अहमदाबाद वाडिया बनासकांठा जिले के थारड ब्लाक का एक छोटा सा गांव है जहां गैर अधिसूचित जनजाति में आने वाले सरानिया समुदाय के लोग रहते हैं | इस गांव की महिलाएं पीढ़ियों से परिवार की आजीविका के लिए देह व्यापार करती रही हैं | अक्सर इस गांव को ‘देह व्यापार करने वाली महिलाओं का गांव’ भी कहा जाता है |
इस समुदाय की महिलाएं विभिन्न कारणों जैसे सामाजिक दबाव, गरीबी के चलते या फ़िर जबरदस्ती देह व्यापार करती हैं | परिवार के पुरूष अक्सर महिलाओं की आमदनी पर गुजारा करते हैं और उनके लिए ग्राहक भी लाते हैं. पटेल ने कहा, सामूहिक विवाह से इस समुदाय की महिलाओं के लिए सामाजिक क्रांति आ सकती है, साथ ही पीढ़ियों से चली आ रही एक नकारात्मक परंपरा का अंत भी हो जाएगा |
यहां की महिलाओं के जीवन में सामाजिक क्रांति लाने के उद्देश्य से इस गाँव में सरानिया समुदाय की लड़कियों का सामूहिक विवाह कराया जाएगा | इस योजना और देहव्यापार को बंद करने की पहल के पीछे गैर सरकारी संगठन ‘विचारत समुदाय समर्थन मंच’ वीएसएसएम का हाथ है | जिसने पिछले पांच सालो से अथक प्रयास किया है | सामूहिक विवाह 11 मार्च को होगा |
वीएसएसएम की समन्वयक मित्तल पटेल ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, विवाह का मतलब है कि युवतियों को देह व्यापार के परंपरागत धंधे से बचाया जाएगा | यहां चलन है कि एक बार अगर लड़की की सगाई हो जाए या विवाह हो जाए तो उसे देह व्यापार के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता |
देह व्यापर को रोकने की कोशिश के चलते पटेल ने कहा, सामूहिक विवाह के लिए भेजे गए शुरूआती आमंत्रणों में हमने लिखा है कि सात युवतियों का विवाह किया जाएगा जबकि आठ अन्य लड़कियों का भी विवाह किया जाएगा | आज तक तो यह तय है कि आठ लड़कियों का विवाह होगा और उसी दिन 24 लड़कियां सगाई के लिए तैयार हो गई हैं |
वीएसएसएम के सदस्यों ने सरानिया समुदाय के युवकों को भी समझाया है कि वे विश्वास जगा कर युवतियों से विवाह करें | समझा जाता है कि गांव में करीब 100 महिलाएं देह व्यापार में लिप्त हैं |
पटेल ने कहा, हमने देह व्यापार में लिप्त महिलाओं को यह नहीं कहा है कि वह गलत कर रही हैं | वह बहुत मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाती हैं | हमने तो उन्हें आजीविका के अन्य विकल्प बताए हैं | वर्ष 2006 में हमने गांव में काम शुरू किया और तब से हालात में सुधार हुआ है | सरकार ने भी सरानिया समुदाय की महिलाओं के लिए पुनर्वास कार्यक्रमों का वादा किया है |
इस समुदाय की महिलाएं विभिन्न कारणों जैसे सामाजिक दबाव, गरीबी के चलते या फ़िर जबरदस्ती देह व्यापार करती हैं | परिवार के पुरूष अक्सर महिलाओं की आमदनी पर गुजारा करते हैं और उनके लिए ग्राहक भी लाते हैं. पटेल ने कहा, सामूहिक विवाह से इस समुदाय की महिलाओं के लिए सामाजिक क्रांति आ सकती है, साथ ही पीढ़ियों से चली आ रही एक नकारात्मक परंपरा का अंत भी हो जाएगा |
यहां की महिलाओं के जीवन में सामाजिक क्रांति लाने के उद्देश्य से इस गाँव में सरानिया समुदाय की लड़कियों का सामूहिक विवाह कराया जाएगा | इस योजना और देहव्यापार को बंद करने की पहल के पीछे गैर सरकारी संगठन ‘विचारत समुदाय समर्थन मंच’ वीएसएसएम का हाथ है | जिसने पिछले पांच सालो से अथक प्रयास किया है | सामूहिक विवाह 11 मार्च को होगा |
वीएसएसएम की समन्वयक मित्तल पटेल ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, विवाह का मतलब है कि युवतियों को देह व्यापार के परंपरागत धंधे से बचाया जाएगा | यहां चलन है कि एक बार अगर लड़की की सगाई हो जाए या विवाह हो जाए तो उसे देह व्यापार के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता |
देह व्यापर को रोकने की कोशिश के चलते पटेल ने कहा, सामूहिक विवाह के लिए भेजे गए शुरूआती आमंत्रणों में हमने लिखा है कि सात युवतियों का विवाह किया जाएगा जबकि आठ अन्य लड़कियों का भी विवाह किया जाएगा | आज तक तो यह तय है कि आठ लड़कियों का विवाह होगा और उसी दिन 24 लड़कियां सगाई के लिए तैयार हो गई हैं |
वीएसएसएम के सदस्यों ने सरानिया समुदाय के युवकों को भी समझाया है कि वे विश्वास जगा कर युवतियों से विवाह करें | समझा जाता है कि गांव में करीब 100 महिलाएं देह व्यापार में लिप्त हैं |
पटेल ने कहा, हमने देह व्यापार में लिप्त महिलाओं को यह नहीं कहा है कि वह गलत कर रही हैं | वह बहुत मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाती हैं | हमने तो उन्हें आजीविका के अन्य विकल्प बताए हैं | वर्ष 2006 में हमने गांव में काम शुरू किया और तब से हालात में सुधार हुआ है | सरकार ने भी सरानिया समुदाय की महिलाओं के लिए पुनर्वास कार्यक्रमों का वादा किया है |
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