वाशिंगटन। जिन घरों में कुत्ते होते हैं उस घर की धूल से दमा नहीं होता। धूल के कारण बच्चों में होने वाली सांस की ये बीमारी एक विषाणु से होते हैं जो पालतू कुत्तों के रहते वायु में नहीं पनपते। इस खोज से जल्दी ही दमा को दूर करने की थेरेपी तैयार की जाएगी।
सैनफ्रांससिको में कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों के तीन समूहों पर किए एक अध्ययन में पाया कि जिन घरों में कुत्ते थे, धूल से होने वाला ये संक्रमण उस घर के चूहों में नहीं हुआ। वैज्ञानिकों ने पाया कि बच्चों में दमा का संक्रमण करने वाला विषाणु रेस्पिरेट्री सिनिटिकल वायरस कहलाता है। आरएसवी संक्रमण बच्चों में बहुत आम है। इससे बच्चों को सांस में लेने में गंभीर तकलीफ हो सकती है। प्रमुख अनुसंधानकर्ता केई फूजीमोरा ने बताया कि आरएसवी का संक्रमण अधिक होने से बचपन में ही दमे की बीमारी हो सकती है।
सैनफ्रांससिको में कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों के तीन समूहों पर किए एक अध्ययन में पाया कि जिन घरों में कुत्ते थे, धूल से होने वाला ये संक्रमण उस घर के चूहों में नहीं हुआ। वैज्ञानिकों ने पाया कि बच्चों में दमा का संक्रमण करने वाला विषाणु रेस्पिरेट्री सिनिटिकल वायरस कहलाता है। आरएसवी संक्रमण बच्चों में बहुत आम है। इससे बच्चों को सांस में लेने में गंभीर तकलीफ हो सकती है। प्रमुख अनुसंधानकर्ता केई फूजीमोरा ने बताया कि आरएसवी का संक्रमण अधिक होने से बचपन में ही दमे की बीमारी हो सकती है।
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