नंगी आंखों से सूर्य देखा तो हो सकते हैं अंधे
नई दिल्ली/नैनीताल। अदभुत खगोलीय घटना "शुक्र पारगमन" के दौरान बुधवार को सूर्योदय से लेकर दस बजे तक सूर्य की ओर देखना आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। राजकीय आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (नैनीताल) के निदेशक डा. राम सागर ने चेतावनी देते हुए बताया कि इस नजारे को नंगी आंखों से देखना खतरनाक है।
उन्होंने बताया कि शुक्र पारगमन के दौरान शुक्र ग्रह पृथ्वी और सूर्य के मध्य से गुजरता है जिससे सूर्य पर उसकी छाया एक छोटे छब्बे के रूप में पड़ती है। इसे कैमरे में कैद करने तथा दूरबीन से देखने के लिए वैज्ञानिकों ने तैयारी कर ली है, इस नजारे को नंगी आंखों से देखना खतरनाक हो सकता है।
सूर्य के अंदर बिंदु के आकार का काला धब्बा
एक दुर्लभ खगोलीय घटना में "शुक्र पारगमन" के दौरान सूर्य पर काला धब्बा दिखाई देगा। सूर्य और पृथ्वी के बीच से शुक्र ग्रह के गुजरने के कारण यह अदभुतुत नजारा पेश होगा। छह जून को सूर्योदय होते ही सूर्य के अंदर बिंदु के आकार का काला धब्बा दिखाई देगा। सूर्योदय के समय यह लगभग गोले के ऊपर की तरफ लगभग मध्य में से गुजरता दिखाई देगा।
सुबह 5.30 से शुरू होकर सुबह 10.30 तक
यह सुबह साढे पांच से शुरू होकर सुबह साढे दस बजे तक रहेगा। इस घटना को आम आदमी सूर्योदय के करीब 15 मिनट बाद तक ही देख सकता है। शुक्र एवं बुध पृथ्वी तथा सूर्य के बीच में रहते हैं। इन्हें आंतरिक ग्रह भी कहा जाता है। जब ये ग्रह पृथ्वी तथा सूर्य के बीच एक सीध में आ जाते हैं तो यह पारगमन बनता है। बुध पारगमन एक सदी में 14 बार होता है जबकि शुक्र पारगमन इससे कम होता है। इससे पहले यह घटना आठ जून 2004 को हुई थी और अब यह 2117 में देखी जा सकेगी।
यूं देखें पर बरतें सावधानी
वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि इस खगोलीय घटना को नंगी आंखों, धूप के चश्में, एक्सरे फिल्म, काले किए हुए कांच आदि से देखना पूर्णत: वर्जित है। इस दौरान नंगी आंखो से सूर्य को देखने से आंखो का रेटिना क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। इस दुर्लभ खगोलीय घटना को सोलर फिल्टर युक्त चश्में, पिन होल कैमरे, सोलर फिल्टर युक्त टेलिस्कोप एवं सूर्य की प्रच्छेपित इमेज द्वारा देखना सुरक्षित होगा।
ये तकनीक अपनाए
इस नजारे को देखने के लिए किसी ऊंची इमारत अथवा पहाड़ी पर खडे होना होगा। सूर्य की रोशनी बादलों से निकलने के बाद उसे दूरबीन की सहायता से देखा जा सकता है। सूर्योदय के समय एक छोटा शीशा लें। इसे एक खास कोण पर रखने के बाद सूर्य का प्रकाश इस शीशे पर पड़नें दें। एक कार्ड बोर्ड में छिद्र करके रख दें। रोशनी शीशे पर पड़ने के बाद इस छिद्र से निकलने वाले प्रकाश की दिशा कमरे की किसी दीवार की तरफ कर दें। इसके बाद इस नजारे की झलक देख सकते हैं।
ेकहां कितनी बजे शुक्र पारगमन
शुक्र ग्रह पारगमन छह जून को सूर्योदय के साथ बेंगलूरू में सुबह 5 बजकर 52 मिनट पर, अहमदाबाद में 5 बजकर 56 मिनट पर, उदयपुर में 5 बजकर 46 मिनट पर, दिल्ली में 5 बजकर 42 मिनट पर और उज्जैन में 5 बजकर 42 मिनट पर होगा। इसका प्रथम स्पर्श 3 बजकर दस मिनट 44 सेंकेण्ड पर, दूसरा 3 बजकर 09 मिनट 30 सेंकेण्ड पर और तीसरा स्पर्श 3 बजकर 09 मिनट 26 सेकेण्ड पर होगा।
फिर देखने को हम जिंदा ही न रहें
बुधवार को होने वाली यह खगोलीय घटना इस मायने में अनोखी है कि आज की तारीख में जीवित लोग शायद ही दोबारा सूर्य पर शुक्र का ग्रहण देखने के लिए बचे रह पाएंगे। अगली बार यह घटना 2117 में होगी। तब तक हम में से कुछ बिरले ही जीवित रहेंगे और जो बचे रहेंगे, उनकी भी आंखें शायद ही इसे देखने के योग्य रहेंगी। सूर्य पर शुक्र का ग्रहण हर बार जोड़े में यानी आठ सालों में दो बार होता है और फिर दोबारा यह 105.5 वर्ष से 121.5 वर्षो के अंतराल पर होता है।
