सेना में ढांचागत बदलाव तथा एकीकृत युद्धक प्रणाली (नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर) की रणनीति के तहत एक साल में तीन स्ट्राइक कोर के युद्धाभ्यास की सफलता के बाद अब पश्चिमी बॉर्डर पर सामरिक ताकत बढ़ाई जा रही है। सेना ने जैसलमेर को केंद्र मानकर नई तैनातगी शुरू कर दी है। हाल ही जैसलमेर में एक आम्र्ड ब्रिगेड, एक डिवीजन तथा अलवर से एक तोपखाना डिवीजन को जयपुर में तैनात किया गया है। जबकि एक इंफैन्ट्री डिवीजन को जोधपुर से जैसलमेर भेजा जा रहा है।
किसकी कहां तैनाती
तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने ही ट्रांसफॉर्मेशन व नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर की रणनीति तैयार की थी। इसके तहत ही जोधपुर में तैनात 4 इंडिपेंडेंट आम्र्ड ब्रिगेड को जैसलमेर में तैनात किया गया है। जोधपुर स्थित 12 इंफैन्ट्री डिवीजन का भी मुख्यालय जैसलमेर किया गया है। अलवर में तैनात 42 आर्टिलरी डिवीजन को बस्सी (जयपुर) में तैनात किया गया है। इसके अलावा चीन की सामरिक तैयारियों को देखते हुए पश्चिम बंगाल स्थित पानागढ़ में माउंटेन स्ट्राइक कोर तैनात की गई है।
बदला युद्ध का सिद्धांत
स्ट्राइक कोर के युद्ध का सिद्धांत भी बदल रहा है। अब युद्ध के दौरान पूरा फोकस नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर पर रहेगा। वाररूम में बैठा कमांडर मानव रहित विमान, सेटेलाइट व सर्विलेंस डिवाइस से युद्ध का जीवंत नजारा देख रणनीति बदलने का आदेश दे सकता है। थलसेना भी वायुसेना द्वारा दुश्मन पर हमला करने का इंतजार नहीं करेगी। इसके लिए स्ट्राइक कोर में एविएशन ब्रिगेड गठित हो रही है।
स्ट्राइक कोर के पहुंचने तक संभालेंगे मोर्चा
थार के रेगिस्तान में एक साल में अम्ंबाला के खड़क दल स्ट्राइक कोर ने विजयी भव:, भोपाल स्थित 21 सुदर्शन चक्र कोर ने सुदर्शन शक्ति तथा हाल में मथुरा स्थित सप्तशक्ति 1 स्ट्राइक कोर ने ‘शूरवीर’ युद्धाभ्यास में अपना रणकौशल व ताकत दिखाई थी। इन तीनों युद्धाभ्यास का मुख्य मकसद बॉर्डर पर पहुंचने का रेस्पांस टाइम कम करना था। तीनों स्ट्राइक कोर को अपने मुख्यालय से पश्चिमी सीमा पर आने तक 48 घंटे से ज्यादा का समय लगता है। ऐसे में उनके आने तक आम्र्ड बिग्रेड व इंफैन्ट्री डिवीजन किसी भी स्थिति का सामना करते हुए सीमापार दुश्मन के घर में घुसकर हमला करेंगे।
एक्सपर्ट व्यू: बदलाव की जरूरत थी
‘पश्चिमी सीमा पर लंबे समय से बदलाव की जरूरत थी। जोधपुर से एक डिवीजन व ब्रिगेड को जैसलमेर तैनात करने तथा तोपखाना डिवीजन की जयपुर में तैनातगी से हमारी ताकत और बढ़ गई है। इससे रेस्पांस टाइम भी कम हो जाएगा। सीमा के निकट एक ही स्थान पर सेना का जमावड़ा नहीं कर अलग-अलग स्थानों पर तैनातगी से हमारी ताकत बढ़ेगी।’
-मेजर जनरल (रिटायर्ड) शेरू थपलियाल, रक्षा विशेषज्ञ
किसकी कहां तैनाती
तत्कालीन थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने ही ट्रांसफॉर्मेशन व नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर की रणनीति तैयार की थी। इसके तहत ही जोधपुर में तैनात 4 इंडिपेंडेंट आम्र्ड ब्रिगेड को जैसलमेर में तैनात किया गया है। जोधपुर स्थित 12 इंफैन्ट्री डिवीजन का भी मुख्यालय जैसलमेर किया गया है। अलवर में तैनात 42 आर्टिलरी डिवीजन को बस्सी (जयपुर) में तैनात किया गया है। इसके अलावा चीन की सामरिक तैयारियों को देखते हुए पश्चिम बंगाल स्थित पानागढ़ में माउंटेन स्ट्राइक कोर तैनात की गई है।
बदला युद्ध का सिद्धांत
स्ट्राइक कोर के युद्ध का सिद्धांत भी बदल रहा है। अब युद्ध के दौरान पूरा फोकस नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर पर रहेगा। वाररूम में बैठा कमांडर मानव रहित विमान, सेटेलाइट व सर्विलेंस डिवाइस से युद्ध का जीवंत नजारा देख रणनीति बदलने का आदेश दे सकता है। थलसेना भी वायुसेना द्वारा दुश्मन पर हमला करने का इंतजार नहीं करेगी। इसके लिए स्ट्राइक कोर में एविएशन ब्रिगेड गठित हो रही है।
स्ट्राइक कोर के पहुंचने तक संभालेंगे मोर्चा
थार के रेगिस्तान में एक साल में अम्ंबाला के खड़क दल स्ट्राइक कोर ने विजयी भव:, भोपाल स्थित 21 सुदर्शन चक्र कोर ने सुदर्शन शक्ति तथा हाल में मथुरा स्थित सप्तशक्ति 1 स्ट्राइक कोर ने ‘शूरवीर’ युद्धाभ्यास में अपना रणकौशल व ताकत दिखाई थी। इन तीनों युद्धाभ्यास का मुख्य मकसद बॉर्डर पर पहुंचने का रेस्पांस टाइम कम करना था। तीनों स्ट्राइक कोर को अपने मुख्यालय से पश्चिमी सीमा पर आने तक 48 घंटे से ज्यादा का समय लगता है। ऐसे में उनके आने तक आम्र्ड बिग्रेड व इंफैन्ट्री डिवीजन किसी भी स्थिति का सामना करते हुए सीमापार दुश्मन के घर में घुसकर हमला करेंगे।
एक्सपर्ट व्यू: बदलाव की जरूरत थी
‘पश्चिमी सीमा पर लंबे समय से बदलाव की जरूरत थी। जोधपुर से एक डिवीजन व ब्रिगेड को जैसलमेर तैनात करने तथा तोपखाना डिवीजन की जयपुर में तैनातगी से हमारी ताकत और बढ़ गई है। इससे रेस्पांस टाइम भी कम हो जाएगा। सीमा के निकट एक ही स्थान पर सेना का जमावड़ा नहीं कर अलग-अलग स्थानों पर तैनातगी से हमारी ताकत बढ़ेगी।’
-मेजर जनरल (रिटायर्ड) शेरू थपलियाल, रक्षा विशेषज्ञ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें