जयपुर. बीडीओ और एईएन के तबादलों में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए 6 कांग्रेस विधायकों ने शनिवार दोपहर पंचायतीराज मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय के घर पर हंगामा किया। डीडवाना से कांग्रेस विधायक रूपाराम डूडी ने आरोप लगाया कि हर तबादले के लिए ढाई से तीन लाख रु. लिए गए। मंत्री ने पत्नी के जरिये यह रिश्वत ली।
डूडी ने कहा- मेरे क्षेत्र के अलावा प्रदेशभर के कांग्रेस विधायकों में पैसे लेकर किए गए तबादलों को लेकर रोष है। हम मंत्री को दो दिन से तलाश रहे हैं, शुक्रवार को भी मंत्री घर गए थे तो हमसे झूठ बोला गया। आज मंत्री घर पर होते हुए भी नहीं मिले और जब विधायक वहां गए तो चुपचाप निकल गए। डूडी ने कहा कि तबादलों में हुए इस भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूत हैं। मैं इन्हें जल्द ही मुख्यमंत्री को सौंपूंगा।
रूपाराम के साथ कांग्रेस विधायक संतोष सहारण, मंगलाराम गोदारा, गंगा देवी, नगराज मीणा भी मंत्री के घर पहुंचे थे। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश सचिव अजीतसिंह शेखावत, वेदप्रकाश सोलंकी और भाजपा से निलंबित विधायक हनुमान बेनीवाल भी मालवीय के आवास पर मौजूद थे। गलत ढंग से हुए तबादले : सहारण
विधायक अपने क्षेत्रों में हुए गलत तबादलों के कारण पंचायती राज मंत्री के घर पर नाराजगी जता रहे थे। मंत्री घर पर भी नहीं मिल रहे हैं। मेरे क्षेत्र में भी गलत ढंग से तबादले हुए हैं। पता नहीं यह सब किस आधार पर किया है? -संतोष सहारण, कांग्रेस विधायक
पंचायतीराज मंत्री के घर घटना जरूर हुई थी, लेकिन मैं कमरे के अंदर था, इसलिए वहां क्या हुआ मैंने अपनी आंखों से नहीं देखा। कांग्रेस के कई और विधायक भी वहां थे, जो नाराजगी जता रहे थे।
-हनुमान बेनीवाल, भाजपा से निलंबित विधायक
मंत्री ने न फोन उठाया, न एसएमएस का जवाब दिया
मालवीय से उनके मोबाइल नंबर 9414101002, 9983681002 और घर के नंबर 0141-2220780 पर संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन न उन्होंने फोन उठाया और न ही एसएमएस का जवाब दिया। उनकी पत्नी बांसवाड़ा की जिला प्रमुख रेशम मालवीय ने भी कोई जवाब नहीं दिया। मालवीय के स्टाफ के कुछ सदस्य कह रहे हैं कि मंत्री जयपुर में हैं तो कुछ कह रहे हैं कि जयपुर से बाहर हैं।
मालवीय के पीए से हाथापाई
कांग्रेस विधायक रूपाराम डूडी ने मालवीय के पीए भगवान चौधरी से हाथापाई की। इस घटना से मंत्री का स्टाफ सकपका गया। हालांकि, डूडी ने इस तरह की घटना से इनकार किया है।
शिक्षा विभाग में तबादलों को लेकर भी नाराजगी
शिक्षा विभाग में भी तबादला सूचियां जारी होने के बाद विरोध खुलकर सामने आ गया। शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर इंसाफ ने कहा कि वे मंत्री हैं, लेकिन शिक्षामंत्री बृजकिशोर शर्मा उन्हें भी नहीं मिल रहे। शनिवार को वे मिलने गई थीं तो मंत्री नहीं मिले। अब पूरी सूचियों का परीक्षण करने के बाद रविवार को वे फिर से उनसे मिलेंगी। उन्होंने कहा कि उनकी तबादलों में नहीं चली। उन्होंने तो बस लोगों को डिजायर बनाकर दी। इधर सत्ताधारी कांग्रेस के ही कई विधायकों ने साफ तौर पर कहा कि शिक्षा, चिकित्सा जैसे आमजन से सीधे जुड़े विभागों में उनके आधे काम भी नहीं हो सके। अख्तर ने परोक्ष रूप से तबादलों को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि तबादलों से दूर-दूर तक उनका कोई लेना-देना नहीं रहा। उन्हें पता तक नहीं कि ये कैसे, किस आधार पर हुए। बस वे अब ये देख रही हैं कि उनके कौन-कौनसे काम नहीं हुए। शिक्षामंत्री से वे जल्द से जल्द मुलाकात करने की कोशिश कर रही हैं। यदि वे मिल गए तो रविवार को शिक्षामंत्री से मुलाकात करेंगी।
विधायकों की नाराजगी, खुद की जुबानी
निंबाहेड़ा से विधायक उदयलाल आंजना ने कहा कि दो साल में तबादले हुए हैं। उम्मीद थी कि काम ठीक से हो जाएंगे, लेकिन निराशा हाथ लगी। आधे काम ही बमुश्किल हो सके। बार-बार इस बात को कहने से कुछ नहीं होने वाला, इसलिए अब बोलना ही बंद कर दिया। मेडिकल और शिक्षा विभाग में आधे लोगों को निराश होना पड़ा। ऐसे में आम जनता की नाराजगी पार्टी और जनप्रतिनिधियों के लिए ठीक नहीं।
केशोरायपाटन विधायक सीएल प्रेमी ने दिल्ली से फोन पर बताया कि उन्हें तो पता भी नहीं चल रहा कि शिक्षा विभाग में कोई तबादला सूची भी जारी हुई है। सबसे बड़ा महकमा है, यदि लोगों की उम्मीद पर तबादले नहीं हुए तो अगला चुनाव भी तो लड़ना है।
उदयपुर ग्रामीण से विधायक सज्जन कटारा ने कहा कि उन्हें तबादलों में कोई तवज्जो नहीं दी गई। शिक्षा, चिकित्सा में उनके नहीं के बराबर काम हुए। शिक्षा की लिस्ट मंत्रीजी को दी थी, अब लोगों को बताने लायक कुछ नहीं है। जनता नाराज है। मुख्यमंत्री को इसकी शिकायत करूंगा।
सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए उन्होंने समय लिया है। बड़ी संख्या में खाली पोस्ट होने के बावजूद तबादले नहीं किए गए। यहां तक की म्यूचुअल तबादले भी नहीं हो सके। जैसे-तैसे समय निकल जाए, स्थिति नहीं सुधरी तो जनता सुधार देगी।
भंवर ने कहा, मैं तबादलों के लफड़े से दूर रहा
पूर्व शिक्षामंत्री भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि वे तो तबादलों के लफड़े से ही दूर रहे हैं। कुछ काम थे, हुए तो भी ठीक, न हुए तो भी ठीक। शिक्षामंत्री जानें उनके लिए तबादलों का आधार क्या रहा। यह तो नए सत्र में पता चलेगा कि किस स्कूल में छात्र, शिक्षक का अनुपात कैसा रहा।
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