सी सी डी यू बाड़मेर होगा अभिनव आगाज
-जल चेतना पर होगी खास पहल
-बाड़मेर की जनता में फेलेगी जागरूकता
बाड़मेर
पानी की एक-एक बूंद की कीमत को समझना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इसी बात को आम अवाम तक पहुचाने के लिए राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम द्वारा आम जनता में जन जागरण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है . उसी क्रम में गुरूवार को सी सी डी यू की टीम जल्द ही सदूर सरहदी इलाके में बसे गफन और पार में अपने चेतना कार्यक्रमों का आगाज करेगी . जल एवं स्वछता मिशन राजस्थान सरकार , पेयजल गुणवता मिशन सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ऩे बताया कि आज तक की तमाम खोजों के बाद भी हम पृथ्वी के सामान कोई अन्य गृह ढूंढने में असफल ही रहे है अंतरिक्ष में अब तक हम कई ग्रहों का पता लगा चुके हैं लेकिन इनमे से कोई भी दूर दूर तक प्रथ्वी जैसा नहीं है जहाँ जीवन संभव हो.पृथ्वी पर जीवन अनेक कारणों से संभव हो सका है जैसे सूर्य का पृथ्वी से एक ख़ास दूरी पर होना ,जिससे यहाँ पर जीवन की परिस्थितियाँ उत्त्पन्न हुई ! अगर ऐसा नहीं होता और पृथ्वी यदि सूर्य के निकट होती तो बहुत गर्म अगर दूर होती तो बहुत ठंडी होती किन्तु प्रकृति ने हमें सौगात के रूप में ऋतु,वनस्पति,मिटटी,जल,जैसे संसाधन, वरदान के रूप में दिए! विकास के नाम पर अगर इंसान यूं ही प्रकृति का विनाश करता रहा तो इंसानों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो जाएगा। अगर हमें अपनी आने वाली पीढि़यों को एक बेहतर कल देना है तो हमें आज से ही प्रयास करने होंगे।धरती से पानी खत्म होता जा रहा है। नदियां, नाले और झीलें सूख रही हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जमीनी पानी दिनोंदिन नीचे खिसकता जा रहा है। पीने के पानी की विकराल होती समस्या के कारण मारपीट, धरना-प्रदर्शन, तोड़फोड़ की नौबत आने लगी है। दूसरी ओर हर वर्ष काफी बरसाती पानी यों ही बेकार चला जाता है, उसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है। पानी के कुप्रबंधन के कारण प्रकृति की पूरी संरचना ही बिगड़ती लग रही है। जल संरक्षण में सामान्य जनमानस का सहयोग जरूरी है। ।जल एवं स्वछता मिशन राजस्थान सरकार , पेयजल गुणवता मिशन सी सी डी यू एक तरफ जहा शहर की जनता के बीच नुक्कड़ नाटक , स्कुल रेली , पपेट शो , वाद -विवाद प्रतियोगिता , चित्रकला प्रतियोगिता , मेला आयोजन सरीखे कई आयोजन करने जा रहा है वही सुर सरहद पर बसे बाड़मेर के कई पार और गफन नाम के गावो में पानी को लेकर जन चेतना की एक अभिनव पहल उतरने जा रही है . सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित के मुताबित इस पहल में जहा आम जनता को पानी की महता को लोकप्रिय तरीको से समझाया जायेगा वही दूसरी तरफ ईन इलाको के ग्रामीणों का साथ इस आयोजन को और ख़ास बनाएगा . ईन आयोजनों के जरिये जनता में इस बात को फेलाया जायेगा कि देश में अप्रैल 2009 में लागू हुए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में मानदंडों का निर्धारण किया गया है। इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को 3 लीटर पेयजल, 5 लीटर खाना बनाने, स्नान के लिए 15 लीटर, घर धोने के लिए 7 लीटर व शौच के लिए 10 लीटर पानी दिया जाना है। आज जेसा भूजल दोहन जारी रहा तो 15 साल बाद तो और भी भयावह हालात होंगे। वैज्ञानिकों ने बताया कि बाड़मेर के कई क्षेत्र डार्क जोन में आते है। इसके बावजूद हम 138 फीसदी भूजल का दोहन कर रहे हैं। इसकी तुलना में भूजल पुनर्भरण नहीं हो रहा। चेतावनी दी गई है कि भूजल संरक्षण पर गंभीरता नहीं बरती, तो 15 साल बाद भूजल भंडार ही खत्म हो जाएंगे। जल संग्रहण जरूरी है। इसके लिए बारिश के पानी को व्यर्थ बहने से रोकने के साथ फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना होगा। सभी को जागरूक होकर पानी बचाना होगा।
