फिर तो हवलदार करेंगे थानेदारी?
बाड़मेर। यदि यही हाल रहा तो फिर हवलदार थानों में थानेदारी करते नजर आएंगे। पुलिस उप निरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) के रिक्त पदों के चलते पुलिस महकमे को अनुसंधान अधिकारियों की कमी खल रही है और हवलदारों के कंधों पर थानेदारी आ गई है। हालत यह है कि पुलिस उप निरीक्षकों के करीब पचास फीसदी पद खाली चल रहे हैं।
पुलिस महकमे की महत्वपूर्ण कड़ी पुलिस उप निरीक्षक है। थानों में दर्ज होने वाले अधिसंख्य मामलों की जांच पुलिस उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों द्वारा की जाती है। राज्य में सब-इंस्पेक्टर की भर्ती अंतिम बार 2005 में हुई थी। वर्ष 2009 में निकली सब-इंस्पेक्टर की भर्ती अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि यह भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद विभाग को 500 सब-इंस्पेक्टर मिल जाएंगे, लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि पुलिस महकमा गहरे संकट से जूझ रहा है।
यह है जोधपुर रेंज का हाल
जोधपुर रेंज में सब-इंस्पेक्टर के करीब एक सौ पद रिक्त चल रहे हैं। प्रत्येक रेंज में रिक्त पदों की संख्या का आंकड़ा एक सौ से अधिक ही है। जोधपुर रेंज में बाड़मेर जिले में सब-इंस्पेक्टर के 23, जैसलमेर में 14, सिरोही में 10, जालौर में 7, जोधपुर ग्रामीण में 12 व पाली में 20 पद रिक्त है। ये रिक्त पद पूरे महकमे के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
अब हवलदारों का सहारा
पुलिस उप निरीक्षक के अधिकारियों की कमी होने के कारण मामलों की जांच की भार हवलदारों के जिम्मे आ गया है। ए एस आई स्तर के अधिकारियों की अधिक उम्र व अन्वेषण में विशेषज्ञता नहीं होने के चलते ऎसी हकीकत बनी है। यदि यही हाल रहा तो कुछ थानों में हवलदारों को थानाधिकारी का दायित्व भी संभालना पड़ सकता है।
न्याय में देरी
पुलिस मुख्यालय के निर्देश है कि बकाया मामलों का आंकड़ा पांच प्रतिशत से अधिक नहीं रहना चाहिए, लेकिन सब-इंस्पेक्टर के रिक्त पदों के चलते यह आंकड़ा करीब पंद्रह प्रतिशत पर चल रहा है। इस हालत में पुलिस के स्तर पर ही न्याय में देरी हो रही है।
गंभीर समस्या है
रिक्त पदों की समस्या सब जगह है। बाड़मेर जिले में सब-इंस्पेक्टर के करीब पचास फीसदी पद रिक्त है। पुलिस महकमे के लिए यह गंभीर समस्या है। सब-इंस्पेक्टर भर्ती पूर्ण होने के बाद राहत मिलेगी।
-संतोष चालके, पुुलिस अधीक्षक, बाड़मेर
बाड़मेर। यदि यही हाल रहा तो फिर हवलदार थानों में थानेदारी करते नजर आएंगे। पुलिस उप निरीक्षक (सब-इंस्पेक्टर) के रिक्त पदों के चलते पुलिस महकमे को अनुसंधान अधिकारियों की कमी खल रही है और हवलदारों के कंधों पर थानेदारी आ गई है। हालत यह है कि पुलिस उप निरीक्षकों के करीब पचास फीसदी पद खाली चल रहे हैं।
पुलिस महकमे की महत्वपूर्ण कड़ी पुलिस उप निरीक्षक है। थानों में दर्ज होने वाले अधिसंख्य मामलों की जांच पुलिस उप निरीक्षक स्तर के अधिकारियों द्वारा की जाती है। राज्य में सब-इंस्पेक्टर की भर्ती अंतिम बार 2005 में हुई थी। वर्ष 2009 में निकली सब-इंस्पेक्टर की भर्ती अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि यह भर्ती प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद विभाग को 500 सब-इंस्पेक्टर मिल जाएंगे, लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि पुलिस महकमा गहरे संकट से जूझ रहा है।
यह है जोधपुर रेंज का हाल
जोधपुर रेंज में सब-इंस्पेक्टर के करीब एक सौ पद रिक्त चल रहे हैं। प्रत्येक रेंज में रिक्त पदों की संख्या का आंकड़ा एक सौ से अधिक ही है। जोधपुर रेंज में बाड़मेर जिले में सब-इंस्पेक्टर के 23, जैसलमेर में 14, सिरोही में 10, जालौर में 7, जोधपुर ग्रामीण में 12 व पाली में 20 पद रिक्त है। ये रिक्त पद पूरे महकमे के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
अब हवलदारों का सहारा
पुलिस उप निरीक्षक के अधिकारियों की कमी होने के कारण मामलों की जांच की भार हवलदारों के जिम्मे आ गया है। ए एस आई स्तर के अधिकारियों की अधिक उम्र व अन्वेषण में विशेषज्ञता नहीं होने के चलते ऎसी हकीकत बनी है। यदि यही हाल रहा तो कुछ थानों में हवलदारों को थानाधिकारी का दायित्व भी संभालना पड़ सकता है।
न्याय में देरी
पुलिस मुख्यालय के निर्देश है कि बकाया मामलों का आंकड़ा पांच प्रतिशत से अधिक नहीं रहना चाहिए, लेकिन सब-इंस्पेक्टर के रिक्त पदों के चलते यह आंकड़ा करीब पंद्रह प्रतिशत पर चल रहा है। इस हालत में पुलिस के स्तर पर ही न्याय में देरी हो रही है।
गंभीर समस्या है
रिक्त पदों की समस्या सब जगह है। बाड़मेर जिले में सब-इंस्पेक्टर के करीब पचास फीसदी पद रिक्त है। पुलिस महकमे के लिए यह गंभीर समस्या है। सब-इंस्पेक्टर भर्ती पूर्ण होने के बाद राहत मिलेगी।
-संतोष चालके, पुुलिस अधीक्षक, बाड़मेर
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