पुरी (ओडीशा). भगवान जगन्नाथ अपने दाऊ बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ शुक्रवार दोपहर गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। इस यात्रा से भक्त तो धन्य हो गए लेकिन खुद भगवान के घर में कलह हो गई। उनकी पत्नी महालक्ष्मी रूठीं हुईं हैं। नौ दिन बाद जब वे वापस लौटेंगे तो उन्हें पत्नी को मनाने के लिए काफी जतन करना होंगे। जगन्नाथ मंदिर अभी भगवान के बिना सूना-सूना है। केवल उनकी पत्नी महालक्ष्मी वहां हैं, जो भक्तों को दर्शन दे रही हैं। लेकिन अंदर ही अंदर वे कुपित हैं। जिस दिन भगवान लौटेंगे, वे दरवाजा बंद कर उन्हें अंदर नहीं आने देंगी। मान्यता है कि यात्रा पर जगन्नाथ के अकेले चले जाने से वे नाराज हैं और उनसे मिलना नहीं चाहती। पत्नी को मनाने के लिए भगवान उन्हें नई साड़ी भेंट कर रसगुल्ला खिलाएंगे तब वे मानेंगी। नौ दिन बाद यह प्रसंग जगन्नाथ मंदिर में साकार होगा। पुजारियों का एक समूह महालक्ष्मी जी की तरफ से जगन्नाथ के पुजारियों से झगड़ा करेगा। भगवान पक्ष के पुजारी यात्रा पर अकेले जाने के मामले में सफाई देंगे। यह प्रसंग करीब आधा घंटा चलेगा। उसके बाद दरवाजा खुलेगा लेकिन भगवान साड़ी भेंट करने और रसगुल्ला खिलाने की रस्म के बाद ही अंदर आ पाएंगे। पंडितों का दावा है कि इन नौ दिनों में महालक्ष्मी के चेहरे पर गुस्सा साफ देखा जा सकता है। नौ दिन बाद मूर्ति सामान्य मुद्रा में आ जाती है। दोपहर पहुंचे रथ, भक्तों ने धैर्य खोयाअंधेरे के कारण मार्ग में ही रुके रहे तीनों रथ शुक्रवार 12 बजे तक गुंडिचा मंदिर पहुंच गए। दस बजे यात्रा शुरू हुई। बलभद्र का रथ पहले पहुंचा, उसके बाद सुभद्रा और 12 बजे जगन्नाथ का रथ पहुंचा। भक्तों में उत्साह था। वे नाचते-गाते रथों के आगे चल रहे थे। गंतव्य तक पहुंचने पर भगवान के दर्शन की लालसा में भक्त रथों पर चढ़ गए। भक्तों ने उल्लास में मर्यादा भी खो दी। रथ पर लगी मूर्तियों पर ही पैर रख-रख कर वे ऊपर चढऩे और उतरने लगे। ऐसा करने वालों में युवा, महिलाएं, बच्चे व साधु तक शामिल थे। 29 जून को होगी वापसी
भगवान की वापसी 29 जून को होगी। तब तक वे गुंडिचा मंदिर में ही विराजमान रहेंगे। तीनों रथ उनके इंतजार में बाहर खड़े रहेंगे। 29 तक भक्त गुंडिचा मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। जिस धूमधाम से भगवान यात्रा पर निकले हैं, उसी धूमधाम से उनकी वापसी होगी। हजारों भक्तों की मौजूदगी में उन्हें जगन्नाथ मंदिर में बैठाया जाएगा।
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