्ताक्षर की पुष्टि होने के बाद इस मामले को हत्या की बजाय भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) में तब्दील करके इसमें मृतका के पिता-माता और उसके इकलौते भाई तथा प्रेमी प्रियभांशु को आरोपी बनाया गया था।
मृतका के पिता धर्मेद्र पाठक, बैंक मैनेजर भाई समरेंद्र पाठक मुम्बई में आयकर विभाग में कार्यरत को इस मामले में गिरफ्तारी से सुप्रीमकोर्ट ने फिलहाल राहत दी हुई है। सुधा पाठक कई महीने जेल में रहने के बाद अब जमानत पर हैं। पोस्टमार्टम के दौरान निरूपमा के गभर्वती होने की भी पुष्टि हुई थी। दिल्ली प्रवास के दौरान निरूपमा और प्रियभांशु की दोस्ती हुई थी जो बाद में प्रेम में बदल गई।
प्रियभांशु ने आरोप लगाया था कि निरूपमा के परिजनों ने दूसरी जाति के व्यक्ति का होने के कारण विवाह के विरोध में निरूपमा की हत्या कर दी है। बाद में पुलिस ने दोनों पक्षों को निरूपमा पर मानसिक दबाव बना कर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था। उधर, मई 2010 में सुधा पाठक ने प्रियभांशु के खिलाफ उसकी बेटी से बलात्कार करने, उसे आत्महत्या के लिए उकसाने और धमकाने तथा धोखाधड़ी का एक अलग मामला दर्ज किया था। उसकी सुनवाई अलग से चल रही है।
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