राजनीती की भेंट चडी सरकारी कारिंदे बाड़मेर के सरकारी महकमे फिर खाली
बाड़मेर। जिले को कांग्रेसनीत सरकार ने चार चार लालबत्तियां दे दी तो ऎसा लगा कि अब बाड़मेर का ही जोर चलेगा, लेकिन तबादलों के बाद सीमावर्ती जिला और कमजोर हो गया है। दूसरे जिलों के जनप्रतिनिधि अपने चहेते कार्मिकों को अपने जिलों में ले गए और यहां के चलती वाले देखते ही रह गए। पहले से पद रिक्तता का दंश भोग रहे यहां के लोग अब सरकारी सेवाओं, योजनाओं, सुविधाओं के लिए और तरसते नजर आएंगे।
जिले के मंत्री, सांसद, विधायक और तमाम जनप्रतिनिधि यही दावा करते रहे हैं कि जिले को समस्याओं से उबारा जाएगा और वे ऎसा करेंगे जैसा आज तक किसी ने नहीं किया है। गाहे ब गाहे यह जताते भी रहते हैं कि वे राज्य सरकार में इतने खास और चलती वाले हो गए है कि उनकी ही चलती है, लेकिन हाल ही में हुए तबादलों में सभी का आईना सामने आ गया है। शर्मनाक स्थिति यह है कि बाहरी जिलों के कर्मचारी बाड़मेर में थोड़ी बहुत नौकरी करने के बाद एप्रोच लगाकर चलते बने। बाड़मेर के लोग जो अन्य जिलों में है वे तमाम सिफारिशे लगाने के बावजूद जिले में नहीं आ पाए है। पद रिक्तता और बढ़ गई है। अब अफसरों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि वे कैसे कार्य करेंगे।
राजस्व महकमा
राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी बाड़मेर जिले के ही है। जिले से 23 पटवारियों को बाहर भेज दिया गया है। एक पटवारी अन्य जिले से बाड़मेर आया है। पांच तहसीलदार गए है और चार आए है। नायब तहसीलदार भी पांच गए है और दो ही आए है। इसके अलावा चार कनिष्ठ लिपिक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बाहरी जिलों के आदेश हुए है।
चिकित्सा विभाग
जिले में पद रिक्तता की स्थिति पहले से ही बुरी थी। इसमें कोढ़ का खाज यह है जिले से 87 एएनएम को बाड़मेर जिले से बाहर भेजा गया है। बदले में 33 बाड़मेर आई है। वहीं 14 चिकित्सकों का तबादला बाड़मेर जिले से हुआ है और आए सिर्फ पांच ही है। जिला मुख्यालय बाड़मेर के अस्पताल में चिकित्सकों के साठ प्रतिशत पद रिक्त है। नियुक्ति के लिए तमाम दावे किए गए, लेकिन एक भी नहीं आया। बालोतरा अस्पताल से दो लेब टेक्निशियन, एक रेडियोग्राफर और एक कंपाउण्डर का तबादला हो गया है।
वन विभाग
वन विभाग में चार रेंज खाली हो गई है। यहां तीन फोरेस्टर, दो रेंजर के तबादले हुए है। चार रेंज खाली होने से आने वाले दिनों में हरित राजस्थान सहित अन्य कार्यक्रमों का क्या हाल होगा इसकी फिक्र किसी को नहीं है।
रोडवेज में नहीं चैकिंग वाले- घाटे में चल रही रोडवेज भी तबादलों से अछूती नहीं रही है। 38 कार्मिकों के तबादले हुए है। आए 22 ही है। चालक 11 गए और तीन आए है। इसी तरह मैकेनिक 9 गए और दो आए है। मैनेजर का भी एक पद खाली हो गया है। अब आगार प्रबंधक के अलावा कोई अधिकारी नहीं है जिसके पास रोडवेज की बसों की जांच करने का पॉवर हों।
जिला परिषद
जिला परिष्ाद में जाने वालों में ग्रामसेवकों की बड़ी संख्या है। इसके अलावा एक अधिशासी अभियंता, एईएन सिंचाई, जूनियर एकाउंटेेट, कनिष्ठ लेखाकार का भी तबादला हुआ है। आईसीडीएस में सिवाना के सीडीपीओ का तबादला हो गया है और उनकी जगह बीडीओ को कार्य दिया गया है। इसी तरह समाज कल्याण विभाग में एक वार्डन और एक लेखाकार को बाहर भेज दिया गया, आया कोई नहीं।
क्या होगा काम की गारंटी का
एक तरफ राज्य सरकार ने काम की गारंटी कानून लागू कर दिया है। आम आदमी का काम नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ इतने सारे कार्मिक चले जाने के बाद अब काम कौन करेगा यह सवाल खड़ा हो गया है।
पक्ष रखेंगे
अभी रिलीव नहीं हुए है। राज्य सरकार के समक्ष पक्ष रखेंगे। जिले के हित में निर्णय होगा। तबादलों का सही आंकड़ा मेरे पास अभी नहीं आया है।
हरीश चौधरी सांसद
