सोमवार, 25 जून 2012

यूपी के इन जगहों पर लगती है 'देहमंडी',


सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ वेश्यावृत्ति का भी पूरी दुनिया में चरम उभार हो चुका है। पोस्ट मॉडर्न सोसाइटी में वेश्यावृत्ति के अलग-अलग रूप भी सामने आए हैं। रेड लाइट इलाकों से निकल कर वेश्यावृत्ति अब मसाज पार्लरों एवं एस्कार्ट सर्विस के रूम में भी फल-फूल रही है।



देह का धंधा कमाई का चोखा जरिया बन चुका है। यहां तक की गरीब और विकासशील देशों जैसे कि भारत, थाइलैंड, श्रीलंका, बांग्लादेश आदि में सेक्स पर्यटन का चलन शुरू हो चुका है।

 

यूपी के इन जगहों पर लगती है 'देहमंडी', देखिए तस्वीरें... 

जिस्मफरोशी दुनिया के पुराने धंधों में से एक है। बेबीलोन के मंदिरों से लेकर भारत के मंदिरों में देवदासी प्रथा वेश्यावृत्ति का आदिम रूप है। गुलाम व्यवस्था में उनके मालिक वेश्याएं पालते थे। अनेक गुलाम मालिकों ने वेश्यालय भी खोले। तब वेश्याएं संपदा और शक्ति की प्रतीक मानी जाती थीं।



मुगलों के हरम में सैकड़ों औरतें रहती थीं। जब अंग्रेजों ने भारत पर अधिकार किया तो इस धंधे का स्वरूप बदलने लगा। राजाओं ने अंग्रेजों को खुश करने के लिए तवायफों को तोहफे के रूप में पेश किया था।

1- कबाड़ी बाजार, मेरठ: यूपी के मेरठ में स्थित कबाड़ी बाजार बहुत ही पुराना रेड लाइट एरिया है। यहां अंग्रेजों के जमाने से देहव्यापार किया जाता है। इन दिनों यहां पर देहव्यापार का परंपरागत धंधा अब गलत हथकंडे अपनाकर चलाया जा रहा है। हाल ही में यहां पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा तो दंग रह गई। एक मकान में नेपाली लड़कियों को जानवरों की तरह बंद करके रखा गया था। यहां आलमारी में कपड़ों की तरह ठूस कर लड़कियों को रखा गया था। बताते चलें कि वूमेन एंड चाइल्ड डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री ने 2007 में एक रिपोर्ट दिया, इसके मुताबिक, 30 लाख औरतें जिस्मफरोशी का धंधा करती हैं। इममें 36 फीसदी तो नाबालिग हैं।

2- वाराणसी का दाल मंडी-यूपी की धार्मिक नगरी वाराणसी को पुराने समय में काशी के नाम से जाना जाता था। यहां के दालमंडी में जिस्म का कारोबार सैकड़ों सालों से बदस्तूर जारी है। बताते चलें कि भारत में जिस्मफरोशी का धंधा लगातार बढ रहा है। 1956 में पीटा कानून के तहत वेश्यावृत्ति को कानूनी वैद्यता दी गई, पर 1986 में इसमें संशोधन करके कई शर्तें जोड़ी गई। इसके तहत सार्वजनिक सेक्स को अपराध माना गया। इसमें सजा का भी प्रावधान है।

3- नाथपुरा, हरदोई-हरदोई के नाथपुरा में जिस्म का ब्यापार का आधार परंपरा को बताते हैं। यहां मजह 11 से 12 साल की उम्र में ही लड़कियां धंधे पर बैठा दी जाती हैं। यहां के किसी लड़की की शादी नहीं हो पाती है। लड़के शादी करके अपनी दुल्हन के साथ कहीं बाहर बस जाते हैं। लेकिन लड़कियां अपने बच्चों के साथ उसी दलदल में रहती हैं। इनका बुढ़ापा काफी गरीबी में गुजरता है।




4- नक्कासा बाजार, सहारनपुर यूपी के पश्चिमी क्षेत्र में मेरठ के अलावा सहारनपुर में भी परंपरागत देह व्यापार का धंधा किया जाता है। शहर के नक्कासा बाजार में रोज शाम जिस्म की मंडी परवान पर रहती है। बताते चलें कि वूमेन एंड चाइल्ड डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री ने 2007 में एक रिपोर्ट दिया, इसके मुताबिक, 30 लाख औरतें जिस्मफरोशी का धंधा करती हैं। इममें 36 फीसदी तो नाबालिग हैं।




5- किनारी बाजार, आगरा आगरा पर्यटन क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर जाना जाता है। यहां ताजमहल देखने के लिए लाखों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं। इन्हीं को ध्यान में रखकर आगरा में सेक्स उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है। यहां के किनारी बाजार में बड़े पैमाने पर देशी-विदेशी ग्राहक नजर आते हैं।

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