नई दिल्ली/नैनीताल। अदभुत खगोलीय घटना "शुक्र पारगमन" के दौरान बुधवार को सूर्योदय से लेकर दस बजे तक सूर्य की ओर देखना आंखों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। राजकीय आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (नैनीताल) के निदेशक डा. राम सागर ने चेतावनी देते हुए बताया कि इस नजारे को नंगी आंखों से देखना खतरनाक है।
उन्होंने बताया कि शुक्र पारगमन के दौरान शुक्र ग्रह पृथ्वी और सूर्य के मध्य से गुजरता है जिससे सूर्य पर उसकी छाया एक छोटे छब्बे के रूप में पड़ती है। इसे कैमरे में कैद करने तथा दूरबीन से देखने के लिए वैज्ञानिकों ने तैयारी कर ली है, इस नजारे को नंगी आंखों से देखना खतरनाक हो सकता है।
सूर्य के अंदर बिंदु के आकार का काला धब्बा
एक दुर्लभ खगोलीय घटना में "शुक्र पारगमन" के दौरान सूर्य पर काला धब्बा दिखाई देगा। सूर्य और पृथ्वी के बीच से शुक्र ग्रह के गुजरने के कारण यह अदभुतुत नजारा पेश होगा। छह जून को सूर्योदय होते ही सूर्य के अंदर बिंदु के आकार का काला धब्बा दिखाई देगा। सूर्योदय के समय यह लगभग गोले के ऊपर की तरफ लगभग मध्य में से गुजरता दिखाई देगा।
सुबह 5.30 से शुरू होकर सुबह 10.30 तक
यह सुबह साढे पांच से शुरू होकर सुबह साढे दस बजे तक रहेगा। इस घटना को आम आदमी सूर्योदय के करीब 15 मिनट बाद तक ही देख सकता है। शुक्र एवं बुध पृथ्वी तथा सूर्य के बीच में रहते हैं। इन्हें आंतरिक ग्रह भी कहा जाता है। जब ये ग्रह पृथ्वी तथा सूर्य के बीच एक सीध में आ जाते हैं तो यह पारगमन बनता है। बुध पारगमन एक सदी में 14 बार होता है जबकि शुक्र पारगमन इससे कम होता है। इससे पहले यह घटना आठ जून 2004 को हुई थी और अब यह 2117 में देखी जा सकेगी।
यूं देखें पर बरतें सावधानी
वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि इस खगोलीय घटना को नंगी आंखों, धूप के चश्में, एक्सरे फिल्म, काले किए हुए कांच आदि से देखना पूर्णत: वर्जित है। इस दौरान नंगी आंखो से सूर्य को देखने से आंखो का रेटिना क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। इस दुर्लभ खगोलीय घटना को सोलर फिल्टर युक्त चश्में, पिन होल कैमरे, सोलर फिल्टर युक्त टेलिस्कोप एवं सूर्य की प्रच्छेपित इमेज द्वारा देखना सुरक्षित होगा।
ये तकनीक अपनाए
इस नजारे को देखने के लिए किसी ऊंची इमारत अथवा पहाड़ी पर खडे होना होगा। सूर्य की रोशनी बादलों से निकलने के बाद उसे दूरबीन की सहायता से देखा जा सकता है। सूर्योदय के समय एक छोटा शीशा लें। इसे एक खास कोण पर रखने के बाद सूर्य का प्रकाश इस शीशे पर पड़नें दें। एक कार्ड बोर्ड में छिद्र करके रख दें। रोशनी शीशे पर पड़ने के बाद इस छिद्र से निकलने वाले प्रकाश की दिशा कमरे की किसी दीवार की तरफ कर दें। इसके बाद इस नजारे की झलक देख सकते हैं।
ेकहां कितनी बजे शुक्र पारगमन
शुक्र ग्रह पारगमन छह जून को सूर्योदय के साथ बेंगलूरू में सुबह 5 बजकर 52 मिनट पर, अहमदाबाद में 5 बजकर 56 मिनट पर, उदयपुर में 5 बजकर 46 मिनट पर, दिल्ली में 5 बजकर 42 मिनट पर और उज्जैन में 5 बजकर 42 मिनट पर होगा। इसका प्रथम स्पर्श 3 बजकर दस मिनट 44 सेंकेण्ड पर, दूसरा 3 बजकर 09 मिनट 30 सेंकेण्ड पर और तीसरा स्पर्श 3 बजकर 09 मिनट 26 सेकेण्ड पर होगा।
फिर देखने को हम जिंदा ही न रहें
बुधवार को होने वाली यह खगोलीय घटना इस मायने में अनोखी है कि आज की तारीख में जीवित लोग शायद ही दोबारा सूर्य पर शुक्र का ग्रहण देखने के लिए बचे रह पाएंगे। अगली बार यह घटना 2117 में होगी। तब तक हम में से कुछ बिरले ही जीवित रहेंगे और जो बचे रहेंगे, उनकी भी आंखें शायद ही इसे देखने के योग्य रहेंगी। सूर्य पर शुक्र का ग्रहण हर बार जोड़े में यानी आठ सालों में दो बार होता है और फिर दोबारा यह 105.5 वर्ष से 121.5 वर्षो के अंतराल पर होता है।
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