बाड़मेर। जिले को कांग्रेसनीत सरकार ने चार चार लालबत्तियां दे दी तो ऎसा लगा कि अब बाड़मेर का ही जोर चलेगा, लेकिन तबादलों के बाद सीमावर्ती जिला और कमजोर हो गया है। दूसरे जिलों के जनप्रतिनिधि अपने चहेते कार्मिकों को अपने जिलों में ले गए और यहां के चलती वाले देखते ही रह गए। पहले से पद रिक्तता का दंश भोग रहे यहां के लोग अब सरकारी सेवाओं, योजनाओं, सुविधाओं के लिए और तरसते नजर आएंगे।
जिले के मंत्री, सांसद, विधायक और तमाम जनप्रतिनिधि यही दावा करते रहे हैं कि जिले को समस्याओं से उबारा जाएगा और वे ऎसा करेंगे जैसा आज तक किसी ने नहीं किया है। गाहे ब गाहे यह जताते भी रहते हैं कि वे राज्य सरकार में इतने खास और चलती वाले हो गए है कि उनकी ही चलती है, लेकिन हाल ही में हुए तबादलों में सभी का आईना सामने आ गया है। शर्मनाक स्थिति यह है कि बाहरी जिलों के कर्मचारी बाड़मेर में थोड़ी बहुत नौकरी करने के बाद एप्रोच लगाकर चलते बने। बाड़मेर के लोग जो अन्य जिलों में है वे तमाम सिफारिशे लगाने के बावजूद जिले में नहीं आ पाए है। पद रिक्तता और बढ़ गई है। अब अफसरों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि वे कैसे कार्य करेंगे।
राजस्व महकमा
राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी बाड़मेर जिले के ही है। जिले से 23 पटवारियों को बाहर भेज दिया गया है। एक पटवारी अन्य जिले से बाड़मेर आया है। पांच तहसीलदार गए है और चार आए है। नायब तहसीलदार भी पांच गए है और दो ही आए है। इसके अलावा चार कनिष्ठ लिपिक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बाहरी जिलों के आदेश हुए है।
चिकित्सा विभाग
जिले में पद रिक्तता की स्थिति पहले से ही बुरी थी। इसमें कोढ़ का खाज यह है जिले से 87 एएनएम को बाड़मेर जिले से बाहर भेजा गया है। बदले में 33 बाड़मेर आई है। वहीं 14 चिकित्सकों का तबादला बाड़मेर जिले से हुआ है और आए सिर्फ पांच ही है। जिला मुख्यालय बाड़मेर के अस्पताल में चिकित्सकों के साठ प्रतिशत पद रिक्त है। नियुक्ति के लिए तमाम दावे किए गए, लेकिन एक भी नहीं आया। बालोतरा अस्पताल से दो लेब टेक्निशियन, एक रेडियोग्राफर और एक कंपाउण्डर का तबादला हो गया है।
वन विभाग
वन विभाग में चार रेंज खाली हो गई है। यहां तीन फोरेस्टर, दो रेंजर के तबादले हुए है। चार रेंज खाली होने से आने वाले दिनों में हरित राजस्थान सहित अन्य कार्यक्रमों का क्या हाल होगा इसकी फिक्र किसी को नहीं है।
रोडवेज में नहीं चैकिंग वाले- घाटे में चल रही रोडवेज भी तबादलों से अछूती नहीं रही है। 38 कार्मिकों के तबादले हुए है। आए 22 ही है। चालक 11 गए और तीन आए है। इसी तरह मैकेनिक 9 गए और दो आए है। मैनेजर का भी एक पद खाली हो गया है। अब आगार प्रबंधक के अलावा कोई अधिकारी नहीं है जिसके पास रोडवेज की बसों की जांच करने का पॉवर हों।
जिला परिषद
जिला परिष्ाद में जाने वालों में ग्रामसेवकों की बड़ी संख्या है। इसके अलावा एक अधिशासी अभियंता, एईएन सिंचाई, जूनियर एकाउंटेेट, कनिष्ठ लेखाकार का भी तबादला हुआ है। आईसीडीएस में सिवाना के सीडीपीओ का तबादला हो गया है और उनकी जगह बीडीओ को कार्य दिया गया है। इसी तरह समाज कल्याण विभाग में एक वार्डन और एक लेखाकार को बाहर भेज दिया गया, आया कोई नहीं।
क्या होगा काम की गारंटी का
एक तरफ राज्य सरकार ने काम की गारंटी कानून लागू कर दिया है। आम आदमी का काम नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ इतने सारे कार्मिक चले जाने के बाद अब काम कौन करेगा यह सवाल खड़ा हो गया है।
पक्ष रखेंगे
अभी रिलीव नहीं हुए है। राज्य सरकार के समक्ष पक्ष रखेंगे। जिले के हित में निर्णय होगा। तबादलों का सही आंकड़ा मेरे पास अभी नहीं आया है।
हरीश चौधरी सांसद
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