पानी के लिए खोदनी पड़ती हैं बेरियां
आहोर गर्मी के मौसम के साथ ही क्षेत्र के कई गांवों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। क्षेत्र के नोसरा और भवरानी सहित अन्य कई गांवों में हालात विकट हो गए हैं, जिसके कारण महिलांएं सवेरे से लेकर देर रात तक पानी के लिए परेशान होती हैं। महिलाएं सारा कामकाज छोड़कर गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर एक घड़े पानी के लिए भटकती हैं।
जानकारी के अनुसार नोसरा गांव में जलदाय विभाग द्वारा जीएलआर के माध्यम से घर-घर पेयजल सप्लाई की जाती है, लेकिन इस सप्लाई का पानी खारा होने के कारण ग्रामीणों को गांव के प्राथमिक अस्पताल के पीछे स्थित तालाब में बेरियों से पानी लाना पड़ता है। यह सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है, जिसकी बदौलत ग्रामीण महिलाओं को प्रतिदिन अल सवेरे पेयजल के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
एक मटके के लिए होती है कहासुनी
नोसरा गांव के समीप स्थित तालाब में खुदी कच्ची बेरियों में तालाब के तल का पानी जमा होता है। इसमें जो महिलाए पहले पहुंचती हैं उन्हें बेरी में इक्कठा हुआ पानी आसानी से मिल जाता है, लेकिन धीरे धीरे इन बेरियों का पानी सूख जाता है। ऐसे में बाद में आने वाली महिलाओं को पानी नहीं मिल पाता। इस स्थिति में महिलाओं में कई बार कहासुनी होने के साथ हाथापाई तक हो जाती है। इसके अलावा कच्ची बेरियों में पूरी रात के दौरान थोड़ा बहुत पानी जमा होता है। जो अल सवेरे आने वाली महिलाओं को ही मिल पाता है। देर से आने वाली महिलाओं को खाली हाथ या फिर मटमैला पानी ही नसीब होता है।
पानी सूखने पर खोदते हैं बेरियां
नोसरा गांव के तालाब में ग्रामीणों ने मीठे पानी की सुविधा के लिए पूर्व में 6 पक्की बेरियां बनवाई थी, लेकिन इन बेरियों में पानी सूख जाने के कारण ग्रामीणों द्वारा 3 कच्ची और बेरियां खुदवाई गई हैं। जिसमें से एक तो बिल्कुल नकारा पड़ी है। वहीं दो बेरियों से करीब 5 हजार ग्रामीण मीठे पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं।
बेरियों से लाते हैं पेयजल
॥सरकारी जलापूर्ति का पानी चाय में डाल देने से चाय भी फट जाती है, तथा दाल सहित कई सब्जियां पूरी तरह से पक नहीं पाती है। ऐसे में हम लोग तालाब में बनी बेरियों से पानी लाते हैं, लेकिन वहां भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। कमला देवी, भूरी देवी, मसरी देवी, ग्रामीण नोसरा
नहीं होता समाधान
॥पूरे गांव में पानी का संकट है। नलों में खारा पानी आता है, जो पीने योग्य नहीं है। ऐसे में हम लोग काफी परेशान होते हैं। इस संबंध में हमने कई बार अधिकारियों को भी अवगत करवाया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। रमेश त्रिवेदी और अशोक दमामी निवासी नोसरा
आहोर गर्मी के मौसम के साथ ही क्षेत्र के कई गांवों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। क्षेत्र के नोसरा और भवरानी सहित अन्य कई गांवों में हालात विकट हो गए हैं, जिसके कारण महिलांएं सवेरे से लेकर देर रात तक पानी के लिए परेशान होती हैं। महिलाएं सारा कामकाज छोड़कर गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर एक घड़े पानी के लिए भटकती हैं।
जानकारी के अनुसार नोसरा गांव में जलदाय विभाग द्वारा जीएलआर के माध्यम से घर-घर पेयजल सप्लाई की जाती है, लेकिन इस सप्लाई का पानी खारा होने के कारण ग्रामीणों को गांव के प्राथमिक अस्पताल के पीछे स्थित तालाब में बेरियों से पानी लाना पड़ता है। यह सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है, जिसकी बदौलत ग्रामीण महिलाओं को प्रतिदिन अल सवेरे पेयजल के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
एक मटके के लिए होती है कहासुनी
नोसरा गांव के समीप स्थित तालाब में खुदी कच्ची बेरियों में तालाब के तल का पानी जमा होता है। इसमें जो महिलाए पहले पहुंचती हैं उन्हें बेरी में इक्कठा हुआ पानी आसानी से मिल जाता है, लेकिन धीरे धीरे इन बेरियों का पानी सूख जाता है। ऐसे में बाद में आने वाली महिलाओं को पानी नहीं मिल पाता। इस स्थिति में महिलाओं में कई बार कहासुनी होने के साथ हाथापाई तक हो जाती है। इसके अलावा कच्ची बेरियों में पूरी रात के दौरान थोड़ा बहुत पानी जमा होता है। जो अल सवेरे आने वाली महिलाओं को ही मिल पाता है। देर से आने वाली महिलाओं को खाली हाथ या फिर मटमैला पानी ही नसीब होता है।
पानी सूखने पर खोदते हैं बेरियां
नोसरा गांव के तालाब में ग्रामीणों ने मीठे पानी की सुविधा के लिए पूर्व में 6 पक्की बेरियां बनवाई थी, लेकिन इन बेरियों में पानी सूख जाने के कारण ग्रामीणों द्वारा 3 कच्ची और बेरियां खुदवाई गई हैं। जिसमें से एक तो बिल्कुल नकारा पड़ी है। वहीं दो बेरियों से करीब 5 हजार ग्रामीण मीठे पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं।
बेरियों से लाते हैं पेयजल
॥सरकारी जलापूर्ति का पानी चाय में डाल देने से चाय भी फट जाती है, तथा दाल सहित कई सब्जियां पूरी तरह से पक नहीं पाती है। ऐसे में हम लोग तालाब में बनी बेरियों से पानी लाते हैं, लेकिन वहां भी पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। कमला देवी, भूरी देवी, मसरी देवी, ग्रामीण नोसरा
नहीं होता समाधान
॥पूरे गांव में पानी का संकट है। नलों में खारा पानी आता है, जो पीने योग्य नहीं है। ऐसे में हम लोग काफी परेशान होते हैं। इस संबंध में हमने कई बार अधिकारियों को भी अवगत करवाया, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। रमेश त्रिवेदी और अशोक दमामी निवासी नोसरा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें