शुक्रवार, 11 मई 2012

जालोर और बाड़मेर जिले की सीमा पर हैं जिप्सम का खनन क्षेत्र


जालोर और बाड़मेर जिले की सरहद पर बसा झाखरडा गांव। इस गांव समेत आसपास के लंबे चौड़े क्षेत्र में दूर दूर तक जिप्सम की खाने हैं। जहां कुछ साल पहले तक सैंकड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ था साथ ही सरकार को भी करोड़ों रुपए की आय होती थी, लेकिन पिछले तीन साल से यह पूरा खनन क्षेत्र यहां पहुंच रहे नर्मदा नहर के ओवरफ्लो पानी में डूब गया है। loading... 
गुजरात से राजस्थान पहुंच रहे नर्मदा नदी के पानी का पूरा इस्तेमाल नहीं होने और आगे नहरी तंत्र विकसित नहीं होने के कारण नहर का पूरा ओवरफ्लो पानी इस क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है। जिसके कारण कभी लाखों टन जिप्सम उगलने वाली यहां की धरती अब दलदल बन चुकी हैं। सरकार ने दस पंद्रह साल पहले यहां 336.18 हैक्टेयर जमीन जिप्सम के खनन के लिए आवंटित की थी। तीन साल पहले तक इस जमीन से 17 लाख टन जिप्सम निकाला गया, लेकिन पिछले तीन साल के दौरान पूरा खनन क्षेत्र नर्मदा नहर के ओवरफ्लो पानी में डूब गया। तब से यहां सारा काम ठप पड़ा हैं और लोग बेरोजगार हो गए हैं।

तीन साल में निकालना था आठ लाख टन : इस क्षेत्र में पिछले कई सालों से जिप्सम का खनन किया जा रहा था। जिप्सम मुख्य रूप से सीमेंट बनाने के काम आता है। तीन साल पहले तक विभाग ने यहां से 17 लाख टन जिप्सम निकाला।
बीते तीन साल में यहां से आठ लाख टन जिप्सम निकालने का लक्ष्य था। इसी बीच नर्मदा नहर में पानी शुरू हो गया और उसका ओवरफ्लो पानी प्रशासन ने इस क्षेत्र में डालना शुरू कर दिया। जिसके कारण धीरे धीरे खाने पानी में डूबती गई और पूरी जमीन दलदल जैसी बन गई। आज पूरा क्षेत्र पानी में डूबा हुआ है और खनन कार्य बंद हो गया है। खनन विभाग से जुड़े अधिकारियों की माने तो अब यहां से जिप्सम का खनन करना असंभव है क्योंकि पूरी जमीन दलदल जैसी बन गई है।

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