बुधवार, 6 जून 2012

प्रदेश में 43 नई तहसील और 38 उप तहसील का गठन

अजमेर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राज्य में नई तहसीलों के गठन को लेकर की गई घोषणा आखिर पूरी हो गई है। राजस्व मंडल ने 43 नई तहसील व 38 उप तहसील बनाने की कवायद पूरी कर रिपोर्ट राजस्व महकमे को सौंप दी थी। महकमे ने इनकी अधिसूचना जारी कर दी है। अब राज्य में तहसीलों की संख्या 287 हो गई है वहीं उप तहसीलों की संख्या बढ़कर 135 पहुंच गई है।  
बजट घोषणा के तहत 43 नई तहसील व 40 उप तहसील बनाने के लिए राजस्व मंडल के स्तर पर पिछले लंबे अर्से से कवायद की जा रही थी। मंडल प्रशासन ने जिलों से प्रस्ताव प्राप्त कर तहसील व उप तहसील गठन की कार्रवाई की थी। पहली बार मंडल को जिलों से जो प्रस्ताव प्राप्त हुए वे अधूरे थे और इसके चलते राज्य स्तर पर इनको मंजूरी नहीं मिली।

नए सिरे से कवायद करते हुए राजस्व मंडल ने सभी कलेक्टरों को पत्र भेजकर विस्तृत जानकारी भेजने को कहा था। नए सिरे से रिपोर्ट तैयार कर राजस्व महकमे को भिजवाई गई थी। महकमे ने 31 मई को राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 15 व 16 के तहत नवगठित तहसीलों व उप तहसीलों की अधिसूचना जारी कर दी है।

800 पटवार मंडल भी बनाए

नई तहसील और उप तहसीलों के साथ ही राज्य में 800 नए पटवार मंडल भी बनाए गए हैं। पहले पटवार मंडल की संख्या 10040 थी जो अब बढ़कर 10840 हो गई है। नए पटवार मंडल के अनुरूप पटवारियों के स्वीकृत पद भी बढ़ेंगे और रिक्त पद पर जल्द ही नई भर्ती प्रकिया शुरू की जा सकती है।

सीमांतकरण पहली प्राथमिकता

नई तहसील व उप तहसील गठन में राजस्व मंडल को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। मंडल की पहली प्राथमिकता यह रही है कि तहसील व पंचायत समितियां सह सीमांत हों। यानी की एक पंचायत समिति क्षेत्र में एक तहसील होनी चाहिए। अगर किसी पंचायत समिति का आंशिक या बड़ा हिस्सा दूसरी तहसील में शामिल होता है तो यह सह सीमांत नहीं मानी जाएगी। एक ग्राम पंचायत पर एक पटवार मंडल और एक पंचायत समिति पर एक तहसील को आदर्श स्थिति माना गया है।

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