धमरा (ओडीशा)। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि देश के लिए टॉयलेट अग्नि मिसाइल छोड़ने से ज्यादा जरूरी हैं। देश में साफ-सफाई की समस्या दूर नहीं की जाती तो अग्नि मिसाइल दागते रहने का कोई अर्थ नहीं है।
रमेश ने भद्रक जिले के धमरा में रविवार को मिसाइल परीक्षण स्थल व्हीलर आईलैंड के पास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पर्यावरण हितैषी शौचालय लॉन्च करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार के सामने सभी लोगों को टॉयलेट मुहैया कराना एक बड़ी समस्या है। आज भी देश की एक बड़ी आबादी के लिए हम आज तक टॉयलेट की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। देश में स्वच्छता के लिए महात्मा गांधी के अभियान का जिक्र करते हुए जयराम रमेश ने पर्यावरण मित्र टॉयलेट का नाम ‘बापू’ रखे जाने का सुझाव भी दिया। उन्होंने रक्षा बजट के बराबर राशि जन कल्याण कार्यक्रमों के लिए रखने को कहा।
डीआरडीओ के बायो टॉयलेट
- डीआरडीओ के टॉयलेट बायो डाइजेस्टर टेक्नोलॉजी पर आधारित है। यह संगठन की ग्वालियर और तेजपुर यूनिटों ने विकसित किए हैं।
- बायो डाइजेस्टर टेक्नोलॉजी सियाचिन और लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिकों के जैविक कचरे के निपटारे में इस्तेमाल की जाती है।
- डीआरडीओ के मुख्य नियंत्रक डॉ. डब्ल्यू सेल्वामूर्ति ने बताया कि देश भर में इन बॉयो टायलेट के निर्माण के लिए निजी कंपनियों को लाइसेंस दिए जा रहे हैं।
- ई-लू नाम के इन शौचालयों के निर्माण के लिए 49 फर्मो को लाइसेंस दिए जा चुके हैं।
- घरों के लिए ऐसे बॉयो टॉयलेट बनाने पर 15 हजार रुपए की लागत आने का अनुमान है।
- इन शौचालयों में जैविक कचरे के निपटारे से गैस बनती है जिसे ईंधन के तौर पर खाना बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है। पानी को सिंचाई के काम लाया जा सकता है।
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