"कहो दिल से, संजय जोशी फिर से"
नई दिल्ली/अहमदाबाद। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से संजय जोशी के निष्कासन के लगभग 10 दिन बाद मंगलवार को दिल्ली से अहमदाबाद तक पोस्टरों का खेल चला। इन पोस्टरों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया गया है। पोस्टरों में हालांकि मोदी का नाम नहीं लिया गया है। इस बीच संजय जोशी ने सफाई दी है कि ये पोस्टर उन्होंने नहीं लगवाए। फिलहाल यह रहस्य बना हुआ है कि आखिरकार इन पोस्टरों को लगवाया किसने।
वाजपेयी की कविता के अंश
मंगलवार को भाजपा के दिल्ली मुख्यालय, गोल डाक चौराहा, पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के आवास के बाहर संजय जोशी की तस्वीर वाले पोस्टर लगे पाए गए जिन पर लिखा था "भाजपा की यह क्या मजबूरी, नहीं चलेगी दादागीरी। एक नेता को खुश करें, दूसरे से इस्तीफा मांगें। क्या यही है भाजपा की नीति?" ऎसे ही पोस्टर गुजरात के अहमदाबाद में भी जगह-जगह लगे पाए गए। वहां के पोस्टर में अटल बिहारी की वाजपेयी की कविता का अंश लेकर लिखा गया है "छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता...टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता...कहो दिल से, संजय जोशी फिर से।"
जोशी बोले, मेरा हाथ नहीं
गौरतलब है कि पिछले महीने मुम्बई में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी तब तक नहीं पहुंचे जब तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने संजय जोशी से राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा नहीं ले लिया। कयास लगाया जा रहा है कि पोस्टरों का यह खेल जोशी के समर्थकों के दिमाग की उपज है, हालांकि स्वयं संजय जोशी ने कहा है कि उन्हें पता नहीं है कि ये पोस्टर किसने लगाए। एक न्यूज चैनल से बातचीत में जोशी ने कहा कि मुझे नहीं पता ऎसा काम किसके इशारे पर किया गया, इस मामले में मेरी किसी रूप में संलिप्तता नहीं है।
शरारती तत्वों को काम
उधर, भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी की ओर से ऎसे पोस्टर नहीं लगाए गए। पार्टी से जुड़े कई लोगों का अनुमान है कि यह भाजपा के विरोधी किसी दल का कारनामा हो सकता है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि रंगीन पोस्टर छपवाने और उसे रातोंरात दीवारों पर लगवाने में किसने इतनी दिलचस्पी दिखाई। अब एक-एक कर ये पोस्टर हटवाए जा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अबस नकवी ने कहा कि यह कुछ शरारती तत्वों द्वारा किया गया काम लगता है।
कांग्रेस को मिला मौका
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि भाजपा को देश की मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका जिम्मेदारी से निभानी चाहिए भी लेकिन उसके नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। यह भाजपा का अंदरूनी मामला है, इस पर ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि जोशी और मोदी के बीच पिछले काफी समय से प्रतिद्वंद्विता चली आ रही है। जोशी को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने से भी मोदी नाराज थे और इसलिए वह हाल ही में सम्पन्न राज्य विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार अभियान में शामिल नहीं हुए। मोदी और जोशी दोनों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से घनिष्ठ सम्बंध हैं।
नई दिल्ली/अहमदाबाद। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से संजय जोशी के निष्कासन के लगभग 10 दिन बाद मंगलवार को दिल्ली से अहमदाबाद तक पोस्टरों का खेल चला। इन पोस्टरों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया गया है। पोस्टरों में हालांकि मोदी का नाम नहीं लिया गया है। इस बीच संजय जोशी ने सफाई दी है कि ये पोस्टर उन्होंने नहीं लगवाए। फिलहाल यह रहस्य बना हुआ है कि आखिरकार इन पोस्टरों को लगवाया किसने।
वाजपेयी की कविता के अंश
मंगलवार को भाजपा के दिल्ली मुख्यालय, गोल डाक चौराहा, पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के आवास के बाहर संजय जोशी की तस्वीर वाले पोस्टर लगे पाए गए जिन पर लिखा था "भाजपा की यह क्या मजबूरी, नहीं चलेगी दादागीरी। एक नेता को खुश करें, दूसरे से इस्तीफा मांगें। क्या यही है भाजपा की नीति?" ऎसे ही पोस्टर गुजरात के अहमदाबाद में भी जगह-जगह लगे पाए गए। वहां के पोस्टर में अटल बिहारी की वाजपेयी की कविता का अंश लेकर लिखा गया है "छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता...टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता...कहो दिल से, संजय जोशी फिर से।"
जोशी बोले, मेरा हाथ नहीं
गौरतलब है कि पिछले महीने मुम्बई में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी तब तक नहीं पहुंचे जब तक कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने संजय जोशी से राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा नहीं ले लिया। कयास लगाया जा रहा है कि पोस्टरों का यह खेल जोशी के समर्थकों के दिमाग की उपज है, हालांकि स्वयं संजय जोशी ने कहा है कि उन्हें पता नहीं है कि ये पोस्टर किसने लगाए। एक न्यूज चैनल से बातचीत में जोशी ने कहा कि मुझे नहीं पता ऎसा काम किसके इशारे पर किया गया, इस मामले में मेरी किसी रूप में संलिप्तता नहीं है।
शरारती तत्वों को काम
उधर, भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी की ओर से ऎसे पोस्टर नहीं लगाए गए। पार्टी से जुड़े कई लोगों का अनुमान है कि यह भाजपा के विरोधी किसी दल का कारनामा हो सकता है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि रंगीन पोस्टर छपवाने और उसे रातोंरात दीवारों पर लगवाने में किसने इतनी दिलचस्पी दिखाई। अब एक-एक कर ये पोस्टर हटवाए जा रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अबस नकवी ने कहा कि यह कुछ शरारती तत्वों द्वारा किया गया काम लगता है।
कांग्रेस को मिला मौका
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि भाजपा को देश की मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका जिम्मेदारी से निभानी चाहिए भी लेकिन उसके नेता आपस में ही लड़ रहे हैं। यह भाजपा का अंदरूनी मामला है, इस पर ज्यादा कुछ कहना ठीक नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि जोशी और मोदी के बीच पिछले काफी समय से प्रतिद्वंद्विता चली आ रही है। जोशी को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने से भी मोदी नाराज थे और इसलिए वह हाल ही में सम्पन्न राज्य विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार अभियान में शामिल नहीं हुए। मोदी और जोशी दोनों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से घनिष्ठ सम्बंध हैं।
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