लक्ष्मण ने अपने हाथों बना लिया अलगोजा
संगीत प्रेमी कारीगर की मेहनत रंग लाई। लकड़ी के अन्य आइटम के साथ वाद्य
बाड़मेर बचपन में पाकिस्तान के कीतारी गांव में रहने वाला लक्ष्मण दास था, मवेशी चराते समय अलगोजा बजाने वाले कलाकारों के पास बैठ इसका अभ्यास करता था। वर्ष 1971 भारत-पाक युद्ध के बाद वह अपने परिवार के साथ बाड़मेर आकर बस गया। मगर अलगोजा बजाए बिना उसे चैन नहीं पड़ता था,बचपन से संभाल कर रखा अलगोजा समय के साथ-साथ कमजोर होता गया और बिखरने के कगार पर आ गया। ऐसे में लक्ष्मण के दिमाग में नया अलगोजा बनानें की जिद तेज होने लगी। लक्ष्मण की जिद ने रंग दिखाना शुरू किया और उसने केर और शीशम की लकड़ी में सुर खोदने लगा, लक्ष्मण की जिद रंग लाई और उसने अलगोजा तैयार कर लिया। आज लक्ष्मण दास सुथार के हाथों बने वाद्य यंत्रों की मांग बाड़मेर तथा जैसलमेर से लेकर गुजरात तक बनीं हुई है।
ऐसे पूरी की जिद: लक्ष्मण दास को जब ये परंपरागत वाद्य यंत्र बाड़मेर के बाजार में नहीं मिला तो उसने अपने हाथों से अलगोजा बनाने की ठान ली। उन्होंने एक हस्तचलित मशीन इजाद कर अलगोजे का निर्माण कर दिखाया। अब सरहदी बाड़मेर जिले के अलगोजा कलाकारों को वाद्य यंत्र खरीदने के लिए अन्य शहरों की तरफ रुख नहीं करना पड़ता।
बाड़मेर बचपन में पाकिस्तान के कीतारी गांव में रहने वाला लक्ष्मण दास था, मवेशी चराते समय अलगोजा बजाने वाले कलाकारों के पास बैठ इसका अभ्यास करता था। वर्ष 1971 भारत-पाक युद्ध के बाद वह अपने परिवार के साथ बाड़मेर आकर बस गया। मगर अलगोजा बजाए बिना उसे चैन नहीं पड़ता था,बचपन से संभाल कर रखा अलगोजा समय के साथ-साथ कमजोर होता गया और बिखरने के कगार पर आ गया। ऐसे में लक्ष्मण के दिमाग में नया अलगोजा बनानें की जिद तेज होने लगी। लक्ष्मण की जिद ने रंग दिखाना शुरू किया और उसने केर और शीशम की लकड़ी में सुर खोदने लगा, लक्ष्मण की जिद रंग लाई और उसने अलगोजा तैयार कर लिया। आज लक्ष्मण दास सुथार के हाथों बने वाद्य यंत्रों की मांग बाड़मेर तथा जैसलमेर से लेकर गुजरात तक बनीं हुई है।
ऐसे पूरी की जिद: लक्ष्मण दास को जब ये परंपरागत वाद्य यंत्र बाड़मेर के बाजार में नहीं मिला तो उसने अपने हाथों से अलगोजा बनाने की ठान ली। उन्होंने एक हस्तचलित मशीन इजाद कर अलगोजे का निर्माण कर दिखाया। अब सरहदी बाड़मेर जिले के अलगोजा कलाकारों को वाद्य यंत्र खरीदने के लिए अन्य शहरों की तरफ रुख नहीं करना पड़ता।
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