-जल चेतना पर होगी खास पहल
-बाड़मेर की जनता में फेलेगी जागरूकता
बाड़मेर
पानी की एक-एक बूंद की कीमत को समझना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इसी बात को आम अवाम तक पहुचाने के लिए राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम द्वारा आम जनता में जन जागरण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है . उसी क्रम में गुरूवार को सी सी डी यू की टीम जल्द ही सदूर सरहदी इलाके में बसे गफन और पार में अपने चेतना कार्यक्रमों का आगाज करेगी . जल एवं स्वछता मिशन राजस्थान सरकार , पेयजल गुणवता मिशन सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ऩे बताया कि आज तक की तमाम खोजों के बाद भी हम पृथ्वी के सामान कोई अन्य गृह ढूंढने में असफल ही रहे है अंतरिक्ष में अब तक हम कई ग्रहों का पता लगा चुके हैं लेकिन इनमे से कोई भी दूर दूर तक प्रथ्वी जैसा नहीं है जहाँ जीवन संभव हो.पृथ्वी पर जीवन अनेक कारणों से संभव हो सका है जैसे सूर्य का पृथ्वी से एक ख़ास दूरी पर होना ,जिससे यहाँ पर जीवन की परिस्थितियाँ उत्त्पन्न हुई ! अगर ऐसा नहीं होता और पृथ्वी यदि सूर्य के निकट होती तो बहुत गर्म अगर दूर होती तो बहुत ठंडी होती किन्तु प्रकृति ने हमें सौगात के रूप में ऋतु,वनस्पति,मिटटी,जल,जैसे संसाधन, वरदान के रूप में दिए! विकास के नाम पर अगर इंसान यूं ही प्रकृति का विनाश करता रहा तो इंसानों के अस्तित्व पर भी संकट खड़ा हो जाएगा। अगर हमें अपनी आने वाली पीढि़यों को एक बेहतर कल देना है तो हमें आज से ही प्रयास करने होंगे।धरती से पानी खत्म होता जा रहा है। नदियां, नाले और झीलें सूख रही हैं। ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जमीनी पानी दिनोंदिन नीचे खिसकता जा रहा है। पीने के पानी की विकराल होती समस्या के कारण मारपीट, धरना-प्रदर्शन, तोड़फोड़ की नौबत आने लगी है। दूसरी ओर हर वर्ष काफी बरसाती पानी यों ही बेकार चला जाता है, उसके प्रबंधन की समुचित व्यवस्था नहीं है। पानी के कुप्रबंधन के कारण प्रकृति की पूरी संरचना ही बिगड़ती लग रही है। जल संरक्षण में सामान्य जनमानस का सहयोग जरूरी है। ।जल एवं स्वछता मिशन राजस्थान सरकार , पेयजल गुणवता मिशन सी सी डी यू एक तरफ जहा शहर की जनता के बीच नुक्कड़ नाटक , स्कुल रेली , पपेट शो , वाद -विवाद प्रतियोगिता , चित्रकला प्रतियोगिता , मेला आयोजन सरीखे कई आयोजन करने जा रहा है वही सुर सरहद पर बसे बाड़मेर के कई पार और गफन नाम के गावो में पानी को लेकर जन चेतना की एक अभिनव पहल उतरने जा रही है . सी सी डी यू के आई ई सी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित के मुताबित इस पहल में जहा आम जनता को पानी की महता को लोकप्रिय तरीको से समझाया जायेगा वही दूसरी तरफ ईन इलाको के ग्रामीणों का साथ इस आयोजन को और ख़ास बनाएगा . ईन आयोजनों के जरिये जनता में इस बात को फेलाया जायेगा कि देश में अप्रैल 2009 में लागू हुए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में मानदंडों का निर्धारण किया गया है। इसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को 3 लीटर पेयजल, 5 लीटर खाना बनाने, स्नान के लिए 15 लीटर, घर धोने के लिए 7 लीटर व शौच के लिए 10 लीटर पानी दिया जाना है। आज जेसा भूजल दोहन जारी रहा तो 15 साल बाद तो और भी भयावह हालात होंगे। वैज्ञानिकों ने बताया कि बाड़मेर के कई क्षेत्र डार्क जोन में आते है। इसके बावजूद हम 138 फीसदी भूजल का दोहन कर रहे हैं। इसकी तुलना में भूजल पुनर्भरण नहीं हो रहा। चेतावनी दी गई है कि भूजल संरक्षण पर गंभीरता नहीं बरती, तो 15 साल बाद भूजल भंडार ही खत्म हो जाएंगे। जल संग्रहण जरूरी है। इसके लिए बारिश के पानी को व्यर्थ बहने से रोकने के साथ फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना होगा। सभी को जागरूक होकर पानी बचाना होगा।
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