शुक्रवार, 1 जून 2012

जैसलमेर।गर्भवती की मौत पर बवाल

गर्भवती की मौत पर बवाल

जैसलमेर। जैसलमेर मे गुरूवार को जवाहर राजकीय अस्पताल मे भर्ती गर्भवती महिला की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया। मृतक के परिजन व अन्य लोगो ने चिकित्साकर्मियो पर उपचार मे लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उनके विरूद्ध कार्रवाई करने की मांग की और तब तक शव नहीं उठाने की चेतावनी दी। मामला बढ़ता देख मौके पर अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बलदेवसिंह उज्वल, उपखंड अधिकारी रमेशचंद्र जैंथ, पुलिस उप अधीक्षक बंशीलाल, विकास अधिकारी रमेश चंद्र माथुर व रामनिवास बाबल, शहर कोतवाल वीरेन्द्रसिंह मौके पर पहुंचे और पीएमओ कक्ष मे गुस्साए लोगो के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा की। इस दौरान पीडित पक्ष का नेतृत्व कर रहे भाजपा नेता सांगसिंह भाटी, सुमेरसिंह, सवाईसिंह देवड़ा, शंभुदान देथा, हाथीसिंह मूलाना आदि ने रोष जताया कि गर्भवती महिला की मौत उपचार मे लापरवाही बरतने से हुई है और जिम्मेदार चिकित्साधिकारी व डयूटी नर्स को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।

उन्होने पीडित परिवार को नियमानुसार सहायता राशि दिलाने की भी मांग की। काफी देर तक आरोपों का दौर चलता रहा और जिम्मेदार चिकित्साकर्मियो के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन देने व सीएमएचओ को जांच सौंपने के आदेश दिए गए। पीडित परिवार को सहायता राशि दिलाने के लिए बीडीओ को प्रकरण बनाने के आदेश दिए गए, तब जाकर मामला शांत हुआ और मृतका का शव उठाया गया।

यह था मामला
मूलाना गांव निवासी महिला श्रीमती छगनकंवर के पेट मे सूजन होने के कारण उसे देवीकोट अस्पताल से जैसलमेर के जवाहर अस्पताल भेजा गया। बुधवार रात्रि करीब साढ़े11 बजे गर्भवती महिला को भर्ती किया गया। आरोप है कि चिकित्साकर्मियो की लापरवाही के चलते महिला का उपचार नहीं किया गया जिससे उसने दम तोड़ दिया।

एसडीएम व पुलिस को दी रिपोर्ट
इस संबंध में मूलाना निवासी अनोपसिंह ने एसडीएम व थानाधिकारी को रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट मे बताया कि वह अपनी भाभी श्रीमती छगन कंवर को प्रसव के लिए बुधवार रात्रि को जैसलमेर के राजकीय अस्पताल लाया था और करीब साढ़े ग्यारह बजे उसे भर्ती किया गया। उस समय सुविधा शुल्क के नाम पर उससे 2000 रूपए मांगे गए, जिसमे से दो सौ रूपए उसने दिए और 1800 रूपए घर से लाकर देने की बात कही। रात्रि मे उसकी भाभी का उपचार शुरू नहीं किया गया। करीब 10 घंटे बाद जब गुरूवार सुबह नौ बजे गर्भवती महिला का उपचार शुरू किया गया। तब तक उसकी स्थिति गंभीर हो चुकी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि चिकित्साधिकारी के अलावा चिकित्साकर्मियों ने भी लापरवाही बरती।

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